आरएचडी उन्मूलन के लिए उत्तर प्रदेश भारत में एक मॉडल के रूप में काम करे- प्रो.अनुराग मैरल

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लखनऊ। रूमेटिक हृदय रोग उन्मूलन के लिए भारत के पहले राज्यव्यापी अभियान का नेतृत्त्व करते हुए एसजीपीजीआई द्वारा उत्तर प्रदेश सरकार और स्टैनफोर्ड बायोडिजाइन के साथ मिलकर “आरएचडी रोको पहल” की शुरुआत शनिवार को आरएचडी रोको पहल के मार्गदर्शन और समर्थन के लिए एसजीपीजीआई में वैज्ञानिक सलाहकार समिति (एसएसी) की एक उच्च-स्तरीय बैठक आयोजित की गई। बैठक में देश-विदेश के प्रमुख चिकित्सक, वैज्ञानिक, जन स्वास्थ्य विशेषज्ञ और हितधारक एक साहसिक और साझा दृष्टिकोण से एकजुट हुए जो अपनी तरह का पहला, बड़े पैमाने का, सहयोगात्मक कार्यक्रम था, जिसका लक्ष्य अगले दशक में उत्तर प्रदेश से रूमेटिक हृदय रोग (आरएचडी) का उन्मूलन करना है।

बैठक में पार्थ सारथी सेन शर्मा, प्रमुख सचिव, चिकित्सा शिक्षा उत्तर प्रदेश सरकार भी उपस्थित रहे। एसजीपीजीआई के निदेषक पद्मश्री प्रो. आरके धीमन, प्रो. आदित्य कपूर, कार्डियोलॉजी विभागाध्यक्ष और प्रो. एस.के. अग्रवाल, सीवीटीएस विभागाध्यक्ष ने इस बैठक का नेतृतव किया। इस अवसर पर स्टैनफोर्ड बायोडिजाइन, यूएसए के विशेषज्ञ प्रो. अनुराग मैरल, डॉ. सौलनी दोशी, डॉ. जगदीश चतुर्वेदी, अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन स्ट्रेटेजिकली फोकस्ड चिल्ड्रन्स रिसर्च नेटवर्क के निदेशक डॉ. क्रेग सेबल, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स, दिल्ली में पीडियाट्रिक कार्डियोलॉजी के कार्यकारी निदेशक डॉ. अनीता सक्सेना, डॉ. प्रकाश राज रेग्मी (नेपाल हार्ट फाउंडेशन के कार्यक्रम निदेशक), च्।ज्भ् डॉ. अर्पित पटनायक, डॉ. रोहिताश्व कुमार, डॉ. सत्यब्रत राउत्रे, एडवर्ड्स लाइफसाइंसेज डॉ. रोहित सिंह और और भारत के जीवंत स्वदेशी स्वास्थ्य प्रौद्योगिकी नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र ट्राइकोगः डॉ चरित भोगराज ने कार्यक्रम के संभावित कार्यप्रवाह को रेखांकित किया। यूपी राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के नामित प्रतिनिधि (डॉ एसके गौतम, डॉ रेशमा मसूद) भी इस कार्यक्रम में उपस्थित थे।
बैठक को संबोधित करते हुए प्रो. अनुराग मैरल ने कहा कि वैज्ञानिक सलाहकार समिति की अंतर्दृष्टि और विशेषज्ञता यह सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण होगी कि उत्तर प्रदेश पूरे भारत में आरएचडी उन्मूलन के लिए एक मॉडल के रूप में काम कर सके। उन्होंने कहा कि यह प्रयास भारत के सार्वजनिक स्वास्थ्य परिदृश्य में एक वास्तविक परिवर्तनकारी प्रयास का प्रतिनिधित्व करेगा, जो सरकारी नेतृत्व, नैदानिक विशेषज्ञता, प्रौद्योगिकी नवाचार और सामुदायिक जुड़ाव को एक साथ लाएगा और सभी एक ही लक्ष्य की ओर अग्रसर होगेंरू उत्तर प्रदेश में रूमेटिक हृदय रोग को खत्म करना।
डॉ. धीमन ने इस पहल का स्वागत करते हुए इसे भारत में व्यापक, तकनीक-सक्षम निवारक हृदय रोग विज्ञान की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम बताया। उन्होंने कहा कि ऐसे मॉडल दर्शाते हैं कि कैसे वैश्विक नवाचार और स्थानीय कार्यान्वयन मिलकर जटिल स्वास्थ्य चुनौतियों का समाधान कर सकते हैं और एसजीपीजीआई को इस पहल का समर्थन करने पर गर्व होगा

डॉ. पार्थ सारथी सेन शर्मा ने राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के कार्यकर्ताओं, जो स्कूली बच्चों के साथ संपर्क का पहला बिंदु हैं, की सक्रिय भागीदारी के माध्यम से इस कार्यक्रम को मौजूदा राज्य सरकार के स्वास्थ्य कार्यक्रम के साथ सहज रूप से एकीकृत करने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने दोहराया कि इससे यह पहल व्यापक और कार्यान्वयन योग्य बन सकेगी।
डॉ. आदित्य कपूर ने भारत में हृदय रोग के मौजूदा बोझ पर प्रकाश डालते हुए कहा कि एक मौखिक प्रश्नावली और एक एआई-स्टेथोस्कोप से, अनिर्धारित हृदय रोग के मामलों का पता लगाने में मदद मिलेगी, जिनकी आगे इकोकार्डियोग्राफी द्वारा जाँच की जा सकती है। उन्होंने बताया कि एआई स्टेथोस्कोप (ट्राइकॉग, एआई स्टेथ इंडिया द्वारा डिजाइन किया गया) का एसजीपीजीआई में पहले ही परीक्षण किया जा चुका है और यह हृदय रोग का पता लगाने में काफी विश्वसनीय पाया गया है। प्रो. एस.के.अग्रवाल ने हृदय रोग के दीर्घकालिक बोझ को कम करने और शीघ्र हस्तक्षेप सुनिश्चित करने के लिए जिला स्तर पर क्षमता निर्माण के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि सरल नैदानिक मार्गों और प्रौद्योगिकी के संयोजन से समय पर निदान और रेफरल सुनिश्चित होगा।

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