उत्तर प्रदेश। यूपी0राज्य सरकार ने विकास प्राधिकरण योजनाओं में भवन निर्माण के लिए नक्शा पास कराने पर 50 रुपये प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से जल शुल्क लेने का फैसला किया है। अभी तक लखनऊ और वाराणसी को छोड़कर अधिकतर में इसे नहीं लिया जा रहा है।
हर साल बढ़ेगा शुल्क
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में यह फैसला हुआ। इसके लिए जल शुल्क नियमावली-2022 को मंजूरी दी गई। अभी तक इसके लिए कोई नियमावली नहीं है। इससे पारदर्शी व्यवस्था लागू होगी। ले-आउट प्लान के मामलों में जल शुल्क भूमि के कुल क्षेत्रफल के आधार पर देय होगा।
बहुमंजिला भवन निर्माण पर सभी तलों व बेसमेंट को शामिल करते हुए कुल क्षेत्रफल के आधार पर इसे लिया जाएगा। मौजूदा निर्मित क्षेत्र से अतिरिक्त निर्माण करने पर भी जल शुल्क देय होगा। शमन के मामले में शमनीय तल क्षेत्रफल पर जल शुल्क देय होगा। जल शुल्क की दरों को हर साल एक अप्रैल से आयकर विभाग के कॉस्ट इंफलेशन इंडेक्स के आधार पर पुनरीक्षित किया जाएगा।
10 लाख से अधिक पर किस्त की सुविधा
जल शुल्क की धनराशि 10 लाख रुपये तक होने पर एकमुश्त भुगतान लिया जाएगा। इससे अधिक होने पर 10 लाख का भुगतान एकमुश्त और शेष को चार अर्धवार्षिक किस्तों में नौ प्रतिशत ब्याज के साथ लिया जाएगा।
इसके लिए बकाया धनराशि के समतुल्य बैंक गारंटी देनी होगी या उतने मूल्य की विक्रय योग्य भूमि प्राधिकरण के पक्ष में गिरवी रखनी होगी। शेष देय राशि का भुगतान होने पर बैंक गारंटी या बंधक भूमि छोड़ दी जाएगी। किस्तों के भुगतान में देरी होने पर नौ प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ 3.0 प्रतिशत वार्षिक चक्रवृद्धि की दर से दंड ब्याज लिया जाएगा।
योजना के बाहर जल शुल्क नहीं
विकास प्राधिकरण योजना के बाहर या जहां वह जल आपूर्ति कर पाने में असमर्थ होगा, वहां जल शुल्क देय नहीं होगा। वैधता अवधि के अंदर स्वीकृति के लिए प्रस्तुत पुनरीक्षित मानचित्र जिसके लिए जल शुल्क पूर्व में भुगतान किया जा चुका है उससे शुल्क नहीं लिया जाएगा।
वैधता अवधि बढ़ाने की स्थिति में पूर्व में जमा शुल्क को समायोजित करते हुए नक्शा पास करने की तिथि से लागू दर पर शुल्क लिया जाएगा। वैधता अवधि के उपरांत प्रस्तुत नक्शों के लिए पूर्व में जमा शुल्क के समायोजन के बाद उसके पास होने की तिथि से लागू दर पर जल शुल्क देय होगा।
मौजूदा व्यवस्था क्या है