चिकित्सा क्षेत्र में एक व्यापक श्रेणी में आते हैं फ्लेबोटोमी एवं फ्लेबोटोमिस्ट
लखनऊ। फ्लेबोटोमी, जिसे अक्सर रक्त निकालने की कला के रूप में वर्णित किया जाता है, आधुनिक स्वास्थ्य देखभाल के परिदृश्य में एक स्तंभ के रूप में खड़ा है। प्रशिक्षित फ्लेबोटोमिस्ट नैदानिक परीक्षण, आधान और अनुसंधान प्रयासों के लिए आवश्यक रक्त के नमूनों को कुशलतापूर्वक और सुरक्षित रूप से एकत्र करने के लिए विभिन्न तकनीकों का उपयोग करते हैं।
फ्लेबोटोमिस्ट आमतौर पर मेडिकल प्रयोगशालाओं और ब्लड बैंक्स में काम करते हैं। फ्लेबोटोमी तकनीशियन पेशेंट्स के इलाज से पहले उनके खून की जांच करते हैं, खून के सैंपल्स इकट्ठा करते हैं और शरीर में हो रही बीमारी का पता लगाते हैं। फ्लेबोटोमी तकनीशियन और फ्लेबोटोमिस्ट मेडिकल की फील्ड में एक व्यापक श्रेणी में आता है।
इस क्षेत्र में अपडेट रहने के सर्वोपरि महत्व को पहचानते हुए, संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के तत्वावधान में एपेक्स ट्रॉमा सेंटर (एटीसी) ने शनिवार को फ्लेबोटॉमी पर दूसरी सीएमई और कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम ने स्वास्थ्यकर्मियों को रक्त संग्रह में सर्वोत्तम प्रथाओं, नई तकनीकों और सुरक्षा प्रोटोकॉल के बारे में शिक्षित करने के लिए एक मंच के रूप में कार्य किया।
कार्यक्रम में डॉ. शालीन कुमार, डीन, एसजीपीजीआई, प्रो. अरुण कुमार श्रीवास्तव, प्रमुख, एटीसी, डॉ. आर. हर्षवर्धन, एडिशनल एमएस, एटीसी और एचओडी, अस्पताल प्रशासन, डॉ. राधा के., प्रिंसिपल, कॉलेज ऑफ नर्सिंग और डॉ. अवले रूपाली भालचंद्र, एसोसिएट प्रोफेसर, लैब मेडिसिन, एटीसी ने भाग लिया।
कार्यक्रम में वैज्ञानिक सत्र की शुरुआत फेलोबोटॉमी के परिचय पर प्रोफ़ेसर, लैब मेडिसिन, एटीसी डॉ. आवले रूपाली भालचंद्र के संबोधन से हुई। डॉ. राघवेंद्र लिंगैया, एसोसिएट प्रोफेसर, पैथोलॉजी ने सैम्पल कलेक्शन वायल के सत्यापन के विषय पर बात की।
कार्यक्रम को डॉ. आशुतोष सिंह, सहायक प्रोफेसर, पैथोलॉजी, यूएनएस एएसएमसी, जौनपुर ने गहन चिकित्सा इकाई सेटअप में सैंपलिंग के बारे में विस्तार से बताया। पीडियाट्रिक गैस्ट्रोएंटरोलॉजी के एसोसिएट प्रो. डॉ. मोइनाक सेन ने बाल चिकित्सा सेटअप में नमूने के महत्व और आवश्यकता पर जोर देते हुए इसके महत्व को विस्तार से बताया। डॉ. स्वाति शर्मा, सलाहकार रोगविज्ञानी ने नमूना प्रसंस्करण में त्रुटियों के चरणों के बारे में परिचय देते हुए इस विषय पर अपनी विशेषज्ञ सलाह दी।
पोस्ट फ्लेबोटॉमी चरण सत्र प्रो. अमित गोयल प्रोफेसर, हेपेटोलॉजी द्वारा लिया गया था जिसमें उन्होंने नीडल स्टिक इन्जरी और इसकी रोकथाम और प्रबंधन पर ज़ोर दिया। डॉ. रिमी पांडे, सलाहकार रोगविज्ञानी द्वारा नमूना भंडारण पर विचार-विमर्श किया गया।, डॉ. अनुराग सिंह, पीडीसीसी क्लिनिकल पैथोलॉजी, केजीएमयू ने फेलोबोटॉमी में हालिया प्रगति और इसके महत्व पर चर्चा की। कार्यक्रम में नर्सिंग छात्रों द्वारा हैंड्स ऑन फ्लेबोटोमी कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में 150 से अधिक प्रतिनिधियों ने सीएमई और कार्यशाला में भाग लिया, जो एटीसी में लैब मेडिसिन टीम के दृढ़ प्रयासों के माध्यम से आयोजित किया गया था।