नवविवाहित जोड़ों ने मिलकर समर विहार में पारंपरिक ढंग से मनाई लोहड़ी

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लखनऊ हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी लोहड़ी का त्योहार पारंपरिक ढंग से समर विहार कालोनी के सेंट्रल पार्क मे धूमधाम से मनाई गई। परंपरानुसार इस मौके पर कालोनी के नवविवाहित जोड़ों ने साथ मिलकर लोहड़ी का जश्न मनाया। लोहड़ी पौष माह का प्रसिद्ध पर्व है जिसके उपरांत पंजाबियों का माघ महीना प्रारंभ हो जाता है। खेत में किसान की लहलहाती फसलें काटी जाती हैं और अच्छी फ़सल होने पर खुशियां मनाई जाती हैं। ऐसा माना जाता है कि लोहड़ी की खुशी उस समय और बढ़ जाती है जब परिवारों मे किसी का विवाह होता है या किसी के घर में बच्चे पैदा होने की ख़ुशी होती है। ऐसे में पहली लोहड़ी को सभी परिवार की खुशी में शामिल होकर एक साथ नाचते एवं गाते हैं। लोहड़ी की अग्नि का प्रज्वलन भी ऐसे ही लोगों से कराया जाना शुभ माना जाता है फिर वो लोहड़ी की परिक्रमा करके प्रसाद वितरण करते हैं। इस दिन सरसों का साग मकई की रोटी, गुड़, खजूर, गन्ने का रस, खीर और रात मे खिचड़ी खाई जाती है।

लोहड़ी का इतिहास

लोहड़ी का इतिहास ‘दुल्ला भट्टी’ के साथ जुड़ा हुआ है जिसे पंजाब के पहले ‘राबिन हुड’ के नाम से भी जाना जाता है। दुल्ला भट्टी का पूरा नाम अब्दुल्ला ख़ान भट्टी था जिसने मुग़ल बादशाह अकबर के विरुद्ध बगावत का विगुल बजाया जिससे नाराज़ होकर उसके परिवार को मौत के घाट उतारा गया। दो हिंदू लड़कियां सुंदरी और मुंदरी को मुग़ल सरकार के अधिकारी अगवा करके ले गये थे उन्हे दुल्ला भट्टी ने छुड़ाया और अधिकारी को मार गिराया। बाद मे हिंदू रीति रिवाजों से इन लड़कियों का विवाह भी कराया। इस पुनीत कार्य के लिए दुल्ला भट्टी का नाम आज तक अमर है। इसीलिए लोहड़ी पर यह गीत गाया जाता है ‘सुंदर मुंदरिये हो, तेरा कौन बेचारा हो। दुल्ला भट्टी वाला हो, दुल्ले धी बिहाई हो, शेर शकर पाई हो।’ इस अवसर पर समर विहार निवासियों के अतिरिक्त वरिष्ठ पत्रकार मनमोहन शर्मा, पार्षद पति गिरीश मिश्रा, डा. गीता खन्ना तथा डा. अनिल खन्ना उपस्थित थे।

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