केजीएमयू क्रिटिकल मेडिसन मरीज़ों को गंभीर बीमारी से बचाने की कर रही पहल
लखनऊ। उप्र की राजधानी लखनऊ के प्रतिष्ठित किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय मरीज़ों को अव्वल दर्जे का गुणवत्तापूर्ण इलाज देने के लिए मशहूर है। अब मरीज़ों को गंभीर बीमारी से त्वरित एवं सटीक इलाज देने के लिए प्रतिबद्ध केजीएमयू में एक और विधा जुड़ने जा रही है। अब केजीएमयू के क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग में भर्ती मरीज़ों का इलाज प्रिसिजन मेडिसिन की मदद से किया जायेगा। मरीज़ों के इलाज में एआई यानी की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद भी ली जायेगी। जिससे गंभीर मरीज़ों को कम समय में सटीक इलाज मिलेगा। इसकी शुरूआत केजीएमयू में जल्द ही की जायेगी। इसके लिए क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के डॉक्टरों ने चिकित्सा के क्षेत्र में नया अध्याय लिखने से पहले इसकी तैयारी शुरू कर दी है जिसके लिए पांच वर्कशाप का आयोजन किया जाएगा। जिससे आने वाले समय में इसका मरीज़ों को इसका लाभ मिल सके साथ ही अन्य चिकित्सा संस्थानों में इलाज के लिए आये मरीज़ों को भी इसका लाभ उठा सकें। इसके लिए तीन दिवसीय नेशनल कॉन्फ्रेंस की शुरूआत बुधवार 7 फ़रवरी से की जाएगी। कॉन्फ्रेंस में देश विदेश से आये करीब 550 विशेषज्ञ डॉक्टरों के शामिल होने की बात बताई जा रही है। जिसमें इंटेंसिव केयर युनिट में भर्ती मरीज़ों में प्रिसिजन मेडिसिन की मदद से इलाज करने की जानकारी विशेषज्ञ साझा करेंगे।
इसकी जानकारी देने के लिए मंगलवार 6 फ़रवरी को केजीएमयू के ट्रामा सेंटर स्थित क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. अविनाश अग्रवाल ने पत्रकार वार्ता कर बताया कि 7 फरवरी से तीन दिवसीय नेशनल कॉन्फ्रेंस ऑफ प्रिसिजन मेडिसिन और इंटेंसिव केयर कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया जा रहा है। इसमें देश विदेश के डॉक्टर हिस्सा लेंगे। जो आईसीयू में प्रिसिजन मेडिसिन आधारित इलाज देने की जानकारी साझा करेंगे। जिससे आने वाले पांच सालों में सभी आईसीयू में प्रिसिजन मेडिसिन आधारित इलाज देने की राह आसान होगी।
हर तरह के मरीज़ों को एक ही जगह पर मिलेगा इलाज
प्रो. अविनाश अग्रवाल ने बताया कि हर तरह के मरीज़ों को एक ही जगह पर इलाज मिलेगा, उन्हें अलग-अलग विशेषज्ञ डॉक्टरों के पास भटकना नहीं पड़ेगा। इसके अलावा इसमें एआई, बिग डाटा समेत अन्य विधा को भी शामिल किया जायेगा। जिससे मरीज़ की जांच, लक्षण समेत अन्य पैरामीटर और पुराने डाटा को एआई की मदद से देखा जायेगा। जिससे मरीज़ को क्या बीमारी है या हो सकती है का पता लगा सकेगा। इतना ही नहीं मरीज को कौन सी दवा देनी है, किस दवा से उसे नुकसान या फ़ायदा होगा। इस बात की जानकारी भी आसानी से की जा सकेगी।
निःशुल्क सुविधा देनी की तैयारी
क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग ने प्रिसिजन मेडिसिन आधारित इलाज आईसीयू में देने की तैयारी करने के साथ इस बात का भी ध्यान रखा है कि इसका भार मरीज़ों पर न पड़े। जिसके लिए निशुल्क सुविधा पर भी ध्यान देने की बात की जा रही है। प्रोऋ अविनाश अग्रवाल ने बताया कि इसके लिए विभाग अपने स्तर पर फं़ड की व्यवस्था करने की तैयारी कर रहा है। प्रिसिजन मेडिसन के बारे में बोलते हुए प्रो. अविनाश ने बताया कि ज़रूरी नहीं जो इलाज एक शख्स पर कारगर साबित हो रहा है, वह दूसरे पर कारगर हो। प्रिसिजन मेडिसिन चिकित्सा विज्ञान की वह विधा है जिसके तहत मरीज़ की आवश्यक्ता अनुसार इलाज किया जाता है। अभी तक कैंसर के मरीज़ों में प्रिसिजन मेडिसिन का इस्तेमाल होता रहा है, लेकिन पहली बार आईसीयू में भी प्रिसिजन मेडिसिन आधारित इलाज मरीजों को दिया जायेगा।
क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के डॉ. शान्तनू ने बताया कि आईसीयू में भर्ती मरीज़ की तीन दिन बाद आने वाली जांच महज कुछ घंटों में मिल जाया करेंगी। साथ ही मरीज़ के लिए कौन सी दवा सही है। इसकी भी जानकारी हो सकेगी। यहां पर डीएनए आधारित जांच होगी। इस अवसर पर डॉ. साई सरन, डॉ. शौमित्र मिश्रा, डॉ. सुहैल सरवर सिद्दीक़ी उपस्थित रहे।