सुना रह गया आजमगढ़ के शहीदों के बलिदान की गाथा बताने वाला,कुंवर सिंह शहीद द्वार

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आजमगढ़। आज आजादी का अमृत महोत्सव पूरे देश में मनाया जा रहा है। कंपनी बाग पर कब्जा करने वाले स्वतंत्रता सेनानी कुंवर सिंह की स्मृति में बना शहीद द्वार आज भी उपेक्षित है। कलेक्ट्रेट से चंद कदम की दूरी पर स्थित स्वतंत्रता सेनानी के स्मृति द्वार प्रशासन की नजर नहीं पड़ी।
बता दें कि देश में आजादी का अमृत महोत्सव पूरे जोश खरोस के साथ मनाया जा रहा है। इस दौरान हर घर तिरंगा अभियान के तहत राष्ट्रीय ध्वज लगाये जा रहे हैं। विभिन्न कार्यक्रम कर शहीदों को याद कर उन्हें श्रद्धाजंलि दी जा रही है। जिसमें शासन प्रशासन से लगायत विभिन्न पार्टियों के लोग भी बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं। वहीं जनपद मुख्यालय के केन्द्र में स्थित ऐतिहासिक शहीद द्वार जो स्वतंत्रता संग्राम में अपनी अमिट गाथा कहता है, उपेक्षित पड़ा हुआ है। सबसे बड़ी बात यह है कि सभी बड़े अधिकारियों का कार्यालय शहीद द्वार मात्र 100 से 150 मीटर की दूरी पर स्थित हैं लेकिन अधिकारियों की नजर से शहीद द्वार अभी भी उपेक्षित है। शहीद द्वार विभिन्न प्राइवेट संस्थानों के प्रचार से लदा हुआ है, जिसकी साफ-सफाई भी नहीं की गयी। शहीद द्वार 1857 की हुई क्रान्ति का गवाह है। जिस क्रान्ति में शहीद कुंवर सिंह की सेना ने अंग्रेजों से लोहा लेते हुए अंग्रेजों के कलेक्ट्रेट भवन सहित कंपनी बाग पर कब्जा कर तिरंगा लहराया था। उन्हीं की स्मृति कुंवर सिंह उद्यान (तत्कालिक कंपनी बाग) व शहीद द्वार का निर्माण हुआ।

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