लखनऊ। यूपी मे मनोज सिंह को मुख्यसचिव बनने के बाद सात वर्षों से मुख्यमंत्री पद पर आसीन योगी आदित्यनाथ को पहली बार टीम गुजरात के राजनैतिक दबाव से मुक्ति का संकेत दिया है। इसका असर यूपी की भविष्य की राजनीति और सरकार के काम-काज में तेजी आने की संभावना के रूप में देखा जा रहा है। योगी सरकार ने वर्ष 1988 बैच के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी मनोज कुमार सिंह को प्रदेश का नया मुख्य सचिव बनाया है। पूर्व मुख्यसचिव दुर्गाशंकर मिश्र को चौथी बार सेवा विस्तार नहीं मिला।
जबकि योगी के पसंदीदा 2006 में पीसीएस से आईएएस बने अफसर अरूण वीर सिंह को छठी बार सेवा विस्तार दिया गया। संयोग ही है कि लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा को यूपी में आशातीत सफलता न मिलने और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की त्योरी चढ़ने के बाद इन निर्णयों पर योगी का बढ़ते प्रभाव से जोड़ कर देखा जा रहा है। योगी आदित्यनाथ के विश्वसनीय और काबिल अफसर के रूप में पहचान बनाने वाले मनोज सिंह ने रविवार की शाम को कार्यभार ग्रहण किया। वह प्रदेश के 55वें मुख्य सचिव बनें। मनोज कुमार सिंह मुख्य सचिव के साथ औद्योगिक विकास आयुक्त, अध्यक्ष पिकप और सीईओ यूपीईडा फिलहाल अभी बना रहेगा।
सिंह के मुख्य सचिव बनने के बाद डा. देवेश चतुर्वेदी को अपर मुख्य सचिव नियुक्ति एवं कार्मिक, कृषि, कृषि शिक्षा के साथ कृषि उत्पादन आयुक्त (एपीसी) का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है। मुख्य सचिव के बाद यह पद काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। नरेंद्र भूषण को प्रमुख सचिव विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग से पंचायती राज विभाग की जिम्मेदारी दी गई है। उनके पास ऊर्जा विभाग अतिरिक्त प्रभार है। पंधारी यादव को प्रमुख सचिव वाह्य सहायतित परियोजना एवं वित्त विभाग से प्रमुख सचिव विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी बनाया गया है। अनुराग यादव को सचिव योजना विभाग, डीजी यूपीडीईएस से सचिव कृषि के पद पर तैनाती की दी गई। प्रदेश में व्यापक पैमाने पर आईएएस अधिकारियों के तबादले होने तय माने जा रहे हैं। प्रदेश के करीब एक दर्जन जिलाधिकारियों के साथ शासन स्तर के अधिकारियों के दायित्वों में फेरबदल की चर्चा है।