एसजीपीजीआई में विश्व उच्च रक्तचाप दिवस जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन,भारत में, उच्च रक्तचाप की संख्याएं समान रूप से भयावह

Health उत्तर प्रदेश

लखनऊ। एक साधारण रक्तचाप जांच से जान बच सकती है। ‘उच्च रक्तचाप आपके दरवाजे पर दस्तक दे सकता है, लेकिन यह आपकी पसंद है कि आप इसे अंदर आने दें या नहीं।’ यह थीम एसजीपीजीआई, लखनऊ में आयोजित विश्व उच्च रक्तचाप दिवस जागरूकता कार्यक्रम में दर्शकों के बीच गूंजी। यह कार्यक्रम अस्पताल प्रशासन विभाग, कार्डियोलॉजी और सामान्य अस्पताल के विभागों द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया।

कार्यक्रम में प्रो. देवेंद्र गुप्ता, सीएमएस; डॉ आदित्य कपूर, कार्डियोलॉजी विभागाध्यक्ष, डॉ पियाली भट्टाचार्य, वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ, डॉ अंकित साहू, एडीशनल प्रोफेसर, कार्डियोलॉजी तथा डॉ सौरभ सिंह, सहायक प्रोफेसर, अस्पताल प्रशासन सहित कई सम्मानित अतिथि उपस्थित थे। कार्डियोलॉजी की सहायक प्रोफेसर डॉ अर्पिता कठेरिया ने ‘उच्च रक्तचाप को समझना, साइलेंट किलर’ विषय पर एक आकर्षक व्याख्यान दिया, जिसमें इसके विषय में जागरूकता और प्रबंधन के महत्व पर प्रकाश डाला गया। इस दौरान दर्शकों ने सक्रिय रूप से प्रासंगिक प्रश्न पूछे तथा विशेषज्ञों से बातचीत की। कार्यक्रम का समापन अस्पताल प्रशासन विभाग के रेजिडेंट्स डाक्टरो द्वारा आयोजित एक प्रश्नोत्तरी के साथ हुआ, जिसमें डॉ. अक्षिता, वैष्णवी, कृतिका और अनमोल शामिल थे।

विश्व उच्च रक्तचाप दिवस 2025 पर, दुनिया भर के स्वास्थ्यकर्मी एक बार फिर चुप लेकिन जानलेवा स्थिति- उच्च रक्तचाप के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए एक साथ आए हैं। वैश्विक स्तर पर, 30-79 वर्ष की आयु के 1.28 बिलियन से अधिक वयस्क उच्च रक्तचाप से पीड़ित हैं, लेकिन लगभग 50प्रतिशत अपनी स्थिति से अनजान हैं। भारत में, संख्याएं समान रूप से भयावह हैं और उच्च रक्तचाप एक व्यापक सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती बन गया है। प्रत्येक तीन में से एक वयस्क उच्च रक्तचाप से पीड़ित है। उनमें से, 50 प्रतिशत से अधिक का निदान नहीं किया गया है जबकि केवल 20 प्रतिशत का रक्तचाप नियंत्रण में है। यह हृदय रोग का एक प्रमुख कारण है, जो भारत में कुल मौतों में से 27 प्रतिशत से अधिक का कारण बनता है।

डॉ. प्रेरणा कपूर ने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि उच्च रक्तचाप अक्सर चुपचाप होता है, लेकिन अगर इसे अनदेखा किया जाए तो यह दिल का दौरा, स्ट्रोक और किडनी फेलियर जैसी गंभीर समस्याओं का कारण बन सकता है। उन्होंने टिप्पणी की कि नियमित जांच के माध्यम से प्रारंभिक पहचान रोकथाम और नियंत्रण की कुंजी है।सत्र में इस तथ्य पर भी विस्तार से चर्चा की गई कि वर्तमान पीढ़ी अधिक तनाव, खराब आहार और निष्क्रिय आदतों का सामना कर रही है। यदि समय रहते इसका समाधान नहीं किया गया, तो उच्च रक्तचाप युवा वयस्कों में भी स्ट्रोक या दिल की विफलता का कारण बन सकता है। इस वर्ष का विषय व्यक्तियों को “रक्तचाप को सही तरीके से मापने” और समय पर चिकित्सा सलाह लेने के लिए प्रोत्साहित करता है,त्वरित तथ्य- सामान्य रक्तचाप 120/80 mmHg से कम, उच्च रक्तचाप 140/90 mmHg और उससे अधिक उच्च रक्तचाप बिना किसी लक्षण के हो सकता है। समय पर उपचार से 90 प्रतिशत जटिलताओं को रोका जा सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *