एक तरफ योगी सरकार महिला सशक्तिकरण की बात करती है और महिला सशक्तिकरण को लेकर काफी गंभीर है एवं महिलाओं की सुरक्षा को लेकर नित नए आदेश जारी कर रही है।
ताजा मामला राजधानी लखनऊ के कमिश्नरेट पुलिस का है जो कि सुधरने का नाम नहीं ले रही है।
महिला उत्पीड़न एवं शोषण जैसे गंभीर मामलों में भी थाने के जिम्मेदार दोषियों को संरक्षण देने का काम कर रहे हैं।
आपको बता दें कि राजधानी लखनऊ के थाना मड़ियांव क्षेत्र का एक मामला सामने आया है,जहां एक युवती का 4 साल से एक बिल्डर के द्वारा शोषण किया जा रहा था।
इस मामले में महिला के द्वारा 4 महीने पहले थाने में एफआईआर लिखवाई गई,
लेकिन थाना प्रभारी महोदय बिल्डर के ऊपर कार्रवाई करने के बजाय उल्टा पीड़ित महिला पर समझौता करने का लगातार दबाव बना रहे हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार थाना मड़ियांव क्षेत्र के फैजुल्लागंज निवासी आफरीन पुत्री शकील खान का थाना हसनगंज क्षेत्र के मोहल्ला मक्कागंज निवासी अनीस अहमद पुत्र जहूर अहमद के पिछले 5 वर्षों से प्रेम संबंध स्थापित था।
इस बीच अनीस शादी के वादे किए और आफरीन को लव इन रिलेशनशिप में रखे हुए था। इस दौरान आफरीन के एक पुत्र भी पैदा हो गया विगत 1 वर्ष से अनीस का आफरीन से दिल भर गया,तो उसे छोड़कर अलग रहने लगा।
आफरीन ने अनीस को मनाने की बहुत कोशिश की लेकिन अनीस हिंसा पर उतारू हो गया और आफरीन से मारपीट करने लगा।
थक हार कर और हताश होने के बाद आफरीन ने थाना मड़ियांव में लिखित तहरीर दी।
जिस पर एफआईआर भी दर्ज हो गई,लेकिन बिल्डर अनीस के रसूख के आगे मड़ियांव थाने की पुलिस पिछले 4 महीनों से हाथ पर हाथ धरे बैठी हुई है और लगातार पीड़िता आफ़रीन के ऊपर अनीस के साथ समझौता करने का दबाव बना रही है।
इस दौरान बिल्डर अनीस ने आफरीन के ऊपर रिपोर्ट वापस लेने का दबाव बनाने के लिए लगातार धमकी दे रहा है और स्पष्ट शब्दों में आफ़रीन से कहता है कि रिपोर्ट वापस ले लो अन्यथा जान से हाथ धोना पड़ेगा।
ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं उत्तर प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ के महिला सशक्तिकरण के सभी दावे केवल जुमले ही साबित होते नजर आ रहे हैं।
अब देखने वाली बात यह होगी कि पीड़िता आफ़रीन के साथ लखनऊ कमिश्नरेट के मड़ियांव थाने की पुलिस न्याय करती है या दोषियों के साथ मिलकर महिला के ऊपर दवा बनाने का काम करती है।