आज़मगढ़ सरकारी अस्पतालों में नि:शुल्क ईलाज का दावा करने वालों की खुली पोल, सरकारी अस्पतालों में चल रही है मरीजों से लूट

Health स्थानीय समाचार

आजमगढ़ मंडली चिकित्सालय में सरकार की योजनाओं डॉक्टर दिखा रहे हैं ठेंगा।।

नि:शुल्क दवाओं की जगह बाहर की लिखी जा रही है दवाई।

सरकारी दवाओं को बता रहे हैं बेसर गरीब जनता हो रही है परेशान।

मंडलीय जिला अस्पताल में प्रतिदिन हजारों मरीजों की होती हैं ओपीडी, 90% लोगों को  लिखी जाती है कमीशन की दवाएं।

जिला चिकित्सालय में कमीशन खोरी का खेल चरम पर, प्रतिदिन लाखों रुपए की दवाएं लिखी जाती है बाहर से।

सरकारी जन औषधि केंद्र की दवा को बेसर बताकर बाहर से मांगते हैं दवाएं।

आजमगढ़, लाख प्रयास के बाद भी मंडलीय जिला अस्पताल में प्रमुख अधीक्षक के नाक के नीचे धड़ल्ले से चल रहा है कमीशन खोरी का खेल इस कमीशन के खेल पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। मरीजों को निशुल्क दवा दिए जाने की व्यवस्था है, लेकिन डाक्टर बाहर की कमीशन वाली दवा सरकारी पर्ची के साथ एक छोटी पर्ची पर लिख कर अपना बैंक बैलेंस बढ़ा रहे है। मरीजों के जेबों पर डाका डालने का काम किया जा रहा है। यहां दुर्घटना व गंभीर बीमारी से पीड़ित पहुंचने वाले मरीजों को सरकारी निशुल्क मिलने वाली दवा की जगह बाहर की महंगी कमीशन युक्त दवाएं डॉक्टर व उनके सहयोगी लिख रहे हैं। यहां तक की मरीज से कहा जाता है कि दवा लाकर चेक कर जाना अगर मरीज किसी अन्य प्रतिष्ठान से दवा ले लेता है तो यह कह कर वापस कर दिया जाता है कि यह असर नहीं करेगी।
सरकारी अस्पतालों में नि:शुल्क इलाज के साथ- साथ जांच व दवा उपलब्ध करने का दावा तो किया जाता है, लेकिन इसकी जमीनी हकीकत कुछ अलग ही है। यही नहीं कम दाम पर बेहतर दवा उपलब्ध कराने के लिए स्थापित जनऔषधि केंद्र भी कमीशन के आगे बेकार साबित हो रहा है। मरीज जब एक रुपये की पर्ची लेकर डॉक्टर के पास जाते हैं तो डॉक्टर बाहर मेडिकल स्टोरों पर मिलने वाली कमीशन की दवाओं के लिए एक छोटी पर्ची जरूर लिखते हैं। सबसे बड़ी बात तो यह है कि शिकायत के बाद भी स्वास्थ्य महकमा कार्रवाई व सख्त कदम उठाने का आश्वासन लोगों देकर अपना पल्ला झाड़ लेता है। वहीं आपातकालीन कक्ष का हाल तो यह है कि मरीजों व परिजनों को पता ही नहीं चलता कि यहां कौन स्वास्थ्य कर्मी है व कौन डॉक्टर। ऐसी स्थिति में परिजन मरीजों के इलाज के लिए इधर-उधर भटकते हैं।
जिला अस्पताल में लगभग 1000 से 1200 मरीज प्रतिदिन आते हैं। इनमें अधिकांश गरीब तबके के होते हैं। ये मरीज किसी तरह भाड़े का इंतजाम कर अस्पताल तो आ जाते हैं, लेकिन उन्हें डॉक्टर बाहर की दवाएं लिख रहे हैं। कुछ डॉक्टर मरीजों को बाहर की दवाइयां खरीदने के लिए कहते हैं। जब मरीज अस्पताल में मौजूद दवाइयां व जेनरिक दवाएं लिखने की बात करते हैं तो असरदार नहीं होने का हवाला देकर टाल देते हैं, और कहते हैं कि जल्द स्वस्थ होने के लिए बाहर की दवाइयां ही ठीक हैं। ये दवाइयां अंदर नहीं आती हैं। ऐसे में गरीब तबके के कई मरीजों के हाथ केवल परामर्श ही आता है।
जहां गरीब मरीजों की जेब कट रही, वहीं मुफ्त इलाज का दावा बेमानी साबित हो रहा है। गर्मी बढ़ने के साथ ही जिला अस्पताल में मरीजों की संख्या हर दिन बढ़ती ही जा रही है । डायरिया, सर्दी, जुकाम, बुखार व खांसी के 30 से 40 प्रतिशत मरीज पहुंच रहे हैं। मुफ्त उपचार की उम्मीद लेकर आने वाले मरीजों के साथ छलावा किया जा रहा है।
जिला अस्पताल में लगभग 250 प्रकार की जेनेटिक दवाएं उपलब्ध हैं। निशुल्क मिलने वाली सरकारी दवाइयां या तो बे असर है या तो वह दवाइयां उपलब्ध ही नहीं है जो डॉक्टर मरीज को उसके बीमारी के अनुसार बाहर से लेने के लिए लिखते हैं। आलम यहां तक है कि कोई मरीज भूल बस जन औषधि केंद्र से दवा ले लेता है और डॉक्टर को दिखाने के लिए जाता है तो वहां पर डॉक्टर और उनके सहयोगी यह कहकर दवा को वापस कर देते हैं कि यह दवाइयां कारगर नहीं है जो दवा लिखे हैं उसी दवा को लेकर आओ मरीज तो जन औषधि केंद्र से वही दवा लेकर आया रहता है जिसे वापस कर वह बाहर के प्रतिष्ठान से दवा लेकर आता है।
1- निजामाबाद कस्बा निवासी शुभम बरनवाल अपनी माता सुमित्रा देवी को फिजिशियन के यहां दिखाने आए थे डॉक्टर ने उनको बाहर से दवाइयां लाने के लिए कहा पर शुभम बाहर से दवा ना लेकर जन औषधि केंद्र से 400 रूपये की दवा लेकर डॉक्टर को दिखाने गए तो डॉक्टर और उनके सहयोगी ने कहा यह दवा कारगर नहीं है इसे वापस कर बाहर से दवा लेकर आओ, बाहर के प्रतिष्ठान से वही दवा 1100 रूपये का लेकर आए।
2- कंधरापुर के रहने वाले लकी पुत्र जगदीश को कमर में दिक्कत होने के वजह से ऑर्थो डॉक्टर को दिखाने आए थे डॉक्टर ने अलग पर्ची पर बाहर से दवा लेने के लिए लिखा।
3- थाना रानी सराय क्षेत्र के ऊंचे गांव के रहने वाले राधेश्याम सीने में चोट लगने के कारण जिला अस्पताल में डॉक्टर को दिखाने आए। डॉक्टर द्वारा उनको बाहर से दवा लेने के लिए लिखा गया पर उन्होंने जन औषधि केंद्र से 500 रूपये में दवा लिया। डॉक्टर को दिखाने के बाद दवा वापस कर बाहर के प्रतिष्ठान से वही दवा 1300 रूपये में लेकर आए।
3- बिलरियागंज थाना क्षेत्र के बरोही फतेहपुर के रहने वाले सदानंद अपनी बहू जया को फिजिशियन को दिखाने आए थे। डॉक्टर द्वारा उनको बाहर से दवा लेने के लिए लिखा गया।
4- महाराजगंज थाना क्षेत्र के ग्राम बसंतपुर रहने वाले सुधीर सिंह अपनी माता लीलावती को बुखार और उल्टी होने पर जिला अस्पताल में डॉक्टर को दिखाने आए तो उन्हें बाहर की दवा लिखी गई।
5- बिलरियागंज थाना क्षेत्र के माल ताड़ी के रहने वाले सूर्यभान सरोज को उल्टी और चक्कर आने पर डॉक्टर को दिखाने आए। पहले दिन डॉक्टर द्वारा लिखी गई बाहर की दवाइयां 1000 रूपये में लेकर आए। दूसरे दिन डॉक्टर द्वारा दोबारा बाहर की दवा लाने को कहा 2000 रूपये की दवा बाहर से लेकर आए।
6- कंधरापुर थाना क्षेत्र के ग्राम धनरसन अपनी पत्नी गीता को बुखार और कमजोरी होने पर डॉक्टर को दिखाने आए डॉक्टर ने उन्हें बाहर की एक हफ्ते की दवा लिखी जब बाहर दवा लेने गए वह दवा उनको 18 सौ रुपए पड़ी पैसा नहीं होने के कारण 600 में 2 दिन की दवा ली।
जहां सरकार गरीबों को मुक्त और बेहतर इलाज देने की कवायत में लगी हुई है वही मंडलीय जिला अस्पताल के डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मी सरकार के मंसूबे को चकनाचूर और धज्जियां उड़ाने में लगे हुए हैं। गरीब मरीज लूट रहे हैं डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मी मालामाल हो रहे हैं। प्रमुख अधीक्षक डॉक्टर अमोद कुमार से पूछने पर बताने से किया इनकार।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *