टेस्ट ट्यूब बेबियों का अजंता हॉस्पिटल में लगा जमावड़ा, 255 से अधिक आईवीएफ़ बच्चे रहे उपस्थित

Health National उत्तर प्रदेश

अब मध्यम वर्ग की महिलाओं को भी भा रहा है एग फ्रीजिंग का विकल्प- डॉ. गीता खन्ना

लखनऊ। जब इंसान के सामने चुनौतियां आईं, तो इंसान ने अपनी बुद्धि का इस्तेमाल कर ऐसा समाधान निकाला कि उससे पूरे समाज या मानव जाति को एक नई दिशा मिली गई। इंसान की इस जटिल यात्रा को आसान बनाने में विज्ञान की बहुत बड़ी भूमिका है। वैसे तो विज्ञान का हर क्षेत्र मानव विकास में अपनी अहमियत रखता है, लेकिन मेडिकल साइंस ने इंसान के जीवन पर जितना प्रत्यक्ष प्रभाव डाला है, उतना शायद विज्ञान की किसी अन्य शाखा ने नहीं किया। ऐसा ही एक चमत्कार 25 जुलाई 1978 को ब्रिटेन में देखने को मिला था, जब विज्ञान की मदद से पहले टेस्ट ट्यूब बेबी का जन्म हुआ था। उस दौर में पहले टेस्ट ट्यूब बेबी का जन्म होना, मेडिकल साइंस के क्षेत्र में वैज्ञानिकों की बड़ी सफलता माना गया था।
निसंतान माता-पिता के सपनों को पूरा करने का ऐसा ही काम आलमबाग़ स्थित अजंता हाॅस्पिटल में डाॅ गीता खन्ना ने कर दिखाया है। रविवार को ऐसे ही जन्मे टेस्ट ट्यूब बेबी का जमावड़ा अजंता हाॅस्पिटल में लगा जिसमें लगभग 255 से अधिक आईवीएफ़ बच्चे अपने माता-पिता के साथ शामिल हुए। इस मौके पर संबोधित करते हुए आईवीएफ विशेषज्ञ तथा निदेशक डॉ. गीता खन्ना ने कहा कि पहले भविष्य में डिलीवरी के लिए सामाजिक रूप से एग फ्रीज़िंग सिर्फ़ मशहूर हस्तियों और संपन्न वर्ग तक ही सीमित थी, अब मध्यम वर्ग की कामकाजी महिलाएं भी इसका विकल्प चुन रही हैं। इस क्षेत्र में भी अब व्यापक बदलाव आया है और हर वर्ग इसको अपना रहा है। उन्होंने आगे कहा कि आज कल की दौड़भाग वाली जिंदगी में युवा अपने कॅरिअर पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रहे हैं और साथ ही वे अपनी सुविधानुसार गुणवत्तापूर्ण बच्चे भी चाहते हैं। इसलिए ये युवा भ्रूण फ्रीज़िंग का विकल्प चुन रहे हैं। पहले हमें ऐसे एक या दो मामले मिलते थे लेकिन अब इनकी संख्या सैकड़ों में है। समारोह के दौरान आईवीएफ़ बच्चों और उनके ख़ुश एवं संतुष्ट माता-पिता ने बच्चों के साथ उपस्थित होकर अपनी ख़ुशी का इज़हार कर बच्चों के साथ विभिन्न खेलों तथा मनोरंजक गतिविधियों का भी आनंद लिया।
कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण डॉ. गीता खन्ना की पहली आईवीएफ बेबी प्रार्थना थी, जो अब एक युवा वयस्क हो चुकी है। उसने दो वर्ष पहले एक सामान्य बच्चे पावनी को जन्म दिया था। डॉ. गीता खन्ना द्वारा ही प्रार्थना और पावनी का नामकरण किया गया है। ये दोनों भावी आईवीएफ़ माता-पिता के लिए एक प्रेरणा थीं। डॉ. गीता खन्ना का दावा है कि एक सफ़ल आईवीएफ़ केंद्र के लिए एक समर्पित टीम महत्वपूर्ण है। अजंता अस्पताल में डॉ. गीता खन्ना के मार्गदर्शन में एक अत्याधुनिक प्रयोगशाला और अत्यधिक अनुभवी आईवीएफ टीम है, जिसने पिछले 27 वर्षों में उत्कृष्ट परिणाम दिए है।

क्या होता है आईवीएफ़
आईवीएफ़ को टेस्ट ट्यूब बेबी तकनीक के नाम से जाना जाता है। इस तकनीक में शुक्राणु और अंडे का मिलन शरीर के बहार लैब में किया जाता है जिसके बाद बने स्वस्थ भ्रूण को स्त्री के गर्भाशय में डाला जाता है और गर्भावस्था की आगे की प्रक्रिया प्राकृतिक करके से पूरी होती है।
इन विट्रो फ़र्टिलाइजे़शन यानी आईवीएफ़ तकनीक से जन्मे बच्चे को टेस्ट ट्यूब बेबी कहा जाता है। कई कोशिशो के बावजूद भी जब दंपती बच्चा कंसीव न कर पाए तो उनके लिए टेस्ट ट्यूब बेबी एक अच्छा विकल्प रहता है।
जब महिला कई प्रयासों के बावजूद भी गर्भधारण नहीं कर पाती तो टेस्ट ट्यूब तकनीक के जरिए उनके एग्स गर्भाशय से बाहर निकालकर पुरुष के स्पर्म से फर्टिलाइज़ किया जाता है। जब वह भ्रूण में तब्दील हो जाए तब उसे बड़ी सावधानी से वापस गर्भाशय में स्थानांतरित किया जाता है। इसके बाद की सारी प्रक्रिया नोर्मल प्रेगनेंसी जैसी ही होती है और 9 महिने बाद महिला अपने स्वस्थ बच्चे को जन्म देती है। इस तरह जन्मे हुए बच्चे को टेस्ट ट्यूब बेबी कहां जाता है। जिन जोड़ें के लिए संतान का सुख संभव नहीं होता है उनके लिए यह तकनीक आशिर्वाद रूप साबित हुई है।

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