लखनऊ। राजधानी के प्रतिष्ठित किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में शनिवार को केजीएमयू के आर्थोपेडिक्स विभाग की ओर से दो दिवसीय तृतीय केजीएमयू पीजीआईसीएल कार्यशाला का आयोजन किया गया। दो दिन तक चलने वाले इस कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए केजीएमयू कुलपति डाॅ सोनिया नित्यानंद ने बताया कि पोस्टग्रेजूएट परिक्षा की तैयारी कर रहे सभी आर्थो स्टूडेंटस् के लिए यह एक बेहतरीन प्लैटफार्म है जिसमें उनको यह बताया कि यदि किसी विषम परिस्थिति में कोई आर्थो का केस आता है तो उसे किस प्रकार से सही दिशा में उसका डायगनाॅस करके केस को संभाला जा सके। यह अपने आप में एक अद्वितीय कार्यशाला है और इससे ऐसे छात्रों को काफ़ी लाभ मिलेगा। यह एक प्रकार से स्नात्कोत्तर पढ़ाई के लिए काफ़ी महत्वपूर्ण है। उन्होंने बताया कि दो दिन तक चलने वाली इस कार्यशाला में हमारे पास उच्च कोटि के आर्थो प्रशिक्षक हैं जो ऐसे छात्रों को जो स्नात्कोत्तर की पढ़ाई कर रहे हैं केस भी देंगे साथ ही उन्हें प्रशिक्षित भी करेंगे।
डाॅ सोनिया नित्यानंद ने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि केजीएमयू का आर्थोपेडिक्स विभाग केजीएमयू की सबसे बड़ी पहचान है इससे इंकार नहीं किया जा सकता। परंपरागत तौर पर इस विभाग में आला दर्जे के आर्थो चिकित्सक एवं सर्जन कार्यरत हैं।
240 बेड के साथ आर्थोपेडिक्स विभाग की नई इमारत तैयार
डाॅ सोनिया नित्यानंद ने बताया कि यह हमारे लिए हर्ष की बात है कि आर्थोपेडिक्स विभाग के लिए केजीएमयू में एक नई इमारत का निर्माण कार्य जो लगभग पूरा हो चुका है लेकिन अचार संहिता के कारण फिलहाल रूका हुआ है जल्द ही शुरू कर दिया जाएगा। 240 बेड वाली इस आर्थो विभाग की इमारत में आर्थो को तीन विभागों में बांटा गया है। 120 आर्थोपेडिक्स के लिए 60 बेड स्पोट्स के लिए तथा 60 पीडियाट्रिक्स आर्थो के लिए तैयार किया गया है। इसमें 8 आपरेशन थियटरर्स भी हैं। उन्होंने बताया कि इससे न सिर्फ हम अधिक से अधिक मरीज़ों को देख सकेंगे बल्कि उन्हें आधुनिक तकनीकि की सुविधा भी मुहैया करायी जाएगी ताकि उनका इलाज और बेहतर किया जा सके। बोन बैंक की सुविधा के साथ ही सभी प्रकार की इमेजिंग सुविधाएं भी एक ही इमारत में होंगी। इस इमारत के बन जाने के बाद आर्थोस्कोपिक कार्य और भी आधुनिक स्तर पर होंगे।
ब्लड की तरह अब मरीज को मिल सकेगी हड्डी
केजीएमयू कुलपति डाॅ सोनिया नित्यानंद ने तीसरे केजीएमयू पीजीआईसीएएल वर्कशाॅप के दौरान बताया कि केजीएमयू के आर्थोपेडिक्स सर्जरी विभाग में जल्द ही बोन बैंक की सुविधा शुरू होने जा रही है। बोन बैंक की आवश्यकता पर बोलते हुए उन्होंने बताया कि इसके लिए केजीएमयू की टीम पहले से बोन बैंक चला रहे संस्थानों से प्रशिक्षण भी ले चुकी है। इसकी आवश्यकता पर ज़ोर देते हुए उन्होंने बताया कि कई बार ऑपरेशन के दौरान मरीजों की हड्डी निकाली जाती है। अब इन्हें निस्तारित करने की जगह बैंक में सुरक्षित रखा जाएगा और जरूरतमंद मरीजों को उपलब्ध कराया जाएगा। आर्टीफीशियल इम्प्लांट का खर्च वहन करने में असमर्थ मरीजों के लिए यह बैंक जीवनदान साबित होगा।
तृतीय केजीएमयू पीजीसीआईएल कार्यशाला के आयोजक सचिव डाॅ शाह वलिउल्लाह ने बताया कि पीजीआईसीएल यानी पोस्टग्रेजूएट इंस्ट्रक्शन कोर्स लेक्चर में हम अपने स्नात्कोत्तर की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए एक प्रकार से संशोधित करते हुए हम उन्हें प्रैक्टिकल टिप्स दे सकें जिससे उनको परिक्षण करने का सटीक ज्ञान हो सके। डाॅ शाह ने बताया कि केजीएमयू वीसी डाॅ सोनिया नित्यानंद तथा आर्थो विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ आशीष कुमार का इस कार्यशाला के आयोजन में सरहानीय सहयोग प्राप्त हुआ है। पीजीआइसीएल पर बोलते हुए उन्होंने बताया कि दरअसल इंटरनेट पर थ्योरिटिकल प्राप्त किया जा सकता है लेकिन प्रैक्टिकल टिप्स नहीं प्राप्त किया जा सकता। पीजीआईसीएल के माध्यम से हम ऐसे छात्रों को सीधे मरीज़ तक पहुंचाने का काम करते हैं ताकि उनका परिक्षण सही दिशा में हो सके। बोन बैंक की उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए डाॅ शाह वलीउल्लाह ने बताया कि गंभीर एक्सिडेंट या ट्रॉमा के मरीजों की अक्सर हड्डी इतनी क्षतिग्रस्त हो जाती है कि जुड़ने की स्थिति में नहीं होती। ऐसे मरीजों में हड्डी निकालकर प्रॉस्थेसिस का इस्तेमाल किया जाता है। ऐसे में बोन बैंक काफी कारगर होगा। इस अवसर पर यूपी आर्थो ऐसोसिएशन के सचिव डाॅ संतोष सिंह, पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. विनीत शर्मा तथा प्रो. ओपी सिंह विशेषतौर पर उपस्थित रहे।