सिधौना /मेहनाजपुर /आजमगढ़।
होली हमारी भारतीय संस्कृति का एक प्रमुख पर्व है, जो वसंत ऋतु में तब मनाया जाता है,जब प्रकृति अपना सम्पूर्ण श्रृंगार कर लेती है। चारों ओर विविध रंगों के पुष्प सुशोभित होते है। आम के बौरों की मीठी सुगंध चारों ओर बिखरती रहती है,कोयल उसकी मदमोहक सुगंध से प्रफुल्लित होकर कूकती है,पेड़ो में नई पत्तियां व कोपले फूटती हैं,पनपती हैं।प्रकृति में चहुओर हरियाली ,नवीनता,फूलों की सुंदरता व इनकी सुगंध फैली रहती हैं।ऐसे समय में फाल्गुन की पूर्णिमा के दिन होलिका दहन किया जाता है,जो कि बुराई के शमन का प्रतीक है और इसके दूसरे दिन रंगो से भरी होली खेली जाती है।भारतीय संस्कृति में सत और असत का संघर्ष पुरातन काल से चला आ रहा है।असत और नास्तिकता के प्रतीक हिरण्यकश्यप के साथ सत्य और धैर्य के प्रतीक भक्त प्रह्लाद ने संघर्ष किया। प्रह्लाद के पिता हिरण्यकश्यप को जब यह पता चला कि उसका पुत्र भगवान नारायण का परम भक्त है तो उसने अपने पुत्र को मारने के लिए तरह तरह का उपाय किया।अंत में उसने प्रह्लाद को मारने के लिए अपनी बहन होलिका की सहायता से प्रह्लाद को आग में जलाकर मारने की योजना बनाई।होलिका को भगवान शिव से वरदान स्वरूप ऐसी चादर मिली हुई थी कि जिसे ओढ़ने पर अग्नि उसे नहीं जला सकती थी।इसलिए होलिका उस चादर को ओढ़कर प्रह्लाद को गोद में लेकर चिता पर बैठ गई,लेकिन दैवयोग से वह चादर प्रह्लाद के ऊपर आ गई जिससे प्रह्लाद बच गए और होलिका जल गई।तब से लेकर आज तक इस महत्वपूर्ण घटना को याद करते हुए होलिका दहन किया जाता है,जिसमे होलिका रूपी दुर्भावना का अंत और भगवान द्वारा भक्त की रक्षा का उत्सव मनाया जाता है।होलिका दहन के दूसरे दिन सभी लोग विविध रंगों से होली खेलते है।होली के इस उत्सव पर जाति संप्रदाय का कोई भेदभाव नही किया जाता,सभी को समानता के रंग में रंगने के लिए यह होली का त्यौहार है।होली में रंग खेलने की परंपरा के पीछे उद्देश्य यह है कि व्यक्ति का जीवन विविध रंगों की सुंदरता से खिल उठे,उसके जीवन से निरसता, निराशा,कुंठा,क्रोध आदि मनोभावों का शमन हो और उसके जीवन में उत्साह,उमंग,साहस,शौर्य,पराक्रम,प्रसन्नता व शांति का रंग चढ़े।मनोवैज्ञानिक रूप से देखा जाए तो होली का पर्व मन की दमित भावनाओ को बाहर निकालने का एक अवसर है।होली का त्यौहार अपनी प्रसन्नता को विविध रंगों के माध्यम से बिखेरने,सबसे मेल जोल बढ़ाने,दुर्भावनाओ को मिटाने ,मिठाइयों वा पकवानों का स्वाद मिल बांटकर खाने की प्रेरणा देता है।होली के इस त्योहार में सभी को अपनी मर्यादाओं का ध्यान रखते हुए अनुशासन को मानते हुए शुभ व प्रेरणादाई होली मनाने का संकल्प लेना चाहिए।