बलिया में पत्रकार को फंसाए जाने के विरोध में वर्किंग जर्नलिस्ट आफ इंडिया एवं अन्य संगठन संगठनों का राजधानी लखनऊ में ज़ोरदार विरोध प्रदर्शन

Press Release उत्तर प्रदेश

राजधानी लखनऊ में बलिया जिला प्रशासन द्वारा उत्तर प्रदेश बोर्ड के इंटरमीडिएट प्रश्न पत्र लिखकर मामले में बलिया के तीन निर्दोष पत्रकार अजीत ओझा दिग्विजय सिंह एवं मनोज गुप्ता को अनर्गल आरोप लगाकर प्रशासन द्वारा जेल भेज दिया गया।
जिसके विरोध में आज राजधानी लखनऊ में वर्किंग जर्नलिस्ट आफ इंडिया के बैनर तले कई पत्रकार संगठनों ने जीपीएस स्थित गांधी प्रतिमा से लेकर परिवर्तन चौक तक पैदल मार्च किया एवं जिला प्रशासन एवं प्रशासन के खिलाफ जोरदार नारे लगाए। आपको बता दें कि जनपद बलिया में दशकों से बोर्ड की परीक्षा में नकल की बातें सामने आती रही हैं। यह भी बताना जरूरी है कि हाई स्कूल संस्कृत विषय की परीक्षा शुरू होने से पहले ही उसका हल किया प्रश्नपत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका था। इस बात की जानकारी जिला अधिकारी बलिया एवं जिला विद्यालय निरीक्षक को भी थी,लेकिन इस बात को जिला प्रशासन लिक नहीं करना चाहता था, लेकिन इस बात की खबर पत्रकार को मिलते ही सभी प्रमुख समाचार पत्रों में प्रकाशित कर दिया गया। 30 मार्च 2022 को ही अमर उजाला ने प्रश्नपत्र के चित्र के साथ समाचार पत्र प्रकाशित कर दिया। समाचार पत्र प्रकाशित होने के बाद शासन ने संज्ञान लिया और 24 जिलों में परीक्षा को रद्द कर दिया।
प्रश्नपत्र आउट मामले को लेकर बलिया जिला प्रशासन से सवाल जवाब करने के लिए दोपहर करीब 12:00 बजे अमर उजाला बलिया कार्यालय से शिक्षा विभाग की भीड़ को दिखाने वाले वरिष्ठ पत्रकार अजीत ओझा को पुलिस ने जबरदस्ती गिरफ्तार कर लिया और शाम तक मुकदमा दर्ज करके जेल भी भेज दिया। अगले दिन अमर उजाला से जुड़े पत्रकार दिग्विजय सिंह और राष्ट्रीय सहारा अखबार के मनोज गुप्ता को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। इसमें सबसे बड़ी बात यह रही अभी तक जिला प्रशासन इन पत्रकारों की गिरफ्तारी को लेकर उनका दोष नहीं बता पाई। पत्रकारों के साथ लगातार हो रहे दुर्व्यवहार और उत्पीड़न को लेकर वर्किंग जर्नलिस्ट एसोसिएशन एवं आईना एवं आईरा संगठन के पदाधिकारियों ने सरकार से मांग की है कि सभी पत्रकारों के हित को देखते हुए पत्रकारों के ऊपर अनर्गल मुकदमों को वापस लिया जाए, साथ ही साथ पत्रकारों को गलत तरीके से फंसाने वाले अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो। पत्रकार सुरक्षा का कानून बनाया जाए। मीडिया आयोग का गठन किया जाए।
गैर मान्यता प्राप्त पत्रकारों को स्वास्थ्य सुविधा देने के लिए उन्हें आयुष्मान भारत योजना से जोड़ा जाए। 60 वर्ष से ऊपर के पत्रकारों को ₹20000 की मासिक पेंशन दी जाए। देश में ईपेपर को मान्यता दी जाए। पत्रकारों को रियायती दरों पर भूखंड आवंटित किए जाएं। जिला स्तर पर प्रेस क्लब व मीडिया सेंटर बनाए जाएं। महिला पत्रकारों के लिए हॉस्टल बनाए जाएं। पत्रकारों के आकस्मिक मृत्यु होने पर उनके परिवार को आर्थिक सहायता दी जाए। मीडिया से जुड़े कानूनी मामलों को जल्द से जल्द निपटाने के लिए अलग आयोग बनाया जाए। वर्किंग जर्नलिस्ट्स ऑफ इंडिया के प्रदेश अध्यक्ष पवन श्रीवास्तव ने सभी मांगों से संबंधित ज्ञापन भारत के प्रधानमंत्री एवं उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री, राज्यपाल महोदय के नाम ज्ञापन अपर पुलिस कमिश्नर को सौंपा।
इस अवसर पर राजधानी लखनऊ के तमाम दिग्गज वरिष्ठ पत्रकार प्रदर्शन में उपस्थित रहे।

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