सोशल मीडिया सह संयोजक भाजपा अखिलानन्द के अनुसार बाजार में आजकल सभी खाद्य पदार्थ उपलब्ध हैं,लेकिन दुःखद स्थिति यह है कि विभिन्न कारणों से कोई कठोर कार्रवाई नहीं किए जाने के कारण आज स्वास्थ्य एवं जीवन के लिए स्थिति गंभीर से गंभीर होती जा रही है। मेडिकल न्यूट्रीशियनिस्ट के अनुसार खाद्य पदार्थों में मिलावट होने से मनुष्य के ब्लड प्रेशर, शुगर, एलर्जी, आर्थराइटस, चिड़चिड़ापन, तनाव, नींद न आना समेत कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के होने का खतरा बढ़ जाता है। रोग प्रतिरोधक क्षमता खत्म हो जाती है। दवाओं का असर कम होने लगता है। इसलिए पैकेजिंग और प्रोसेसिंग खाद्य पदार्थों के सेवन से बचें। मिलावटखोरी का यह धंधा दिपावली जैसे त्योहारों के नजदीक आने पर अपने चरम पर होता है। चूंकि
मिलावटखोरों को अब तक पर्याप्त सजा नहीं मिलती थी इसलिए मिलावट माफियाओं को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता था। ये ही हाल नकली दवाओं के मामलों का भी था। दैनिक प्रयोग में आने वाली वस्तुओं का आजकल शुद्ध रूप में मिलना दूभर हो गया है। बाजार से कितनी भी जांच पड़ताल के बाद वस्तुएं खरीदी जाएं तो भी विश्वास नहीं होता कि वस्तु शुद्ध होगी। खुलेआम मिलावट खोरी हो रही है। इसके लिए छह माह से लेकर उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान किया गया है। दस लाख तक जुर्माना देना पड़ सकता है।शुद्ध रूप में चीजें प्राप्त कर लेना बहुत कठिन हो गया है।घी, दूध, मसाले, आटा, अनाज, दवाइयां तथा अन्य बहुत-सी वस्तुएं बाजार से किसी भाग्यशाली को ही शुद्ध रूप से मिल पाती होंगी। दूध में अरारोट या सपरेटा का पाउडर, पानी खूब मिलाया जा रहा है। मावे में उबले हुए ये आलू या सपरेटा का खोवा, बहुत चल रहा है। बहुत सी दवाओं के नाम पर पंसारियों की दुकान में सड़ी गली जड़ी बूटियों का खाद खूब चलता है। अनाज में कंकड़, खराब अनाज, बूरे में पाउडर, शरबत में सैक्रीन का प्रयोग किया जाता है। मिलावटखोरी को रोकने के लिए बने नियमों को धरातल पर उतारने पर ही इस गंभीर अपराध पर रोक लग सकती है।