पुनर्वास के लिए संसाधन हैं,पर उन्हें पुनर्जीवित कर धरातल पर लाने की जरूर है- असीम अरूण

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लखनऊ में भिक्षावृत्ति में लगे लोगों की स्थिति-उपेक्षा और समावेश 2024-25 रिपोर्ट जारी

लखनऊ। भिक्षावृत्ति को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने का काम करने वाली संस्था बदलाव द्वारा शनिवार को भिक्षावृत्ति में संलिप्त लोगों की स्थिति पर आधारित सर्वेक्षण के बाद तैयार की गई महत्वपूर्ण रिपोर्ट ‘उपेक्षा और समावेश 2024-25’ का विमोचन असीम अरूण मंत्री समाज कल्याण विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार, जे.राम (उपनिदेशक समाज कल्याण), के.एल. गुप्ता (उपनिदेशक समाज कल्याण), अंजनी सिंह (जिला समाज कल्याण अधिकारी-लखनऊ), प्रो. मो. तारिक(संस्थापक, द कोशिश ट्रस्ट), प्रो. विवेक कुमार सिंह (डीन-सोशल साइंस स्टडीज, प्रो. राजेन्द्र सिंह रज्जू भैया विश्वविद्यालय प्रयागराज) द्वारा किया गया।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मंत्री असीम अरुण ने कहा कि सभाएं एवं सदन में चर्चाएं बहुत होती हैं लेकिन समाज के वंचित तबके के लोगों की स्थिति पर आधारित रिपोर्ट आंकड़े नहीं मिल पाते हैं। उन्होने आगे कहा कि सरकार द्वारा पुनर्वास के लिए संसाधन तो हैं पर उन्हें पुनर्जीवित कर धरातल पर लाने की जरूर है। परिवार आईडी के जरिये उत्तर प्रदेश सरकार यह तय कर रही है कि परिवार में कौन से व्यक्ति को किस योजना का लाभ मिलना चाहिए और अगर नहीं मिल रहा है तो उसे किस योजना से जोड़ा जाये। अगर किसी परिवार में कोई व्यक्ति 60 साल के ऊपर का है तो उसे वृद्धा पेंशन मिल रही है यदि नहीं तो उसे 1000 की पेंशन दिलायी जाए। उन्होनें शरद पटेल के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि सरकारी टूल्स के माध्यम से इस वर्ग की जरूरतों की पहचान के प्रयासों को तेज करने की आवश्कता है।

कार्यक्रम की शुरुआत उन लाभार्थियों की कहानियों से हुई जिन्होंने बदलाव संस्था के सहयोग से भिक्षावृत्ति से निकलकर आत्मनिर्भर जीवन की ओर कदम बढ़ाया। इस अवसर पर नरेंद्र, नरेश, माया, राहुल और कपिल जैसे उदाहरणों ने अपनी भावुक कहानियां साझा कीं। वहीं संजय वर्मा (प्रोग्राम मैनेजर, बदलाव) ने रिपोर्ट के चार मुख्य उद्देश्यों के साथ साथ सर्वे के आंकड़े बताये जिनमें 33 प्रतिषत ऐसे लोग थे जिनके पास कोई पहचान पत्र नहीं है जबकि 48 प्रतिषत लोग नषे की लत से जूझ रहे हैं। वहीं 49 प्रतिषत लोग आर्थिक संकट के कारण भिक्षावृति में आए। चैंकाने वाला आंकड़ा 94 प्रतिषत ऐसे लोगों का था जो लोग भिक्षावृत्ति छोड़ना चाहते हैं।

 

बदलाव के संस्थापक/कार्यकारी निदेशक शरद पटेल ने बदलाव के द्वारा भिक्षावृत्ति में संलिप्त लोगों के पुनर्वास के लिए संस्था द्वारा विकसित मॉडल ऑफ चेंज एवं अभी तक बदलाव के द्वारा पुनर्वासित किये गये लोगों के प्रभाव को विस्तृत रूप से साझा किया और बताया कि यह रिपोर्ट नीति निर्माण और सामाजिक समावेशन का एक मजबूत आधार बनेगी। प्रो. तारिक मोहम्मद ने कहा कि स्वीकार्यता और संवेदनशीलता सबसे बड़ी चुनौती है, जो इस रिपोर्ट से संभव हो सकती है।

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