अवैध अतिक्रमण को संरक्षण देने वाले भ्रष्ट अधिकारियों/कर्मचारियों पर कब चलेगा,बाबा का बुलडोजर ?

उत्तर प्रदेश

योगी सरकार में लगातार अवैध अतिक्रमण के ऊपर तेजी के साथ बाबा का बुलडोजर चल रहा है।हालांकि यह कार्यवाही कुछ हद तक सही भी है।क्योंकि पूर्व की सरकारों में राजनीतिक संरक्षण में लोगों ने सरकारी जमीनों पर अवैध निर्माण कर अरबों खरबों की संपत्ति हड़पने का कार्य किया। जिस पर योगी सरकार पूरे एक्शन में आ चुकी है।
लगातार ऐसे अवैध अतिक्रमण के ऊपर बाबा का बुलडोजर चल रहा है,लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि इस अतिक्रमण को संरक्षण देने वाले अधिकारियों से कब जवाब मांगा जाएगा !!
सवाल यह उठता है कि जिन अवैध निर्माण पर बाबा का बुलडोजर चल रहा है वह इमारतें 1 दिन में बनकर खड़ी नहीं हुई हैं, सालों-साल ऐसे इमारतों को बनाने में लगातार काम चला होगा!
ऐसे में लखनऊ विकास प्राधिकरण हो या आवास विकास परिषद लखनऊ इन दोनों ही विभागों के अधिकारी अवैध निर्माण होने वाले इलाकों में तैनात जिम्मेदार अधिकारी,जूनियर इंजीनियर, इंजीनियर, अधिशासी अभियंता एवं अन्य जिम्मेदार अधिकारीयों ने ऐसे अवैध निर्माणों के ऊपर क्या कार्यवाही की ??
हालांकि बहुत से प्रकरण में ऐसा ही हुआ कि विभाग के द्वारा कागजी खानापूर्ति करने के लिए नोटिस तो दे दी जाती है, लेकिन उन पर कार्यवाही नहीं होती है।
नतीजा यह होता है कि भ्रष्ट अधिकारी ऐसे लोगों को संरक्षण देकर खुद लाखों रुपए कमाते हैं।
सरकार को और संबंधित विभाग को सबसे पहले उन अधिकारियों/कर्मचारियों से जवाब लेना चाहिए कि उनके इलाके में अवैध निर्माण हो कैसे गया।
जबकि सरकारी सेवा में कार्यरत अधिकारियों की जिम्मेदारी बनती है कि उनके क्षेत्र में किसी भी प्रकार का अवैध कार्य ना हो फिर भी अवैध निर्माण हो जाता है।
सरकार के एक्शन में आने के बाद ऐसे अवैध निर्माणों को ध्वस्त किया जाता है जो बिल्कुल न्यायोचित है।
लेकिन सवाल यह उठता है ऐसे निर्माण करने वाले लोगों के ऊपर,इमारतों के ऊपर तो कार्रवाई हो जाती है लेकिन ऐसे इमारतों को जन्म देने वाले भ्रष्ट अधिकारियों/कर्मचारियों के ऊपर विभाग/सरकार कब एक्शन लेगी ??
विभाग के जिम्मेदार उच्च अधिकारी ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों से कब जवाब मांगेंगे ??
अवैध निर्माण में सहयोग देने वाले अधिकारियों/कर्मचारियों को विभाग कब सजा देगा यह सबसे बड़ा सवाल है ?
लखनऊ विकास प्राधिकरण वर्षों पुरानी योजनाओं को जबरन जनता के ऊपर थोपने का कार्य कर रही है और अपने अधिकार भ्रष्ट अधिकारियों की जेब भरने के चक्कर में नई योजनाओं को लागू नहीं करना चाहती।
क्योंकि नई योजनाओं के आते ही बहुत से निजी वैध जमीनों पर बनी हुई इमारतें अवैध से वैध की श्रेणी में आ जाएंगी,जो लखनऊ विकास प्राधिकरण के भ्रष्ट अधिकारियों को किसी भी सूरत में गवारा नहीं है।
क्योंकि वैध-अवैध के मकड़जाल में जनता को फंसाकर लखनऊ विकास प्राधिकरण के अधिकारी अपनी काली कमाई करते हैं। प्राधिकरण के अधिकारी नई योजनाओं को किसी सूरत में लागू नहीं करना चाहते हैं।
क्योंकि नई योजना लागू होते ही एलडीए के भ्रष्ट अधिकारियों/कर्मचारियों की काली कमाई बंद हो जाएगी।
लेकिन दुर्भाग्य की बात है लखनऊ विकास प्राधिकरण ना ही अपनी योजनाओं में बदलाव ला रहा और ना ही अपने उन भ्रष्ट अधिकारियों के ऊपर कार्यवाही करना चाहता है,जिनके संरक्षण में राजधानी में हजारों निर्माण हो गए। अवैध निर्माण को करने वालों से कहीं ज्यादा दोषी विभाग के वो अधिकारी हैं, जिनके क्षेत्र में उनके रहते उनके संरक्षण में इतने अवैध निर्माण हो गये।
अब देखने वाली बात यह होगी कि लखनऊ विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष एवं सरकार ऐसे भ्रष्ट रिश्वतखोर अधिकारियों और कर्मचारियों के ऊपर क्या कार्यवाही करता है।
ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों के ऊपर बाबा का बुलडोजर कब चलेगा यह देखने वाली बात होगी।

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