राजस्व विभाग की बड़ी लापरवाही, मुआवजे के बाद भी नेशनल हाईवे की जमीन अभी तक किसानों के नाम

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आजमगढ़। बताते चलें कि लगभग 7 साल पहले नेशनल हाईवे का निर्माण किया जाना था जिसको लेकर लगभग सात साल पहले नेशनल हाइवे के लिए किसानों से लगभग 3500 करोड़ से अधिक रुपये खर्च कर जमीन खरीदी गई।

जनपद में लगभग हाइवे का निर्माण भी पूरा हो गया लेकिन अभी तक यह जमीन किसानों के नाम से ही पड़ी हुई है। इस मामले के संज्ञान में आते ही एडीएम प्रशासन ने संबंधित अमीनो को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया। जिसमें कहा कि अगर जल्द से जल्द इस मामले का निस्तारण नहीं करते हैं तो उनका वेतन रोक दिया जाएगा। वर्ष 2016 में एनएच 233 के निर्माण के लिए जनपद की छह तहसीलों में जमीनों का अधिग्रहण किया गया। इस दौरान किसानों से लगभग 200 हेक्टेयर से अधिक जमीनों का अधिग्रहण हुआ। अधिग्रहण के बाद किसानों से जमीन का बैनामा कराया गया और उनमें लगभग 3500 करोड़ से अधिक के मुआवजे का वितरण किया गया। इस दौरान जनपद की छह तहसीलों बूढ़नपुर, लालगंज, सगड़ी, निजामाबाद, मेंहनगर और सदर तहसील के किसानों से जमीन का अधिग्रहण हुआ। जनपद में लगभग एनएच 233 का निर्माण पूरा भी हो चुका है। लगभग सात साल का लंबा समय बीतने के बाद अभी तक यह जमीन किसानों के नाम से ही दर्ज है। शुक्रवार को यह मामला एडीएम प्रशासन अनिल कुमार मिश्र के समक्ष प्रस्तुत हुआ। जिसे संज्ञान लेते हुए उन्होंने तत्काल संबंधित अमीनो को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया। जिसमें कहा गया है कि अगर उनके द्वारा जल्द इस काम को पूरा नहीं किया जाता है तो उनके वेतन को रोक दिया जाएगा। एडीएम प्रशासन ने बताया कि अमीनों की लापरवाही से अभी तक यह कार्य पूरा नहीं हो पाया है। इसके लिए उनको नोटिस जारी किया गया है। है। इसमें बहुत से मामले कोर्ट में लंबित हैं। लेकिन जिन किसानों ने जमीन का बैनामा कर दिया है। उनकी जमीन राष्ट्रीय राज मार्ग प्राधिकरण के नाम करने का निर्देश दिया गया है। ऐसा न करने पर अमीनो का वेतन रोका जाएगा।

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