आजमगढ़ की छात्रा अर्चिता सिंह को बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) में पीजी हिंदी विभाग में EWS कोटे के तहत प्रवेश न मिलने का मामला गरमाता जा रहा है।
इस मुद्दे को लेकर राजपूत सेवा संगठन ने प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन भेजा है और आरोप लगाया है कि छात्रा के साथ न केवल भेदभाव हुआ, बल्कि राजनीतिक हस्तक्षेप के चलते उसे वंचित किया गया। संगठन ने न्याय और छात्रा के भविष्य को सुरक्षित करने की मांग की है।
BHU में दाखिले को लेकर विवाद तब खड़ा हुआ जब आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) की छात्रा अनीता सिंह को पीजी हिंदी विभाग में सीट उपलब्ध होने के बावजूद प्रवेश नहीं दिया गया। ज्ञापन में बताया गया है कि प्रवेश प्रक्रिया के दौरान सभी मापदंडों को पूरा करने के बावजूद अनीता सिंह को वंचित किया गया, जिससे यह संदेह उठता है कि मामला केवल शैक्षणिक नहीं बल्कि जातीय और राजनीतिक हस्तक्षेप का परिणाम है।
राजपूत सेवा संगठन ने प्रधानमंत्री से इस पूरे मामले की जांच की मांग की है और यह भी आग्रह किया है कि अनीता सिंह को शीघ्र प्रवेश दिया जाए। संगठन ने यह भी अपील की है कि भविष्य में EWS कोटे से किसी भी योग्य छात्र या छात्रा को इस तरह वंचित न किया जाए। साथ ही, राजनीतिक हस्तक्षेप से शिक्षा व्यवस्था को बचाने की बात कही है।
सत्य सिंह परिहार, जिलाध्यक्ष, राजपूत सेवा संगठन
“अनीता सिंह को ईडब्ल्यूएस कोटे के बावजूद प्रवेश नहीं दिया गया, यह बेहद गंभीर और दुखद है। हमने प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेजकर पूरे मामले की निष्पक्ष जांच और छात्रा को न्याय दिलाने की मांग की है। इस तरह का भेदभाव शिक्षा व्यवस्था के लिए घातक है।”