तेजी से बढ़ता जा रहा है विश्व में पुरुष बांझपन- डाॅ•गीता खन्ना 

Health उत्तर प्रदेश

बदलता परिदृश्यः बांझपन के उपचार- 2025 की नई प्रवृत्तियां

लखनऊ। वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ एवं आईवीएफ विशेषज्ञ डॉ. गीता खन्ना ने चेतावनी दी है कि पुरुष बांझपन विश्व में तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन कलंक और सामाजिक चुप्पी के कारण यह छिपा रह जाता है, जिससे उपचार में देरी होती है और परिणाम खराब होते हैं।

इंटरनेशनल होप सीएमई 2025 में बोलते हुए डॉ. खन्ना ने कहा कि “बांझपन अब केवल महिलाओं की समस्या नहीं है। देश में हर छह में से एक दंपति निःसंतानता से जूझ रहा है और लगभग आधे मामलों में पुरुष कारक जिम्मेदार हैं। फिर भी पुरुष जांच कराने से हिचकते हैं और समस्या पर्दे के पीछे छिपी रह जाती है।” होप सीएमई 2025, जिसका विषय था “बदलता परिदृश्यः बांझपन के उपचार-2025 की नई प्रवृत्तियां”, की मेजबानी डॉ. गीता खन्ना ने की। इसका संयुक्त आयोजन इंडियन फर्टिलिटी सोसायटी (IFS), LOGS और अजंता होप सोसायटी द्वारा आयोजित किया गया। सीएमई में भारत और विदेश से आए आईवीएफ विशेषज्ञों, डॉ. सोनिया मलिक, डॉ. के.डी. नायर, डॉ. पूनम नायर, डॉ. कुलदीप जैन और डॉ. यूसुफ अल्हाऊ (यूएई) ने भाग लिया।

डाॅ गीता खन्ना ने जीवनशैली संबंधी विकारों, मोटापा, धूम्रपान, शराब, तनाव, देर से विवाहकृतथा चिकित्सीय कारणों जैसे पीसीओएस, फाइब्रॉइड, एंडोमीट्रियोसिस, बंद ट्यूब और घटती शुक्राणु गुणवत्ता को मुख्य योगदानकर्ता बताया। उन्होंने कहा कि लखनऊ में अचानक आईवीएफ केंद्रों की संख्या 60-65 तक पहुंच जाना बांझपन की बढ़ती महामारी को दर्शाता है, जिससे शहर अब आईवीएफ हब के रूप में उभर रहा है।

डॉ. खन्ना ने जोर देकर कहा कि कलंक और जागरूकता की कमी के कारण महिलाओं पर अनुचित दोशारोपण होता है। उन्होंने बताया कि “करीब 78 प्रतिशत दंपति मानसिक तनाव से गुजरते हैं और चौंकाने वाली बात है कि 60 प्रतिशत महिलाएं पहले ओझा, गुनियों या faith Healer के पास जाती हैं, लकिन डॉक्टरों के पास नहीं जातीं जिससे कीमती साल और संसाधन नष्ट हो जाते हैं।”

उन्होंने कड़े नियमन, रोगी परामर्श और नैतिक प्रैक्टिस की मांग करते हुए कहा कि “बांझपन एक बीमारी है, कलंक नहीं। जब तक पुरुष समय पर जांच के लिए आगे नहीं आएंगे, तब तक दंपतियों को चुप्पी में पीड़ा झेलनी पड़ेगी। आईवीएफ एक आशा देने वाली तकनीक है। हमें इसका जिम्मेदारी से उपयोग करना होगा।

आयोजित सीएमई में एआरटी में प्रथम तिमाही रक्तस्राव, आईवीएफ में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रेजिस्टेंट पीसीओएस, मोटापा और प्रजनन क्षमता, पुरुष स्वास्थ्य, परामर्श, प्रिसीजन आईवीएफ प्रोटोकॉल, एम्ब्रायोलॉजी और अल्ट्रासाउंड में नवाचार जैसे विषयों पर सत्र हुए। साथ ही एआरटी और उच्च जोखिम वाली गर्भावस्था के लिए नवीनतम दिशानिर्देशों के समावेश पर उच्च-स्तरीय पैनल चर्चा आयोजित की गई, जिसने चिकित्सकों को व्यावहारिक सुझाव प्रदान किए।

इस अवसर पर डॉ. एन.बी. सिंह (सीएमओ, लखनऊ), दिवाकर त्रिपाठी, IAS (सेवानिवृत्त), तथा विशिष्ट सेवा पदक से सम्मानित कर्नल डॉ. पंकज तलवार(अध्यक्ष IFS) उपस्थित रहे।

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