देश एवं समाज की उन्नति तथा आपसी भईचारे में अवध ख़ानकाहों का अहम योगदान- प्रो. मसूद अनवर

Exclusive उत्तर प्रदेश

कट्टरता तथा आतंकवाद का मुकाबला तसव्वुफ़ के माध्यम से ही संभव- सैयद मोहम्मद अशरफ़

लखनऊ। सूफ़ी बुज़ुर्ग अल्लाह का पैगाम लोगों के दिलों में उतारकर उन्हें आपसी भईचारे, आपसी मोहब्बत से परिचित कराते हैं। उन्हें ज़ुल्म व ज़र्ब, नफ़रत तथा अदावत के साथ-साथ किसी को तकलीफ न पहुंचे ऐसे सच्चे तथा शांतिपूर्ण समाज की रचना करने कट्टरता तथा आतंकवाद का मुकाबला तसव्वुफ़ के माध्यम से ही संभव है। यह बातें सैयद मोहम्मद अशरफ़ कलीम अशरफ़ी जिलानी (सजादा नशीन, खानकाह अशरफिया, जाईस) ने लखनऊ स्थित साईंटिफ़िक कंवेश न सेंटर में आयोजित ‘अवध की खानकाहें और उनकी शैक्षिक एवं सामाजिक योगदान’ के सेमिनार में कहीं।

उन्होंने कहा कि हम ऐसे ही अल्लाह के नेक बंदों को याद करने, उनकी शिक्षाओं को अपनाने तथा उनके शिक्षा एवं प्रशिक्षण प्रणाली को अपनाकर मौजूदा समाज को शांतिपूर्ण तथा लाभकारी बनाने के लिए एक कार्ययोजना तैयार करने के मकसद से एकत्र हुए हैं। सेमिनार में अपने विचारों को रखते हुए उन्होंने खानकाही प्रणाली को सक्रिय तथा प्रभावशाली बनाने पर जोर देते हुए कहा कि समय के बदलाव ने सब कुछ बदल दिया है। अब खानकाहों में न वह रूहानी गर्मी है, न ही असरदार शिक्षाएं न सहरगाही आहें हैं और न ही अल्लाह का जिक्र है। अशरफ जिलानी ने आज के वैश्वीकरण तथा ग्लोबलाइजेशन के दौर में तसव्वुफ की अहमियत को रेखांकित करते हुए इस युग में तसव्वुफ के पुनरुद्धार के लिए गजाली की सोच और चिश्ती शिक्षाओं पर भरोसा करने की आवश्यकता पर बल दिया। वहीं प्रो. मसूद अनरवर अलवी काकोरवी (पूर्व डीन, फैकल्टी ऑफ आर्टस् तथा मौजूदा प्रिंसिपल विमेंस कॉलेज, एएमयू) ने सेमिनार को संबोधित करते हुए अवध की सभी खानकाहों तथा उनकी शैक्षिणक व सामाजिक सेवाओं का एक समग्र खाका पेश करते हुए कहा कि अवध का क्षेत्र अपनी सांस्कृतिक, सभ्यतागत एवं ऐतिहासिक विरासत के लिए मशहूर है।

सेमिनार में बोलते हुए संयोजक प्रो. सैयद अलीम अशरफ़ जायसी ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि इस्लाम में कट्टरता तथा आतंकवाद का कोई स्थान नहीं है। उन्होंने भारत सरकार से मांग करते हुए कहा कि ऐसे आतंकवादियों को और इंसानियत के दुश्मनों को कड़ी से कड़ी सजा दी जानी चाहिए। इस राष्ट्रीय स्तर के सेमिनार का आयोजन ‘शेख-ए-तरीकत’ हज़रत सैयद शाह नईम अशरफ जिलानी जायसी रहमतुल्लाह अलैह की जन्म शताब्दी के अवसर पर शेख-ए-तरीकत फाउंडेशन द्वारा खानकाह अहमदिया अशरफिया तथा दारूलउलूम जायसी के सहयोग से किया गया। सेमिनार में बड़ी संख्या में देशभर के विभिन्न विश्वविद्यालयों तथा संस्थानों से विद्ववानों, शोधकर्ताओं तथा बुद्धिजीवियों ने हिस्सा लिया।

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