लखनऊ। इलाहाबाद उच्च न्यायलय ने ज़िला विद्यालय निरीक्षक के द्वारा पारित आदेश को खारिज करते हुए एक महत्वपूर्ण फैसला देते हुए कहा कि एक शिक्षक संस्थान में शिक्षकों की पदोन्नति के संबंध में संस्थान को विशिष्ठ आवश्यकताओं को भी प्राथमिकता देनी चाहिए न कि केवल वरिष्ठता को। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता मोहम्मद साद सिद्दीकी ने बताया कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय की, लखनऊ बेंच का यह एक महत्वपूर्ण निर्णय आया है जिसमें उच्च न्यायालय ने जिला विद्यालय निरीक्षक (डीआईओएस) के आदेश को खारिज करते हुए सुन्नी इंटर कॉलेज, लखनऊ के शिक्षक को बड़ी राहत दी है।अधिवक्ता मोहम्मद साद सिद्दीकी ने बताया कि पक्षकार सुन्नी इंटर कॉलेज (अल्पसंख्यक सहायता प्राप्त संस्थान) का एक शिक्षक है। उन्होंने उच्च न्यायालय के इस निर्णय का स्वागत करते हुए बताया कि न्यायालय ने प्रतिवादी (DIOS) द्वारा वरिष्ठता के आधार पर पदोन्नति को यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया गया था कि पदोन्नति के लिए वरिष्ठता ही एकमात्र मानदंड है। जिसपर उन्होंने अदालत को तर्क देते हुए अपना पक्ष रखा और कहा कि अकेले वरिष्ठता पदोन्नति का एकमात्र आधार नहीं हो सकती है और पदोन्नति देते समय शैक्षणिक संस्थान की आवश्यकता पर भी विचार किया जाना चाहिए, जो एक अनिवार्य शर्त है।एडवोकेट साद ने अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया कि इंटरमीडिएट अधिनियम, 1921 के प्रावधान स्पष्ट रूप से पदोन्नति द्वारा एक शैक्षणिक संस्थान में नियुक्त किए जाने वाले शिक्षक की न्यूनतम योग्यता का प्रावधान करते हैं, जिसे याचिकाकर्ता की पदोन्नति पर विचार करते समय नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है, जो अन्य पात्र शिक्षकों में से एकमात्र योग्य शिक्षक है।न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की अदालत अधिवक्ता साद के तर्कों से सहमत हुई और डीआईओएस के आदेश को खारिज कर दिया और प्रबंधन समिति के संकल्प के अनुसार याचिकाकर्ता के पदोन्नति के प्रस्ताव पर विचार करते हुए मामले को नए सिरे से आदेश पारित करने के लिए वापस भेज दिया।ज्ञात हो कि अधिवक्ता एवं पक्षकार मोहम्मद साद सिद्दीकी कॉर्पोरेट और मध्यस्थता (Arbitration Laws) कानूनों के क्षेत्र में दुबई लॉ फर्म के साथ काम कर रहे हैं। उनका उद्देश्य मध्यस्थता और वैकल्पिक विवाद समाधान (एडीआर) (Alternative Dispute Resolution (ADR) Mechanisms तंत्र के क्षेत्र में भारत के साथ-साथ विश्व स्तर पर विवादों के सौहार्दपूर्ण समाधान खोजने में योगदान देना है।