योगी सरकार लगातार स्कूलों की कायाकल्प करने में लगी हुई है। शिक्षा व्यवस्था को सुचारू रूप से पटरी पर लाने की कोशिश कर रही है।
वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में ग्राम प्रधान,लेखपाल,तहसीलदार की मिलीभगत से सरकारी प्राथमिक विद्यालय परवर सरोजनी नगर के पूर्वी क्षेत्र में स्थित प्राथमिक विद्यालय परवर किस जमीन पर पूर्व प्रधान द्वारा स्कूल परिसर की जमीन पर अवैध कब्जा कर मकानों का निर्माण करा दिया गया।
जबकि सरकार द्वारा सरकारी जमीन की खसरा संख्या 635 खेल का मैदान है,जिसका क्षेत्रफल 0.2530 हेक्टेयर है। स्कूल परिसर की जमीन खसरा खसरा संख्या 635 जिसका क्षेत्रफल 0.2530 हेक्टेयर तथा स्कूल परिसर की जमीन खसरा संख्या 636 जिसका क्षेत्रफल 0.5060 हेक्टेयर है।सरकारी अभिलेखो में विद्यालय परिसर के नाम से दर्ज है, जिसमें खेल का मैदान दर्ज है।
खेल के मैदान में गांव के लोगों ने अवैध मकान बनाकर कब्जा कर लिया है।
सबसे बड़ी बात यह है इस पूरे मामले में स्कूल के प्रबंधक द्वारा किसी भी प्रकार की कोई शिकायत कहीं भी नहीं की गई।
इस मामले के संबंध में जब स्कूल के प्रबंधक विश्वजीत से पूछा गया तो उन्होंने साफ-साफ या कहा कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है और सबसे बडी बात उन्होंने यह कहा कि उन्हें इस जमीन के आज तक कोई दस्तावेज नहीं मिले हैं और ना ही उन्होंने कभी किसी से मांगा।
इन सभी बातों से हटकर स्कूल के प्रबंधक विश्वजीत कहा कि इस स्कूल में ज्यादा बच्चे पढ़ते ही नहीं है।
ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि जब एक विद्यालय का प्रबन्धक ही इस तरह के गैर जिम्मेदारी की बात करेगा तो फिर योगी सरकार की मुहिम कैसे आगे बढ़ेगी, यह चिंता का विषय है।
जबकि प्रबंधक बिस्वजीत 2007 सरकारी प्राथमिक विद्यालय पर कार्यरत हैं।
इस संबंध में पूर्व प्रधान के पुत्र रोहित शर्मा से बात की गई तो रोहित शर्मा के द्वारा जमीन के संबंध में जानकारी दी गई कि खेल के मैदान की जमीन आबादी की जमीन है और इसी कारण सरकारी कॉलोनियों का निर्माण भी हुआ है, इस जमीन पर कई वर्षों से मकान बने हुए हैं।
उन्होंने कहा कि हम जनता के जनप्रतिनिधि हैं और किसी भी कीमत पर गांव के लोगों का आश्रय नहीं हटा सकते।
अब सवाल यह उठता है कि क्या जन प्रतिनिधि बनने के बाद सरकारी जमीन पर कब्जा करना लोगों का विशेषाधिकार होता है।
पूरे मामले में वर्तमान प्रधान रामफल ने बताया कि यह सब पूर्व प्रधान के कार्यकाल में हुआ है,उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधान द्वारा सरकारी कालोनियों बांटी गई थीं, लेकिन उन्होंने तहसीलदार, लेखपाल, उपजिलाधिकारी किसी को भी इस संबंध में कोई जानकारी नहीं दी कि सरकारी जमीन प्राथमिक विद्यालय की है।
जबकि खसरा संख्या 635 खेल का मैदान है एवं खसरा संख्या 636 विद्यालय के नाम दर्ज है।
वर्तमान ग्राम प्रधान ने बताया कि गांव में ही तालाब एवं सरकारी जमीन हैं लेकिन उन जमीनों पर भी कुछ दबंगों लोगों ने अवैध निर्माण किया है।
अब सवाल यह उठता है आखिर स्कूल परिसर की जमीन पर अवैध कब्जा बना हुआ है।
लेकिन जिम्मेदार प्रशासनिक अधिकारी इसको देख कर भी कैसे अनदेखा कर रहे हैं।
जबकि तहसील दिवस के मौके पर उच्च अधिकारियों को भी लिखित रुप से प्रताप नारायण शुक्ल द्वारा लिखित जानकारी दी गई।
लेकिन इसके बाद भी कोई जानकारी कोई कार्यवाही नहीं हुई।
अब देखने वाली बात यह होगी विद्यालय के इस परिसर के अवैध निर्माण करने वाले लोगों के ऊपर और इस अवैध निर्माण के उपर योगी सरकार का बुलडोजर कब चलता है।