आजमगढ़ में अवैध पैथोलॉजियों, एक्सरे सेंटरों की भरमार, सीएमओ ऑफिस आस पास भी सालों से फल फुल रहें ऐसे कई फर्जी सेंटर

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आजमगढ़ में फर्जी पैथोलॉजियो की भरमार, cmo ऑफिस के नाक के नीचे चल रहा है पूरा खेल

जिले में बिना रेडियो लॉजिस्ट,बिना पैथॉलॉजिस्ट के धड़ल्ले से चल रहें हैं कई सेंटर।

आजमगढ़।जिले में इन दिनों प्रतिदिन सैंकड़ों मरीज अवैध पैथोलॉजी के जाल में फंसकर आर्थिक शोषण का शिकार हो रहे हैं. इस अवैध पैथोलॉजी के कारोबार में समाज के नामी-गिरामी लोग भी शामिल हैं।

इनके खिलाफ प्रशासन कार्रवाई करने से कतराती है. जिले के मरीजों की जिंदगी पूरी तरह भगवान के रहमो-करम पर निर्भर है. एक तरफ जहां जिले के सबसे बड़े अस्पताल सदर अस्पताल का हाल-बेहाल है. तो वही फर्जी पैथोलॉजी और अल्ट्रासाउंड का खेल पूरे जिले में चल रहा है. आलीशान बिल्डिंग से लेकर झुग्गी झोपड़ी तक में डॉक्टरों और नर्सिंग होम के बोर्ड लगे हुए हैं जहां मरीजों का आर्थिक शोषण जारी है. जिला मुख्यालय ही नहीं सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसी पैथोलॉजियों की भरमार है. तोसूत्र बताते हैं, कि जिले में लगभग 30 फीसदी ही चिकित्सकों के पास वैध डिग्री प्राप्त है.इसके अलावा अजब-गजब डिग्री भी बोर्ड पर लिखे होते हैं और विश्व विद्यालय या संस्था के भी नाम भी अजीबो-गरीब होते हैं. खास बात यह है कि इस फर्जीवाड़े के इस खेल से विभागीय अधिकारी ही नहीं जिला प्रशासन भी बखूबी वाकिफ है.लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि सालों से ऐसे पैथोलॉजी के विरुद्ध ना तो कभी जांच की गयी है और ना ही इन पर नकेल कसने के लिये कोई कार्रवाई ही की गयी है. लिहाजा ये कहना वाजिब ही होगा कि सबों ने एक दूसरे को मौन समर्थन दे रखा है.जिले में मरीजों से जांच के नाम पर लूट मची हुई है। शहर से गांव तक बिना पेथॉलोजिस्ट और बिना रजिस्ट्रेशन के अवैध पैथोलॉजी संचालित की जा रहीं है। इसके बावजूद आज तक भी किसी पैथोलॉजी लैब पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है। इतना ही नहीं इन पैथोलॉजी संचालकों ने सरकारी अस्पतालों को भी हाईजेक कर रखा है। जिले में अधिकांश यह पैथोलॉजी सरकारी अस्पतालों के आसपास व अगलबगल में बैठे हैं। इसके साथ ही कुछ चिकित्सक भी मरीजों को बाहर की लैब पर ही मरीजों को जांच कराने की सलाह दे रहे हैं।इनमें अधिकांश पैथोलॉजी सरकारी अस्पतालों के आसपास बनी हुई है। जो अस्पतालों को पूरी तरह से हाईजैक किए है। साथ ही कुछ चिकित्सक तो आने वाले मरीजों को निजी पैथोलॉजी सेंटरों पर ही जांच की सलाह देते हैं। तो वहीं, कुछ संचालक चिकित्सकों के आस पास ही घूमते रहते हैं जो जांच का इशारा मिलते ही मरीज को अपने सेंटरों पर ले जाते हैं। जहां पर जांच के नाम पर मरीजों से मोटी रकम ऐंठ रहे हैं। इसके साथ ही कुछ पैथोलॉजी सेंटर संचालक मरीजों से बाहर की जांचों को नाम पर मोटी रकम ले रहे हैं। जो एक हफ्ते या कुछ दिन बाद जांच रिपोर्ट आने का दावा करते हैं। इसी बीच में फर्जी रिपोर्ट जारी कर मरीजों से जांच के नाम पर खिलवाड़ करते हैं। वहीं, इन सेंटरों में मरीजों की खून, मलेरिया, पेशाब की जांच तो सेंटरों का सामान्य कर्मचारी ही कर देता है। जबकि पैथलोजिस्ट के नाम पर तो केवल सेंटर ही चल रहा है। संचालक की आड़ में अन्य कर्मी मरीजों की जांचे कर रहे हैं। हद तो तब हो गई जक स्वास्थ्य विभाग द्वारा किसी भी सेंटर पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है। 

शासन का सख्त निर्देश है कि बिना विशेषज्ञ डॉक्टरों के पैथोलॉजी और किसी तरह के जांच केंद्र नहीं संचालित होंगे।।शहर का कोई इलाका ऐसा नहीं है जहां पर पैथोलॉजी सेंटर नजर नहीं आते हों। खासकर कोरोना काल के बाद जिले में अचानक से पैथोलॉजी सेंटरों की भरमार हो गई है।

हैरानी की बात तो यह है स्वास्थ्य विभाग के पास कोई रिकॉर्ड नहीं है जिससे पता चले कि कितने सही और कितने अवैध पैथोलॉजी चल रहे हैं।मतलब साफ है कि विभाग के पास कोई सटीक आंकड़ा है ही नहीं। स्पष्ट है कि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के संरक्षण में यह अवैध कारोबार फलफूल रहा है।

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