लखनऊ । ‘ क्या ईश्वर से कोई इतना नाराज हो सकता है, अपने अंदर धर्म को उतारना ही असली धर्म है।’ इसी संदेश को देते हुए हेरिटेज ऑफ अवध ट्रस्ट के तत्वावधान में ‘हत्या’ नामक नाटक का सफल मंचन संगीत नाटय अकादमी के वाल्मीकि रंगशाला में किया गया। हत्या नाटक का मंचन कर निर्देशक रियाज़ अल्वी ने समाज को एक संदेश देने का प्रयास किया है। नाटक में दर्शाया गया है कि आदर्श तिवारी के पिता की कैंसर के कारण मृत्यु हो जाती है। पिता की असमय मृत्यु के कारण आदर्श के उपर परिवार के भरण पोषण की जिम्मेदारी आ जाती है किंतु आर्थिक तंगी से जूझ रहे आदर्श परिवार का भरण पोषण करने में असफल हो जाता है जिससे वह उस ईश्वर से ही नाराज हो जाता है जिस पर कभी उसका अटूट विश्वास था।
आदर्श को अदालत में ईश्वर के हत्यारोपी की तरह पेश किया जाता है जहां हत्यारोपी आदर्श तिवारी तथा वकील के बीच हुई जिरह को बेहद संजीदगी से दर्शाने का प्रयास किया गया है। हत्यारोपी तथा वकील के बीच हुई बहस ने दर्शकों का मन मोह लिया। दरअसल नाटक में जिस तरह से आरोपी को ईश्वर की हत्या करने के आरोप में पेश किया जाता है स्वयं वकील इस बात को मानने से इंकार कर देता है कि कोई मानव कैसे ईश्वर की हत्या कर सकता है जिसने खुद मानव की संरचना की हो। वकील और आरोपी की इसी बहस ने तथा एक आम आदमी की जिंदगी के विभिन्न पहलूओं को छूने में नाटक हत्या ने दर्शकों का मन मोह लिया। नाटकी सबसे बड़ी विशेषता यह रही कि इसमें जज का किरदार निभाने वाले बीडी नकवी स्वयं सेवानिवृत्त जज रह चुके हैं। नाटक में वकील के रुप में प्रणव श्रीवास्तव, आरोपी के रुप में आदर्श तिवारी, यमराज के रुप में अतुल द्विवेदी पत्नी के रुप में मुस्कान सोनी पिता के रुप में रंजीत पाल व लाला के रुप में संकल्प आदि ने बेहतरीन अदाकारी कर दर्शकों को दिल में जगह बनायी जबकि रियाज अल्वी ने निर्देशन का लोहा मनावाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। कार्यशाला निद्रेशक रहमान खान, प्रोडयूसर मुजतबा खान व म्यिुजिक सहायक अलिशबा खान ने हिस्सा लेकर इस नाटक को कामयाब बनाने में अपना योगदान दिया। नाटक को देखने के लिए कांग्रेस नेता व पूर्व मंत्री मुईद अहमद, पूर्व आयकर आयुक्त अलोक मित्रा, पूर्व एडीजी पंजाब पुलिस जयवीर सिंह, तारिक सिद्वीकी, हिलाल नकवी, शबाहत हुसैन, मेराज हैदर, नदीम उद्दीन, उबैद नासिर, वरिष्ठ पत्रकार तारीक खान समेत शहर के गणमान्य लोग उपस्थित रहे।