विवेकानन्द केन्द्र कन्याकुमारी एक अध्यात्म प्रेरित सेवा संगठन है जो ‘मानव निर्माण से राष्ट्र पुनर्निर्माण’ के स्वामी विवेकानन्द के स्वप्न को पूर्ण करने के लिए सम्पूर्ण भारत में अपनी 1008 शाखाओं तथा 16 प्रकल्पों के माध्यम से कार्य कर रहा है। स्वामी विवेकानन्द के विश्व प्रसिद्ध शिकागो उद्बोधन को केन्द्र की समस्त शाखाएं ‘विश्व बंधुत्व दिवस’ के रूप में मनाती हैं।
इसी क्रम में इस वर्ष का कार्यक्रम 27 सितम्बर 2025 को लखनऊ विश्वविद्यालय के मालवीय सभागार में हुआ यह वही तारीख है जिस दिन स्वामी विवेकानन्द का ‘विश्व धर्म संसद’ के अन्तिम दिवस भाषण हुआ था।कार्यक्रम का प्रारम्भ तीन ओंकार प्रार्थना एवं दीप प्रज्ज्वलन से हुआ।
विवेकानन्द केन्द्र का परिचय एवं स्वामी विवेकानन्द पर तेजस्वी उद्बोधन प्रो. विनोद सोलंकी जी ने दिया वे विवेकानन्द केन्द्र कन्याकुमारी उत्तर प्रदेश प्रान्त की प्रशिक्षण प्रमुख हैं। इसके उपरांत मुख्य वक्ता स्वामी विवेकानन्द गिरि जी महाराज ( मुख्य महंत श्री बड़ी काली मन्दिर चौक, लखनऊ ) ने अपने उद्बोधन में ‘विश्व बंधुत्व’, ‘एकात्म मानवता दर्शन’ तथा ‘धर्म और रिलिजन के अंतर’ पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने बताया, ‘धर्म’ मात्र उपासना पद्धति नहीं, अपितु मानवता एवं समन्वय का आधार है जबकि ‘रिलिजन’ सीमित मान्यताओं और विधियों तक बंधा होता है। स्वामी जी ने शिकागो विश्व धर्म महासभा में स्वामी विवेकानन्द द्वारा दिए गए संदेश “वसुधैव कुटुम्बकम्” और “सर्वधर्म समभाव” को भी गहराई से समझाया और बताया कि भारतीय संस्कृति ‘यूनिवर्सल एक्सेप्टेंस’ पर आधारित है।
इस कार्यक्रम की अध्यक्षता आशुतोष द्विवेदी (सलाहकार/विशेष कार्याधिकारी/अंतरराष्ट्रीय रामायण एवं वैदिक शोध संस्थान) को करनी थी, परंतु निजी कारणों से वे उपस्थित नहीं हो सके। आयोजन समिति ने उनके अभाव को महसूस करते हुए आभार व्यक्त किया।
कार्यक्रम में प्राण फाउंडेशन (विश्वविद्यालय की नाट्य संस्था) द्वारा ‘नशा मुक्ति अभियान’ के अंतर्गत एक प्रभावशाली नाटक की प्रस्तुति भी की गई, जिसे श्रोताओं ने सराहा।विवेकानन्द केन्द्र की प्रांत प्रमुख प्रो. शीला मिश्रा ने “मातृभूमि की पुकार – एक युवा प्रेरणा अभियान” की जानकारी साझा की और युवाओं से अधिकाधिक जुड़ने का आह्वान किया।
अंत में धन्यवाद ज्ञापन प्रो. सुषमा मिश्रा (सह संचालिका, विवेकानन्द केन्द्र, लखनऊ नगर) द्वारा किया गया।यह आयोजन समाज में विश्व बंधुत्व, सामाजिक समरसता और मानवता के साझा मूल्यों को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ।



