रोबोटिक सर्जरी में एसजीपीजीआई ने रचा इतिहास,500 से ज़्यादा सफ़ल रोबोटिक सर्जरी कर बना भारत का पहला सरकारी संस्थान

Health उत्तर प्रदेश

लखनऊ। आधुनिक तकनीकि की इस युग में जहां बीमारियों तथा मरीज़ों की तादाद बढ़ती जा रही है वहीं चिकित्सा के क्षेत्र मे नित नये तकनीकि उपकरणों के प्रयोग से मरीज़ का बेहतर इलाज करने और उन्हें स्वास्थ्य सेवाएं उचित दरों पर देने पर भी चिकित्सक कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। आधुनिक तकनीकि की युग में मरीज़ों की आसानियां बढ़ती जा रही हैं। ऐसी ही आधुनिक तकनीकि का प्रयोग करते हुए राजधानी लखनऊ के सबसे प्रतिष्ठित चिकित्सा संस्थान एसजीपीजीआई के चिकित्सकों ने रोबोटिक सर्जरी के द्वारा 500 से अधिक सफ़ल ऑपरेशन को अंजाम देकर न सिर्फ़ राजधानी लखनऊ को गौरवांवित किया है बल्कि रोबोटिक सर्जरी मे इतनी बड़ी संख्या में ऑपरेशन कर भारत का पहला सरकारी चिकित्सा संस्थान बनने का गौरव हासिल किया है।

एसजीपीजीआई यूरोलॉजी विभाग के यूरो सर्जन एवं विभागाध्यक्ष डॉ एमएस अंसारी ने बुधवार को एक प्रेसवार्ता में इस उपलब्धि की जानकारी देते हुए बताया कि यूरोसर्जरी में इस विधि का प्रयोग बेहद कारगर साबित हुआ है। उन्होंने बताया कि अप्रैल 2019 में एसजीपीजीआई में द विन्ची नामक रोबोट की स्थापना की गई थी। तब से आज तक रोबोटिक सुविधा के द्वारा 500 से अधिक सफ़ल आपरेशन किये जा चुके हैं। इस अवसर पर कार्डियोथोरेसिक एवं वासकुलर सर्जरी विभाग के डॉ शान्तनु पांडे ने बताया कि रोबोटिक सर्जिकल सुविधा का प्रयोग यूरोलॉजी, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सर्जरी, कार्डियोवैस्कुलर और एंडोक्राइन सर्जरी जैसे में किया जा रहा है। अधिकतम मामले यूरोलॉजी और रीनल ट्रांसप्लांटेशन विभाग द्वारा किए गए हैं, जो कुल मामलों का लगभग 65 प्रतिशत है, जिसमें पीडियाटिक यूरोलॉजी और यहां तक कि किडनी प्रत्यारोपण भी शामिल है। डॉ शान्तनु ने बताया कि जनवरी 2021 से विभाग ने रोबोटिक सर्जरी करना शुरू किया। कोविड संक्रमण की दूसरी लहर के कारण इसमें कुछ व्यवधान ज़रूर हुआ। तब से विभाग ने 46 प्रक्रियाओं का निष्पादन किया। इनमें से अधिकांश रोबोटिक असिस्टेड कोरोनरी आर्टरी बाईपास ग्राफ्टिंग (आरएसीएबी) हैं। वहीं डॉ अंसारी ने बताया कि यह हम सभी के लिए अत्यंत गर्व की बात है यूपी की राजधानी लखनऊ का यह संस्थान रोबोटिक तरीके से गुर्दा प्रत्यारोपण करने वाला पहला सरकारी केंद्र बन गया है। डॉ अंसारी ने बताया कि संस्थान के निदेशक प्रो. आर के धीमान ने 500 से अधिक सफलतापूर्वक रोबोटिक सर्जरी करने की उपलब्धि हासिल करने के लिए पांच विभागों की पूरी टीम को बधाई दी है। प्रो धीमान ने कहा कि अब हम राज्य के अधिक से अधिक योग्य रोगियों को समायोजित करने के लिए इस सुविधा को और बढ़ाने और दूसरी रोबोटिक प्रणाली खरीदने की स्थिति में हैं।

क्या होता है रोबोटिक सर्जरी?

रोबोटिक सर्जरी जिसे रोबोट-असिस्टेड सर्जरी भी कहा जाता है, सर्जन कई प्रकार की जटिल सर्जरी को लैप्रोस्कोप या ओपन सर्जरी जैसी पारंपरिक तकनीकों की तुलना में अधिक सटीकता, लचीलेपन और नियंत्रण के साथ कर सकते हैं। रोबोटिक सर्जिकल सिस्टम में एक कैमरा आर्म और 3 से 4 मैकेनिकल आर्म्स के साथ सर्जिकल उपकरण जुड़े होते हैं। ऑपरेटिंग

टेबल के पास एक कंप्यूटर कंसोल पर बैठे हुए सर्जन आर्म्स को नियंत्रित करता है। कंसोल सर्जन को सर्जिकल साइट का हाई- डेफिनिशन, बढ़ा हुआ, 3-आयामी (3डी) दृश्य देता है। सर्जन टीम के अन्य सदस्यों का नेतृत्व करता है जो ऑपरेशन के दौरान सहायक होते हैं।

रोबोटिक सर्जरी की लागत की बात की जाए तो उत्तर प्रदेश सरकार ने एसजीपीजीआई के लिए इस अत्याधुनिक रोबोटिक प्रणाली में निवेश कर रोबोटिक सर्जरी को राज्य के लोगों तक पहुंचाया है। संस्थान में रोबोटिक सर्जरी का खर्च निजी क्षेत्र के कॉर्पोरेट अस्पतालों की लागत का एक अंश मात्र है।

रोबोटिक सर्जरी के लाभः

रोबोटिक सर्जरी वास्तविक अर्थों में एक न्यूनतम इनवेसिव सर्जरी है, जिसमें छोटे चीरे लगते है, जो बहुत कम निशान छोड़ते हैं और मुश्किल से दिखाई पड़ते हैं। कॉस्मेटिक रूप से आकर्षक कहा जा सकता है।
इसमें ख़ून का स्राव और दर्द कम होता है।
अस्पताल में रहने का कम समय,शीघ्र स्वास्थ्य लाभ होना और जल्दी ही नियमित दिनचर्या पर लौटना।
विभिन्न रोगों के लिए की जाने वाली रोबोटिक सर्जरी इस प्रकार हैंः

यूरोलॉजी और रीनल प्रत्यारोपण विभागः
प्रोस्टेट कैंसर (रेडिकल प्रोस्टेटेक्टॉमी), किडनी कैंसर (रेडिकल एंड पार्शियल नेफरेक्टोमी), किडनी ब्लॉकेज (पाइलोप्लास्टी) और यूरेटर्स (रीइम्प्लांटेशन), कम क्षमता वाला यूरिनरी ब्लैडर (ऑग्मेंटेशन सिस्टोप्लास्टी), न्यूरोजेनिक ब्लैडर (मिट्रोफानॉफ), यौन विकास के विकार और गुर्दा प्रत्यारोपण।
सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभागः
खाने की नली के कैंसर की सर्जरी (रोबोटिक थोरैकोस्कोपिक एसोफैगक्टोमी), पित्त की सर्जरी (बिलियरी सर्जरी) कोलेडोकल सिस्ट, हेपेटिक-लिथियासिस, सीबीडी स्टोन), अग्नाशय के ट्यूमर के लिए अग्नाशय की सर्जरी (स्पलीन प्रिजर्विंग डिस्टल पैनक्रिएटक्टोमी), कोलो-रेक्टल कैंसर सर्जरी (एंटीरियर रिसेक्शन, एब्डोमिनो-पेरिनियल रिसेक्शन, हेमीकोलेक्टॉमी), एसोफैगल नॉन-कैंसर सर्जरी ( ट्रैकियो एसोफैगल फिस्टुला, लेयोमायोमा, डेंचर इम्पेक्शन, जीआईएसटी)

कार्डियोथोरेसिक और वैस्कुलर सर्जरी विभागः
यह कोरोनरी धमनी रोग के लिए एक अत्यधिक विशिष्ट ऑपरेशन है, जिसमें 2 इंच का छोटा चीरा लगाया जाता है। विभाग ने अब तक ऐसी 38 प्रक्रियाएं की हैं और उनमें से अधिकांश उनसजप अमेमस कपेमेंम (बहुवाहिनी) रही हैं। जबकि अन्य प्रक्रियाएं थोरैसिक प्रक्रियाएं हैं, जिनमें ट्यूमर और फेफड़े की गांठ का एक्सीशन रीसेक्शन शामिल हैं। लोबेक्टोमी (फेफड़े के एक हिस्से को निकालना) एक जटिल ऑपरेशन भी विभाग में किया गया है।

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