यूपी में रिकॉर्ड समय में कोविड महामारी के दौरान निरीक्षण और प्रबंधन का निर्माण कार्य किया
उनके विशेष योगदान एवं महत्वपूर्ण कार्यों से प्रदेश की जनता को के दौरान उनका विशेष योगदान रहा है
लखनऊ। यूपी की राजधानी लखनऊ के प्रतिष्ठित संजय गांधी स्नात्कोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान की प्रतिष्ठा उस समय और अधिक बढ़ गई जब संस्थान के निदेशक प्रो. डाॅ राधा कृष्ण धीमन को चिकित्सा के क्षेत्र में पद्मश्री से सम्मानित किया गया। डॉ. राधा कृष्ण धीमन ने चिकित्सा क्षेत्र में अपने उत्कृष्ट योगदान के लिए 9 मई 2024 को राष्ट्रपति भवन, नई दिल्ली में आयोजित एक भव्य समारोह में पद्मश्री सम्मान प्राप्त किया।
पद्मश्री प्रो. डाॅ राधा कृष्ण की विशेष उपलब्धियां-
1. डॉ. राधा कृष्ण धीमन वर्तमान में संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआईएमएस), लखनऊ के निदेशक और कल्याण सिंह सुपरस्पेशलिटी कैंसर संस्थान, लखनऊ के निदेशक हैं। दोनों संस्थान उत्तर प्रदेश सरकार के तृतीयक स्वास्थ्य देखभाल केंद्र हैं।
2. 4 जून 1960 को जन्मे डॉ. धीमन ने वर्ष 1984 और 1987 में किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज, लखनऊ से एम.बी.बी.एस. और मेडिसिन में एम.डी. की उपाधि प्राप्त की और 1991 में संजय गांधी पोस्टग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, लखनऊ से (गैस्ट्रोएंटरोलॉजी)में डॉक्टरेट ऑफ मेडिसिन की उपाधि प्राप्त की। उन्हें अमेरिकन कॉलेज ऑफ गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, अमेरिकन एसोसिएशन फॉर स्टडी ऑफ लिवर डिज़ीज़, रॉयल कॉलेज ऑफ फिज़िशियन, लंदन और एडिनबर्ग और नेशनल एकेडमी ऑफ मेडिकल साइंसेज सहित कई संस्थानों से फेलो की उपाधि दी गई।
प्रो. आरके धीमन हेपेटोलॉजी में सहायक प्रोफेसर के रूप में प्रतिष्ठित स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान संस्थान (पीजीआईएमईआर), चंडीगढ़ से जुड़े और 2020 में उन्होंने एसजीपीजीआई लखनऊ के निदेशक पद को संभाला। इससे पूर्व वे एसजीपीजीआई चण्डीगढ़ के हेपेटोलॉजी विभाग के प्रमुख के पद पर आसीन थे।
3. पीजीआईएमईआर, चंडीगढ़ में, उन्होंने देश में हेपेटोलॉजी में पहली बार डॉक्टरेट आॅफ मेडिसिन (डीएम)कोर्स शुरू करने, लिवर रोगों से पीड़ित रोगियों के लिए लिवर आईसीयू शुरू करने और पीजीआईएमईआर, चंडीगढ़ में लिवर प्रत्यारोपण कार्यक्रम शुरू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
4. डॉ. धीमन ने मुख्यमंत्री पंजाब हेपेटाइटिस सी रिलीफ फंड, (MMPHCRF)के तहत सार्वजनिक स्वास्थ्य स्तर पर हेपेटाइटिस सी के उपचार के लिए एक लागत प्रभावी एल्गोरिदम तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। पंजाब के सभी 22 ज़िला अस्पतालों और सभी सरकारी मेडिकल कॉलेजों में हेपेटाइटिस रोगियों के इलाज के लिए प्राथमिक सेवा चिकित्सकों और फार्मासिस्टों को प्रशिक्षित किया गया था।
कार्यक्रम को अब अन्य आबादी में एचसीवी संक्रमण के सूक्ष्म-उन्मूलन के लिए और विस्तारित किया गया है, जैसे एचआईवी के साथ सह-संक्रमण, जेल में बंद व्यक्ति, नशीली दवाओं का इंजेक्शन लगाने वाले व्यक्ति (PWID), मौखिक प्रतिस्थापन चिकित्सा (OST) आदि। पंजाब मॉडल की सफलता पर, भारत सरकार ने 28 जुलाई 2018 को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के माध्यम से वायरल हेपेटाइटिस के लिए मुफ्त निदान और उपचार के प्रावधान के साथ राष्ट्रीय वायरल हेपेटाइटिस नियंत्रण कार्यक्रम (एनवीएचसीपी) शुरू किया।
डॉ. धीमन एनवीएचसीपी के तकनीकी संसाधन समूह (टीआरजी) के अध्यक्ष रहे हैं और पंजाब में हेपेटाइटिस सी नियंत्रण कार्यक्रम के वैज्ञानिक सलाहकार और इंजेक्शन सेफ्टी, पंजाब के अध्यक्ष और ‘‘वैश्विक हेपेटाइटिस उन्मूलन गठबंधन (सीजीएचई)’’ के सदस्य थे। पंजाब में इंजेक्शन सुरक्षा के अध्यक्ष के रूप में, डॉ. धीमान ने पंजाब के सभी सरकारी अस्पतालों में सीरिंज के पुनः उपयोग की रोकथाम (Re Use Prevention) सीरिंज़ की शुरूआत का मार्गदर्शन किया, जो नए वायरल हेपेटाइटिस संक्रमण की रोकथाम के लिए सुरक्षित इंजेक्शन प्रथाओं की ओर एक कदम है।
5. डॉ. धीमन ने उत्तर प्रदेश राज्य में कोविड से लड़ाई में महत्वपूर्ण योगदान दिया। वह उत्तर प्रदेश में कोविड प्रबंधन और कोविड-एसोसिएटेड म्यूकरमाईकोसिस (Covid Associated Mucormycosis)पर यूपी राज्य सलाहकार बोर्ड के अध्यक्ष हैं। अत्याधुनिक राजधानी कोविड अस्पताल (आरसीएच) का निर्माण, साथ ही रोगी निरीक्षण और प्रबंधन के लिए प्रोटोकॉल/एसओपी का निर्माण रिकॉर्ड समय में किया गया। इस कठिन समय के दौरान कोविड देखभाल और शिक्षा के कई पहलुओं में टेलीमेडिसिन का भरपूर उपयोग किया गया। 13 प्रशिक्षण मॉड्यूल वाले कोविड-संस्करण-1.0 (55-सत्र) और 2.0 (95 सत्र) के माध्यम से यूपी के 52 राज्य मेडिकल कॉलेजों की क्षमता निर्माण ने 75,000 से अधिक स्वास्थ्य देखभाल कर्मियों को प्रशिक्षित करने में मदद की, इसमें जीवन रक्षक कौशल प्रशिक्षण सत्र भी शामिल थे।
इलेक्ट्रॉनिक कोविड केयर सपोर्ट (ई-सीसीएस) और ई-ओपीडी द्वारा लगभग 55000 टेली-परामर्श/सहायता प्रदान की गई। डॉ. धीमन ने यूपी में निम्नलिखित क्षेत्रों में रणनीतिक योजना, कार्यान्वयन और प्रबंधन में मार्गदर्शन और सहायता प्रदान की। (ए) सूक्ष्म-नियंत्रण, सख्त कोविड अनुकूल व्यवहार का अनुशासन और क्रियान्वयन, उन्नत आरटी-पीसीआर परीक्षण, सीरोसर्विलेंस और जीनोमिक अनुक्रमण ने कोविड पाजिटिव दर को को कम करने में गहरा योगदान दिया। कोविड के खिलाफ लड़ाई में यूपी में अपनाई गई रणनीतियों को विश्व स्वास्थ्य संगठन, ऑस्ट्रेलिया, नीति आयोग और मीडिया ने खूब सराहा है।
6. धीमन अंगदान को बढ़ावा देने में अग्रणी रहे हैं। उनके सभी प्रयासों से, चंडीगढ़ में ड्राइविंग लाइसेंस पर ‘‘अंग दान का संकल्प’’ 2013 में वास्तविकता बन गया। केन्द्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ यह सम्मान पाने वाला भारत का दूसरा राज्य/यूटी है। उन्होंने 2012 में अंग प्रतिज्ञा के लिए वेबसाइट शुरू की और इस क्षेत्र में अंग दान को बढ़ावा देने के लिए कई सार्वजनिक मंचों, स्कूली बच्चों के बीच पोस्टर बनाने की प्रतियोगिता आदि का आयोजन किया। 2011 से इस क्षेत्र में अंग दान के लिए सक्रिय अभियान के परिणामस्वरूप, चंडीगढ़ भारत में अंग दान के लिए दूसरा राज्य/केंद्र शासित प्रदेश बन गया।
7. डॉ. धीमन कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए हैं। उन्हें भारत के राष्ट्रपति (2008) द्वारा चिकित्सा क्षेत्र में सर्वोच्च डॉ. बीसी रॉय राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। वह 4 बार भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) पुरस्कार के प्राप्तकर्ता हैं। उन्हें 2009 में ‘‘बसंती देवी अमीर चंद’’, 2007 में ‘‘अमृत मोदी यूनिकेम’’, 1997 में ‘‘शकुंतला अमीर चंद पुरस्कार’’ और 1996 में ‘‘डॉ डीवी दत्ता मेमोरियल ओरेशन अवार्ड’’ से सम्मानित किया गया है। वह कई अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों के प्राप्तकर्ता हैं।
डॉ. धीमन को अमेरिकन एसोसिएशन फॉर द स्टडी ऑफ लिवर (एएएसएलडी) द्वारा हेरोल्ड ओ कॉन पुरस्कार मिला है। उन्हें 2012 से 2019 तक लगातार 6 वर्षों तक प्रतिष्ठित इंटरनेशनल सोसाइटी ऑन हेपेटिक एन्सेफैलोपैथी एंड नाइट्रोजन मेटाबॉलिज्म (प्ैभ्म्छ) का अध्यक्ष होने का सम्मान प्राप्त है। वह सन् 2016, 2017 और 2018 में लगातार 3 वर्षों तक इंडियन नेशनल एसोसिएशन फॉर द स्टडी ऑफ लिवर (INASL) के सचिव रहे। वह अब उसी सोसायटी के अध्यक्ष हैं। वह निरंतर दस साल वर्ष 2011 से 2020 तक जर्नल ऑफ क्लिनिकल एंड एक्सपेरिमेंटल हेपेटोलॉजी (जेसीईएच) के प्रधान संपादक रहे। वह लगातार 6 साल- 2011 से 2017 तक अमेरिकन कॉलेज ऑफ गैस्ट्रोएंटरोलॉजी (एसीजी) के गवर्नर रहे।