नगर निगम अमीरों पर मेहरबान,गरीबों को कर रही परेशान

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यूं तो राजधानी लखनऊ को स्मार्ट सिटी नंबर वन का तमगा मिल चुका है।
लेकिन राजधानी लखनऊ स्मार्ट सिटी के रूप में धरातल पर कहीं भी दिखता नजर नहीं आ रहा।
बता दें कि राजधानी लखनऊ में पिछले कई दिनों से अवैध अतिक्रमण को हटाने का काम चल रहा है, इसी कड़ी में पटरी दुकानदारों को भी हटाया जा रहा है।
लेकिन उन पटरी दुकानदारों के लिए उचित जगह नगर निगम नहीं दे पा रही,नगर निगम की इस कार्यवाही में हजारों पटरी दुकानदार भुखमरी की कगार पर पहुंच रहे हैं।
आलम यह है कि ये पटरी दुकानदार स्थानीय पुलिस प्रशासन के खौफ से बुरी तरह डरे हुए हैं।
राजधानी लखनऊ के आलमबाग जोन 5 के अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही में सैकड़ों पटरी दुकानदार भुखमरी की कगार पर आ गए हैं। वर्षों से लगने वाली आलमबाग सब्जी मंडी के सब्जी विक्रेता सबसे ज्यादा नगर निगम के इस कार्यवाही से त्रस्त हुए हैं।
लेकिन नगर निगम जोन 5 का सौतेला रवैया किसी के समझ में नहीं आ रहा।
आलमबाग चौराहे से अवध चौराहे की तरफ सड़क के दोनों तरफ शोरूम के सामने लगभग आधी सड़क पर फल विक्रेता,शोरूम मालिक, सोने के आभूषण बनाने वाले दुकानदारों द्वारा सड़क पर अतिक्रमण किया गया है।
इसके साथ ही मोटरसाइकिल स्टैंड के नाम पर भी अतिक्रमण किया गया है।
लेकिन नगर निगम के अधिकारियों को यह अतिक्रमण नहीं दिखता है।
वहीं आलमबाग चौराहे से लेकर चारबाग तक नगर निगम ने पटरी दुकानदारों के ऊपर इस कदर अपना चाबुक चलाया है।
जैसे लगता है कि पूरे शहर का कायाकल्प हो जाएगा।
लेकिन सारी हकीकत आलमबाग चौराहे से अवध चौराहे की तरफ बढ़ते ही नजर आ जाती है।
मोटरसाइकिल स्टैंड, दुकानदारों,शोरूम मालिकों एवं फल विक्रेताओं के द्वारा आधी सड़क को घेर लिया जाता है।
जो साफ-साफ नजर आता है,जिसकी वजह से सुबह 10:00 बजे से लेकर रात के 9:00 बजे तक यातायात बाधित रहता है।
लेकिन यह समस्या ना तो उस क्षेत्र के पुलिस प्रशासन को दिखाई देती है और ना ही नगर निगम के अधिकारियों/कर्मचारियों को।
उसके पीछे का कारण इतना है कि इन सभी अवैध अतिक्रमणकारियों से नगर निगम को अच्छी खासी मोटी रकम मिलती है।
वहीं दूसरी तरफ पटरी दुकानदारों और सब्जी विक्रेताओं से उतनी कमाई नहीं होती, जितनी नगर निगम व स्थानीय प्रशासनिक अधिकारी चाहते हैं।
यही कारण है कि पटरी दुकानदारों के ऊपर नगर निगम का चाबुक केवल गरीब पटरी दुकानदारों के लिए ही चल रहा है।
अब देखने वाली बात यह होगी कि इन पटरी दुकानदारों को न्याय मिलता है या नहीं।
या रसूखदार धन्नासेठ दुकानदारों के द्वारा दिए जा रहे रिश्वत के आगे इन गरीबों की फरियाद कोई सुनता है या नहीं।

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