साम्राज्यवाद एक ऐसी परंपरा है जिसमें आर्थिक एवं प्रशासनिक रूप से शक्तिशाली कोई एक शक्तिशाली देश जब दूसरे देश पर पूर्ण रूप से नियंत्रण कर लेता है एवं उसका लंबे समय तक आर्थिक शोषण अथवा उसे देश के संसाधनों का अनैतिक रूप से शोषण करता है, उसे साम्राज्यवाद कहते हैं जिसकी अवधि ज्यादा हो सकती है। किंतु सांस्कृतिक साम्राज्यवाद एक ऐसी नीति है जिसमें किसी भी शक्तिशाली देश के द्वारा किसी भी देश पर नियंत्रण करते हुए उसके द्वारा अपने सांस्कृतिक मूल्य एवं नीतियों को जबरदस्ती दूसरे देश अथवा समुदाय पर थोपा जाता है। साम्राज्यवाद की अपेक्षा सांस्कृतिक साम्राज्यवाद का प्रभाव काफी लंबे समय तक चलता रहता है अथवा हमेशा के लिए वहां पर चलता ही रहता है। भारत देश में देखा जाए तो हमारे देश के युवाओं पर सांस्कृतिक साम्राज्यवाद का प्रभाव है,जिसके कारण उन्हें विदेशों की भाषा, वहां की संस्कृति, वहां की परंपरा, वहां की जीवनशैली,वहां की हर चीज अपने देश की तुलना में अच्छी लगती हैं।हमारे देश के युवा पीढ़ी पर सांस्कृतिक साम्राज्यवाद का प्रभाव स्पष्ट रूप से देखा जाता है,जिसके कारण हम अपने देश को हर विषय में हीनता की दृष्टि से देखने लगते हैं अर्थात् अमेरिका , ब्रिटेन आस्ट्रेलिया जैसे देशों की अपेक्षा कमतर आंकते हैं। जिसमें महत्वपूर्ण भूमिका वामपंथियों की भी होती है, जिससे हम युवा पीढ़ी को सावधान होंने की आवश्यकता है, तभी हम सभी अपने देश पर गर्व कर सकेंगे।