मुक्त विश्वविद्यालय में ई- गवर्नेंस पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी प्रारंभ, टेक्नोलॉजी में परिवर्तन पर संतुलन बनाएं समाज वैज्ञानिक-प्रोफेसर के.एन.सिंह

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उत्तर प्रदेश। राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय, प्रयागराज के समाज विज्ञान विद्या शाखा के तत्वावधान में भारतीय सामाजिक अनुसंधान परिषद नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी ‘भारत में ई- गवर्नेंस और सार्वजनिक सेवाओं का वितरण: उभरते मुद्दे, चुनौतियां एवं भविष्य’ का उद्घाटन करते हुए मुख्य अतिथि प्रोफेसर के एन सिंह, कुलपति, दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय, गया,

बिहार ने कहा कि तेजी से बदलते युग में टेक्नोलॉजी से सामंजस्य करना बहुत महत्वपूर्ण है। भारत का भविष्य इस बात पर निर्भर करता है कि भारत का युवा टेक्नोलॉजी के साथ तालमेल करके कैसे आगे बढ़ता है। हमें इस बात पर भी ध्यान देना होगा कि टेक्नोलॉजी कहीं व्यक्ति की कमजोरी न बन जाए। मानसिक विकास को अवरुद्ध होने से बचाना भी बहुत बड़ी चुनौती है। प्रोफेसर सिंह ने कहा कि टेक्नोलॉजी के फायदे और नुकसान दोनों होते हैं। हमें इसके सकारात्मक पहलू पर ध्यान देकर आगे बढ़ना होगा। समाज वैज्ञानिकों का यह दायित्व है कि टेक्नोलॉजी में परिवर्तन होने पर संतुलन बनाए रखें।

अध्यक्षीय उद्बोधन में मुक्त विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर सीमा सिंह ने कहा कि टेक्नोलॉजी में परिवर्तन को स्वीकार करना आवश्यक है। इसके लिए हमें मानसिक क्रांति के लिए तैयार रहना होगा। हमारे सामने कई प्रकार की चुनौतियां आती हैं। उनका सामना करना पड़ेगा। हम उपलब्ध संसाधनों का बेहतर उपयोग कर सकते हैं। टेक्नोलॉजी के सकारात्मक पक्ष को अपनाकर हम विश्व गुरु बनने की ओर अग्रसर होंगे।
विशिष्ट अतिथि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के प्रोफेसर ए के महापात्रा ने कहा कि टेक्नोलॉजी राज्य और समाज के मध्य संबंध मजबूत करती है। यह नागरिकों को भी सरकार और राज्य के समीप लाती है। विश्वसनीयता स्थापित करती है। उन्होंने कहा कि स्वभाव में परिवर्तन के द्वारा ही ई गवर्नेंस को स्वीकार किया जा सकता है।
मुख्य वक्ता राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर मनोज दीक्षित ने कहा कि ई क्रांति से ही ई गवर्नेंस की अवधारणा आई। तकनीक ने सरकार, समाज और प्रशासन में पारदर्शिता का सूत्रपात किया। इसी के कारण आम जनमानस की छोटी से छोटी आवश्यकताओं को विस्तार मिला। प्रो. दीक्षित ने कहा कि ई गवर्नेंस की प्रासंगिकता कोरोना काल में स्पष्ट दिखाई पड़ी और वर्तमान में भी नित नए प्रयोग किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज ई क्रांति के क्षेत्र ने काफी विस्तार किया है। शिक्षा, स्वास्थ्य,विभिन्न योजनाएं, सुरक्षा, वित्तीय प्रबंधन, न्याय तथा साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में भी टेक्नोलॉजी विस्तार कर रही है।
प्रारंभ में अतिथियों का स्वागत सेमिनार के निदेशक प्रोफेसर एस कुमार ने किया। दो दिवसीय सेमिनार की विषयवस्तु के बारे में आयोजन सचिव डॉ आनंदानंद त्रिपाठी ने जानकारी दी। संचालन डॉ त्रिविक्रम तिवारी एवं धन्यवाद ज्ञापन कुलसचिव प्रोफेसर पी पी दुबे ने किया।
इस अवसर पर अतिथियों ने ई सोविनियर का विमोचन किया। राष्ट्रीय सेमिनार में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, नई दिल्ली, बिहार, छत्तीसगढ़, हरियाणा और झारखंड के 200 प्रतिभागियों ने रजिस्ट्रेशन कराया। आज 4 एकेडमिक सत्र आयोजित किए गए। जिनमें डॉ आलोक चांटिया, प्रोफेसर रिपुसूदन सिंह, डॉ विजय प्रताप सिंह, डॉ सुरेंद्र कुमार मिश्रा ने व्याख्यान दिये। चारों सत्रों में देश भर से आए प्रतिभागियों ने शोध पत्रों का वाचन किया। राष्ट्रीय सेमिनार का समापन शनिवार को 2:30 बजे होगा।

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