जिला संवाददाता
संजय सिंह चौहान
राजधानी लखनऊ के चारबाग रेलवे स्टेशन से मुंबई के लिए रवाना होने वाली पुष्पक एक्सप्रेस एक बार फिर सुर्खियों में है, लेकिन इस बार वजह सेवा की गुणवत्ता नहीं, बल्कि ट्रेन में बढ़ता भ्रष्टाचार और खुलेआम हो रही मनमानी है। यात्रियों को सफर के दौरान जिन व्यवस्थाओं की उम्मीद होती है, वही व्यवस्थाएं अब शोषण और असुरक्षा में तब्दील हो चुकी हैं,दरअसल, पुष्पक एक्सप्रेस की पैंट्री कार अब खानपान का साधन नहीं, बल्कि अवैध कमाई का जरिया बनती जा रही है। पैंट्री में यात्रियों को नियमों के विरुद्ध बैठाया जा रहा है और उनसे मनचाही रकम वसूली जा रही है। ये वो सीटें होती हैं जो रनिंग स्टाफ के लिए निर्धारित होती हैं, लेकिन पैंट्री मैनेजर और वेंडर इन सीटों को आरामदायक सफर का लालच देकर बेच देते हैं। यात्री शायद नहीं जानते कि जिस सीट पर वे बैठे हैं, वह न तो अधिकृत है और न ही सुरक्षित,
रेलवे के नियम स्पष्ट रूप से कहते हैं कि रात 10 बजे के बाद पैंट्री कोच का दरवाज़ा बंद कर देना चाहिए। मगर जब रेलवे के एयरकंडिशनिंग टेक्निकल स्टाफ द्वारा इस नियम के पालन की बात की जाती है, तो उन्हें ही धमकियां दी जाती हैं। इतना ही नहीं, कुछ मामलों में स्टाफ के साथ मारपीट तक की जा चुकी है, और जातिसूचक गालियों का इस्तेमाल करना भी आम हो गया है। यह व्यवहार केवल अमानवीय नहीं बल्कि पूरी तरह अपराध की श्रेणी में आता है।
सूत्रों की मानें तो इस पूरी अनियमितता के पीछे ठेकेदार R K Enterprises का हाथ है। उनके पैंट्री मैनेजर और वेंडर आपस में मिलीभगत कर बाहरी खाद्य पदार्थों की बिक्री तक कर रहे हैं, जो स्वास्थ्य के लिए बेहद नुकसानदायक हो सकते हैं। ना तो इन खाद्य पदार्थों की कोई गुणवत्ता जांची जाती है और ना ही उनकी सफाई का ध्यान रखा जाता है। ये सब एक चलती ट्रेन में हो रहा है, जहां यात्रियों की सुरक्षा और स्वास्थ्य दोनों से खिलवाड़ हो रहा है,
हालात तब और भी चिंताजनक हो जाते हैं जब रनिंग स्टाफ द्वारा बार-बार की गई शिकायतों पर भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं होती। ऐसा लगता है जैसे रेलवे प्रशासन जानबूझकर इस पूरे मामले को अनदेखा कर रहा है, या फिर किसी दबाव में मौन साधे बैठा है, रेलवे की (NFIR) संगठन के सहायक महामंत्री विनोद राय ने अम्बेडकर पत्र से बातचीत में यह बताया कि रेलवे के स्टाफ के साथ इस तरह का कृत्य बर्दाश्त नहीं है। अगर इस पर सख्त कारवाही नहीं हुई तो NFIR आंदोलन करेगी।
जब सरकार यात्रियों को बेहतर सेवाएं देने की दिशा में लगातार नीतियाँ बना रही है, ट्रेनें अपग्रेड की जा रही हैं और डिजिटल सुविधाएं बढ़ाई जा रही हैं, तो ऐसे भ्रष्टाचार और मनमानी के मामले इन तमाम प्रयासों पर पानी फेरने का काम कर रहे हैं,ज़रूरत इस बात की है कि रेलवे प्रशासन इस मुद्दे को हल्के में लेने की बजाय तुरंत संज्ञान ले। दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए ताकि यह एक मिसाल बने और बाकी ट्रेनों में भी ऐसी गतिविधियों पर रोक लगाई जा सके।
इस पूरे प्रकरण से साफ है कि यदि अब भी जिम्मेदार अफसरों की आंखें नहीं खुलीं, तो न सिर्फ यात्रियों का विश्वास रेलवे से उठ जाएगा, बल्कि कर्मचारियों की सुरक्षा भी खतरे में पड़ती रहेगी। ऐसी लापरवाही और भ्रष्टाचार को किसी भी कीमत पर नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।