नैनीताल बैंक का विनिवेश कर प्राइवेट हाथों में दिए जाने तथा बैंक में कार्यरत कर्मचारियों के भविष्य पर कोई जवाब न दिए जाने के चलते, यूनियन और प्रबंधन के बीच चले आ रही लंबी खींचतान के बीच आज 15 जून को नैनीताल बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन ने हड़ताल का आह्वाहन किया है जिसके तहत बैंक की समस्त शाखाएं और कार्यालय बंद रहे। संगठन द्वारा बैंक ऑफ़ बड़ौदा प्रबंधन की सद्बुद्धि हेतु प्रधान कार्यालय नैनीताल में हवन का आयोजन भी किया गया तथा बैंक के मैनेजिंग डायरेक्टर एवम सीईओ निखिल मोहन को ज्ञापन सौंपा गया।संगठन के महामंत्री पीयूष पयाल ने बताया कि नैनीताल बैंक 1922 में स्थापित एक अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक है, जो एक सदी से भी अधिक समय से उत्तराखंड राज्य के विकास से जुड़ा हुआ है। नैनीताल बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा के स्वामित्व वाला बैंक है जिसमें बैंक ऑफ बड़ौदा 98.57% हिस्सेदारी रखता है I
वर्ष 2018 से ही बैंक ऑफ़ बड़ौदा नैनीताल बैंक के विनिवेश के नाम पर प्राइवेट हाथों में देने की कोशिश कर रहा है। 2018 में नैनीताल बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन द्वारा लोकसभा की याचिका समिति में वाद दायर किया था जिसके फलस्वरूप याचिका समिति ने वर्ष 2018 में अपनी 59वीं रिपोर्ट के तहत नैनीताल बैंक को बैंक ऑफ़ बड़ौदा में विलय करने की संस्तुति दी थी तथा पुनः वर्ष 2020 में अपनी 4th रिपोर्ट में नैनीताल बैंक के बैंक ऑफ़ बड़ौदा में विलय करने की संस्तुति दी थी। देश की संसदीय समिति की संस्तुति को दरकिनार कर पुनः बैंक ऑफ़ बड़ौदा द्वारा दिसंबर 2022 में नैनीताल बैंक के विनिवेश हेतु विज्ञप्ति निकाली थी जिसके तहत नैनीताल बैंक का प्रबंधन कुछ चुनिंदा घरानों को दिए जाने का प्रयास किया जा रहा है, जिसमें अजीम प्रेमजी, अजय पीरामल कई अन्य के नाम विभिन्न समाचार पत्रों में उजागर हुए हैं।
नैनीताल बैंक के कर्मचारी विनिवेश की स्थिति में अपनी सेवा शर्तों के परिवर्तित होने को लेकर चिंतित हैं। सेवा शर्तों के सुरक्षित रहने के सवाल पर नैनीताल बैंक प्रबंधन और बैंक ऑफ़ बड़ौदा प्रबंधन का कहना है कि कर्मचारियों की सेवा शर्तें आने वाला इन्वेस्टर ही तय करेगा जिसको लेकर कर्मचारियों में आक्रोश व्याप्त है।
नैनीताल बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष चंद्रशेखर कन्याल ने बताया कि RBI द्वारा वर्ष 2006, 2014, 2018, 2020 एवम 2022 में तथा याचिका समिति – लोकसभा द्वारा वर्ष 2018 एवम 2020 में नैनीताल बैंक को बैंक ऑफ़ बड़ौदा में विलय करने के निर्देश दिए जा चुके हैं। उक्त निर्देशों को दरकिनार करते हुए, बैंक ऑफ बड़ौदा प्रबंधन द्वारा अपनी हिस्सेदारी को प्राइवेट हाथों में देने हेतु निविदा निकालना स्पष्ट रूप से निहित स्वार्थों और दुर्भावनापूर्ण इरादों को दर्शाता है।
बैंक कर्मचारियों की प्रमुख मांग
नैनीताल बैंक को प्राइवेट हाथों में बेचना बंद किया जाए।
याचिका समिति (लोकसभा) की सिफ़ारिश लागू किया जाए।
रिजर्व बैंक (RBI) की सिफ़ारिश लागू किया जाए।
कर्मचारियों – अधिकारियों के भविष्य से खिलवाड़ बंद किया जाए। डिसइनवेस्टमेंट के नाम पर बैंकिंग लाइसेंस बेचना बंद किया जाए।
प्रधान कार्यालय में ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन उत्तराखंड के महासचिव शैलेंद्र राजपाल ने बताया कि नैनीताल बैंक उत्तराखंड के हर जिले में तथा अति दुर्गम क्षेत्रों में भी अपनी सेवाएं अनवरत दे रहा है। नैनीताल बैंक कई क्षेत्रों जैसे अटल पेंशन योजना, प्रधानमंत्री जनधन योजना, आधार पंजीकरण तथा अन्य सरकार की जन कल्याणकारी योजनाओं को अंतिम लाभार्थी तक पहुचने हेतु हमेशा अग्रणी रहते हुए विभिन्न मंचों में पुरस्कृत भी हुआ है। नैनीताल बैंक को अटल पेंशन योजना में उत्कृष्ठ कार्य हेतु भारत सरकार द्वारा पूर्व में पुरस्कृत किया गया है तथा आधार पंजीकरण के क्षेत्र में उत्कृष्टता हेतु भी सम्मान प्राप्त हुआ है। इसके साथ ही नैनीताल बैंक उत्तराखंड सरकार को सर्वाधिक टेक्स देने वाले संस्थानों में अग्रणी है। नैनीताल बैंक का विलय बैंक ऑफ़ बड़ौदा में विलय करने हेतु सभी प्रभावी कदम उठाने चाहिए जिससे पांच राज्यों उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली के आम ग्राहकों को बैंक ऑफ़ बड़ौदा की सेवाओं का लाभ तो मिलेगा ही, साथ ही नैनीताल बैंक के कर्मचारियों का भविष्य भी सुरक्षित रहेगा।