पल्लवी पटेल ने सपा से नाता तोड़ा तो सुनील सिंह ने सपा से नाता जोड़ा

Politics उत्तर प्रदेश

चौधरी साहब की असली पार्टी हमारे साथ, भाजपा हारेगी तो लोकतंत्र बचेगा- अखिलेश यादव

लखनऊ। लोकसभा चुनाव का एलान होते ही सियासी सरगर्मियां भी तेज़ हो गईं है। राजनीतिक दलों में टूटने और जुड़ने का सिलसिला भी शुरू हो गया है। अपना दल (कमेरावादी) ने समाजवादी पार्टी से अपना नाता तोड़ लिया है। बता दें कि अपना दल (कमेरावादी) की फूलपूर से विधायक पल्लवी पटेल बुधवार को समाजवादी पार्टी से अपना नाता तोड़ते हुए फूलपुर, मिर्जापुर और कौशांबी लोकसभा सीट से प्रत्याशी उतारने की घोषणा की, लेकिन इसी बीच सपा ने भी मिर्जापुर सीट पर उम्मीदवार के नाम का एलान कर दिया। इधर लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुनील सिंह ने समाजवादी पार्टी तथा इंडिया गठबंधन को अपना समर्थन देने का एलान कर दिया है। बृहस्पतिवार को एक सपा कार्यालय में प्रेसवार्ता कर दोनों दलों के नेताओं ने इसका एलान कर दिया।
प्रेस को संबोधित करते हुए सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि समाजवादी पार्टी को पांच दशक पुरानी देश के पूर्व प्रधानमंत्री रहे चौधरी चरण सिंह की असली पार्टी लोकदल का समर्थन आज उन्हें मिला है। वहीं प्रेस को संबोधित करते हुए लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुनील सिंह ने राष्ट्रीय लोकदल(आरएलडी) को डुप्लीकेट पार्टी क़रार देते हुए कहा कि जयंत चौधरी ने एनडीए में शामिल होकर आंदोलन कर रहे किसानों के साथ धोखा किया है जिसका जवाब इस चुनाव में देने के लिए किसान तैयार है। उन्होंने कहा कि लोकदल सपा तथा इंडिया गठबंधन के साथ मिलकर मज़बूती से चुनाव लड़ने की तैयारी कर चुका है।
प्रेसवार्ता में अखिलेश यादव ने कहा कि लोकसभा चुनाव में यदि भाजपा हारती है तो देश का लोकतंत्र सुरक्षित होगा, देश भी सुरक्षित होगा। उन्होंने कहा कि भाजपा चुनाव जीतने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है इसके लिए हमें मतदान होने तक सावधान रहने की ज़रूरत है। भाजपा से हमें मिलकर बूथ की रक्षा करनी होगी। इलेक्टोरल बाॅण्ड पर बोलते हुए अखिलेश ने कहा कि चंदा चोरी और वसूली में भाजपा सबसे आगे है। वहीं बदायूं कांड पर बोलते हुए अखिलेश ने कहा कि योगी सरकार से क़ानून व्यवस्था की कोई उम्मीद नहीं।
लोकदल का राजनैतिक सफ़रनामा
लोकदल की स्थापना किसान नेता चौधरी चरण सिंह ने ही की थी। 26 सितंबर 1979 को जनता पार्टी (सेक्यूलर), सोशलिस्ट पार्टी और उड़ीसा जनता पार्टी का आपस में विलय कर लोकदल पार्टी की स्थापना की गई थी। चौधरी चरण सिंह इसके अध्यक्ष तो राज नारायण कार्यकारी अध्यक्ष बनाये गये थे। अगस्त 1982 में लोकदल में बड़ी टूट हुई जिसमें एक गुट चौधरी चरण सिंह के साथ हो लिया तो दूसरे गुट में कर्पूरी ठाकुर, मधु लिमये, बीजू पटनायक, देवीलाल, जार्ज फ़र्नांडीस, कुंभ राम आर्य शामिल थे। जनवरी 1983 में कर्पूरी ठाकुर के नेतृत्व वाले लोकदल का जनता पार्टी में विलय हो गया। 21 अक्टूबर 1984 को लोकदल हेमवती नंदन बहुगुणा की डेमोक्रेेटिक सोशलिस्ट पार्टी, रतुभाई अडानी की राष्ट्रीय कांग्रेस तथा देवीलाल की जनता पार्टी के कुछ नेताओं ने मिलकर एक साथ विलय कर दलित मज़दूर किसान पार्टी का गठन किया। बाद में इसका नाम बदलकर पुनः लोकदल कर दिया गया। फ़रवरी 1987 में लोकदल दो गुटों में विभाजित हो गया। अजित सिंह का लोकदल(ए) बना तथा हेमवती नंदन बहुगुणा का लोकदल(बी)। बाद में अजित सिंह ने यूपी विधानसभा में लोकदल के नेता रहे मुलायम सिंह यादव को हटा कर सत्यपाल सिंह यादव को लोकदल का नेता बना दिया। इसके बाद मई 1988 में अजित सिंह ने लोकदल का जनता पार्टी में विलय कर दिया और जनता पार्टी के अध्यक्ष बन गये। इस बीच सुनील सिंह के नेतृत्व में लोकदल का एक गुट उसमें नहीं गया जो आज भी यूपी में लोकदल के नाम से ही सक्रिय है। इसी लोकदल ने सपा के साथ मिलकर इंडिया गठबंधन को अपना समर्थन देने का एलान किया है।

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