भाजपा ने निषाद समाज के साथ की है वादा खिलाफी,खून से पत्र लिखने का नाटक कर रहे संजय निषाद-लौटनराम निषाद 

Politics उत्तर प्रदेश

 

लखनऊ। भारतीय ओबीसी महासभा,राष्ट्रीय निषाद संघ द्वारा मस्तेमऊ गोमती नगर विस्तार में आयोजित सम्मेलन को संबोधित करते हुए चौधरी लौटनराम निषाद ने भाजपा पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया और कहा कि भाजपा ने निषाद समाज को आरक्षण का लॉलीपॉप दिखाकर वोट तो लिया पर सरकार बनने के बाद वादा पूरा नहीं किया।उन्होंने कहा कि भाजपा के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी व स्वर्गीया सुषमा स्वराज जी ने 5 अक्टूबर 2012 को मछुआरा दृष्टिपत्र जारी करते हुए 2014 में सरकार बनने पर आरक्षण की विसंगति दूर कराकर निषाद मछुआरा समुदाय की जातियों को एससी/एसटी का आरक्षण दिलाने का संकल्प लिया था।

उन्होंने मत्स्य मंत्री संजय कुमार निषाद द्वारा आरक्षण के लिए प्रधानमंत्री,गृहमंत्री के नाम खून से पत्र लिखने को ढोंग बताते हुए कहा कि संजय निषाद ने निषाद, कश्यप, बिन्द समाज को झूठा सपना दिखाकर सिर्फ पारिवारिक हित साधने और सौदेबाजी करने का काम किया है।संजय निषाद और ओमप्रकाश राजभर जैसे परिवारवादी और सौदेबाजी करने वाले नेताओं के चलते आरक्षण का मुद्दा भाजपा ने दफन कर दिया। निषाद, बिन्द,केवट, मल्लाह, धीवर, राजभर, प्रजापति आदि जातियों को आरक्षण व अधिकार नहीं मिल पाया।उन्होंने कहा कि कहाँ गया भाजपा का मछुआरा दृष्टिपत्र व भाजपा का संकल्प।निषाद ने कहा कि भाजपा सरकार ने मछुआरों के परम्परागत अधिकारों-बालू खनन, मत्स्य पालन पट्टा की प्रणाली को खत्म कर सार्वजनिक कर दिया है जिससे निषाद मछुआरा समाज बेकारी की स्थिति में पहुंच गया है।भाजपा सरकार ने निषादराज जयन्ती के सार्वजनिक अवकाश को खत्म कर दिया, वीरांगना फूलन देवी की 18 प्रतिमाओं जब्त कराकर लगने नहीं दिया।भाजपा पिछड़ों, दलितों, वंचितों के संवैधानिक अधिकारों को खत्म करने और सरकारी ने संस्थानों, उपक्रमों का निजीकरण करने में जुटी हुई है। उन्होंने ओबीसी, एससी,एसटी और निषाद मछुआरा समाज से लोकतंत्र,संविधान,अधिकार बचाने के लिए एनडीए को हराने और इंडिया को जिताने के लिए जागरूक एवं एकजुट होने का आह्वान किया।जाति को जमात में बदलने का आह्वान करते हुए कहा कि पिछड़ों वंचितों के आरक्षण, अधिकार और सम्मान की विरोधी भाजपा कभी ओबीसी,एससी,एसटी की हितैषी नहीं हो सकती।पाखंड, अंधविश्वास को पिछड़ों, दलितों के विकास में बाधक बताते हुए कहा कि बुद्ध का मार्ग ही विकास पथ पर ले जा सकता है? सम्मेलन को गयाप्रसाद धुरिया,अनुराग यादव,अजय कुमार कश्यप, पप्पू निषाद,विजय कुमार वर्मा, संतोष रावत,दिनेश प्रजापति,सुनील राजभर, संतोष कुमार सहनी,लव कुमार निषाद, सानू निषाद, सुजीत लोधी आदि ने संबोधित किया।

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