उत्तर प्रदेश सरकार स्वास्थ्य सेवा को और बेहतर बनाने की लगातार प्रयास कर रही है,लेकिन इसके बावजूद सरकारी अस्पतालों की स्थिति सुधरती नहीं नजर आ रही है।
इसके पीछे का कारण है सरकारी अस्पतालों में कर्मचारियों की लापरवाही और मक्कारी लगातार बढ़ती जा रही है।
इस तरह की बातें लगातार सुनने में आती है कि सरकारी अस्पतालों में दवाई नहीं मिलती और दवाएं बाहर बेच दी जाती है।
जिसका जीता जागता नमूना पूरे प्रदेश में मशहूर किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज लखनऊ का सामने आया है।
जहां एसटीएफ के हत्थे मेडिकल कॉलेज का एक ऐसा गिरोह चढ़ा है जो मेडिकल कॉलेज की दवाओं को बाहर बेचने का काम करते हैं और लगातार यह गिरोह सक्रिय था,लेकिन यह गिरोह एसटीएफ के हत्थे चढ़ गया।
ठीक इसी तरह फर्जी अस्पतालों और मानक के विपरीत अस्पतालों के ऊपर भी स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह कमर कस चुका है।
आपको बता दें कि राजधानी लखनऊ के एसीएमओ ने पूरी टीम के साथ कई जगहों पर छापेमारा की।
हालांकि इस बात की शिकायत मुख्यमंत्री आईजीआरएस पोर्टल पर की गई थी, जिसके बाद स्वास्थ्य महकमा पूरी तरीके से हरकत में आया छापेमारी के दौरान कुछ खास अस्पतालों के ऊपर कार्यवाही हुई है।
जिनमें मुख्य रुप से इंजीनियरिंग कॉलेज पर सिम्स अस्पताल,सीतापुर रोड पर सुपर एलायंस अस्पताल,मेडिजोन नारायण हॉस्पिटल पर भी कार्रवाई हुई है।
ये सभी अस्पताल मानक के विपरीत चल रहे हैं जल्द ही ये सभी अस्पताल बंद हो जाएंगे।
दुबग्गा रोड पर आईएसबीएन अस्पताल समेत सभी को नोटिस जारी कर दी गई है, छापेमारी के दौरान ACMO डा.एसपी सिंह अपनी टीम के साथ छापेमारी की।
पूरे प्रदेश में दवाओं की कालाबाजारी का खेल पूरे चरम पर है।
इसी क्रम में कानपुर GSVM मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल संजय काला ने ऑक्सीजन प्लांट में आकस्मिक छापेमारी के दौरान कर्मचारियों को सर्जिकल और मेडिसिन के सामान के साथ रंगे हाथ पकड़ लिया।इनके पास लगभग ₹10000 का सर्जिकल सामान भी जब्त किया गया।
आपको बता दें कि कानपुर के हैलट अस्पताल में दवाओं की चोरी रोकने के लिए वहां के प्रिंसिपल ने खुद कमर कस ली और छापेमारी की जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के काफी दिनों से इस बात की शिकायत मिल रही थी कि स्टोर से जारी दवा वार्डों तक न पहुंचकर बीच में ही कहीं गायब हो जाती है।
इस सूचना के बाद हैलट अस्पताल में लगे ऑक्सीजन प्लांट में तैनात कर्मियों को रोक लिया गया, तलाशी के बाद उनके पास है सर्जिकल सामान और दवाएं बरामद हुई, पकड़े गए कर्मचारियों को पुलिस के हवाले कर दिया गया है।
प्रिंसिपल डा. संजय काला के साथ अस्पताल के प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक आर के मौर्य ने बताया की बीते कई दिनों से यह शिकायत मिल रही थी कि स्टोर भेजी जा रही दवाएं वार्डों तक नहीं पहुंच रही थी और दवाई कुछ लोग चुराकर बाहर बेचने का काम कर रहे थे, पकड़े गए आउटसोर्स कर्मी मनु को दवाओं और सर्जिकल सामान के साथ रंगे हाथ पकड़ा गया।
उन्होंने बताया के बरामद की गई सभी दवाइयां सरकारी सप्लाई की थी काफी पूछताछ के बाद कर्मचारी और कुछ बताने से इनकार कर दिया प्रिंसिपल ने बताया कि इन लोगों का पूरा एक गिरोह है जो दवा चुरा कर बाहर बेचते हैं।
प्रिंसिपल ने पकड़े गए कर्मचारी मनु को गार्ड के साथ स्वरूप नगर थाने भिजवा दिया। साथ ही उन्होंने कहा इस काम में शामिल सभी लोगों के ऊपर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
प्रिंसिपल के निर्देश पर अन्य आरोपियों के बारे में भी जानकारी लेने के लिए पूछताछ जारी है।
अब ऐसे में सवाल ये उठता है सरकार के द्वारा भेजी गई दवाओं की इस तरह की कालाबाजारी करने वालों को आखिर कानून क्या सजा देता है।