मुख्यमंत्री जन कल्याणकारी योजना प्रचार प्रसार अभियान के पूर्व अध्यक्ष देवधर शास्त्री ने सुप्रीम कोर्ट की आज एक कार्यक्रम के दौरान सारी पोल खोल कर रख दी।
पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि आज जो कोर्ट में सुप्रीम कोर्ट ने जो नुपुर शर्मा पर टिप्पणियां की है वो न सिर्फ बचकानी है बल्कि विशेष समुदाय के पक्ष में सहयोग कहा जा सकता है।
पूर्व अध्यक्ष ने कहा की आज जो मामला सुप्रीम कोर्ट में गया था ,वो सिर्फ तमाम एफआईआर को दिल्ली में ट्रांसफर करने के लिए गया था न की नुपुर पर दोष साबित करने के लिए,
कोर्ट ने ऐसी टिप्पणियां किस हक से कर दी ?
अगर सुपर कोर्ट में दम है इन टिप्पणियों को लिखित ऑर्डर के रूप में देता।
सुप्रीम कोर्ट ने लिखित ऑर्डर में सिर्फ पिटीशन डिसमिस ही क्यों लिखा ?
क्यों नहीं पूरी टिप्पणी लिखित ऑर्डर में दी,ताकि सुप्रीम कोर्ट से लोग पूछ सकते कि किस सुनवाई के आधार पर आपने ये टिप्पणी की?
आपके पास क्या अधिकार था ,जिस वजह से बिना ट्रायल के आपने किसी को दोषी भी मान लिया ?
खुद ही चार्ज लगा रहे हो ,खुद ही फैसला मौखिक सुना कर दोषी ठहरा देते हो ,इस से पूरे देश में गलत संदेश जाता है।
देवधर शास्त्री ने कोर्ट की टिप्पणी पर सवाल उठाते हुवे कहा कि माननीय कोर्ट ने एक बात और कही कि आप लोअर कोर्ट क्यों नहीं गए ,
जबकि सुप्रीम कोर्ट खुद पैसे वालो की याचिका सीधे न सिर्फ सुनता है बल्कि रात के बारह बजे तक हाजिर होकर सुनता है , ऐसे व्यवहार के लिए सुप्रीम कोर्ट को क्या कहेंगे ?
देवधर शास्त्री ने आज कहा कि ये काम लोअर कोर्ट का है ,जहां एफआईआर दर्ज होकर केस जायेगा ,वो सुनवाई करेगा की नुपुर शर्मा ने जो टिप्पणी की है,अगर वो गलत है ,तो ट्रायल कोर्ट बताएगा कि वो गलत है या तथ्य के आधार पर है।
सुप्रीम कोर्ट को मौखिक टिप्पणी करने का कोई अधिकार नहीं है ।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस प्रकार की बचकानी हरकत करने से बाज आना चाहिए ! वरना समाज के लोग कोर्ट पर विश्वास करना बंद कर देंगे।
कुछ वर्ष पहले ओवैसी ब्रदर द्वारा इसी प्रकार से हिंदू धर्म के प्रति एवं देवी देवताओं के विरोध में गलत शब्दों का प्रयोग किया गया था उस समय सुप्रीम कोर्ट ने क्या यही बयानबाजी की थी बल्कि ओवैसी ब्रदर को ट्रायल से गुजरते हुए मुकदमे को ही धीरे से खत्म कर दिया गया।
जब विशेष समुदाय द्वारा हिंदू और सनातन संस्कृति पर प्रहार किया जाता है उस समय सुप्रीम कोर्ट के लोग कहां चले जाते हैं परंतु आवेश में आकर नूपुर शर्मा से अगर कुछ गलत शब्द निकल जाते हैं,तो उस पर इतना तकलीफ सुप्रीम कोर्ट को हो जाती है कि बगर ट्रायल के नूपुर शर्मा को अपराधी घोषित कर देती है।
सुप्रीम कोर्ट को अपनी मर्यादा और कानून का सम्मान करते हुए कार्य करना चाहिए जिससे सभी संप्रदाय के लोगों का विश्वास कोर्ट पर बना रहे।