लाइफ लाइन हॉस्पिटल ने फिर किया चमत्कार

Health उत्तर प्रदेश

संवाददाता अजय सिंह

आजमगढ़। जिले का नामचीन लाइफ लाइन हॉस्पिटल एक बार फिर सुर्खियों में हैं। अपने अत्याधुनिक चिकित्सा सुविधाओं और कुशल चिकित्सकीय टीम के बल पर यह अस्पताल लगातार असंभव को संभव कर दिखा रहा है। देश ही नहीं, विदेशों से भी मरीज यहां उपचार के लिए आते हैं और स्वस्थ होकर मुस्कुराते हुए अपने घर लौटते हैं। इसी कड़ी में अब एक और असाधारण उपलब्धि इस अस्पताल के नाम जुड़ गई हैं. जिसमें एक गर्भवती महिला को न केवल नई जिंदगी मिली, बल्कि उसके गर्भ में पल रहे शिशु को भी पूरी तरह सुरक्षित रखा गया।

गाजीपुर जिले के वाजिदपुर पूर्वा गांव की 27 वर्षीय रोशनी यादव की शादी एक साल पूर्व हुई थी। कुछ महीने पहले जब रोशनी ने गर्भधारण किया, तो परिवार में खुशियों का माहौल था। लेकिन इसी बीच रोशनी को अचानक मिर्गी के झटके आने लगे, जिससे परिवार चिंतित हो उठता कई जगह दिखाने के बाद जब कोई ठोस समाधान नहीं मिला, तो परिजनों ने उसे आजमगढ़ के प्रसिद्ध लाइफ लाइन हॉस्पिटल में भर्ती कराया। गर्भ में पल रहे शिशु की सुरक्षा के लिए सीटी स्कैन की जांच संभव नहीं थी, अतः प्रारंभिक जांच के बाद जब उसे MRI के लिए भेजा गया, तो जो रिपोर्ट सामने आई वह चौंकाने वाली थी रोशनी के मस्तिष्क के बाएं हिस्से में एक जटिल स्थिति वाला ट्यूमर पाया गया। हालत ऐसी थी कि यदि ट्यूमर का ऑपरेशन किया जाता, तो रोशनी को दाहिने हाथ-पैर में लकवा मारने और उसकी आवाज हमेशा के लिए चले जाने का खतरा था। ऑपरेशन की गंभीरता को देखते हुए वरिष्ठ न्यूरो सर्जन डॉ. अनूप कुमार सिंह ने न्यूरो एनेस्थेटिस्ट डॉ गायत्री कुमारी एवं महिला रोग विशेषज्ञ डॉक्टर पुनम यादव व (वासदेई अस्पताल) के साथ साझा किया। दोहरी चुनौती थी- एक तरफ मां की जान, दूसरी तरफ गर्भमें पल रहे शिशु की सुरक्षा। पारंपरिक ऑपरेशन में जहां मरीज को बेहोश किया जाता है, वहीं इस मामले में बेहोशी दवाओं से भ्रूण को खतरा था। इस बात को तय करने के लिए गर्भस्थ शिशु पूरी तरह स्वस्थ हैं। डॉक्टरों ने एक असाधारण फैसला लिया “अवेक ब्रेन सर्जरी” यानी मरीज को होश में रखते हुए पूरी टीम ने हाईटेक ब्रेन मैपिंग, माइक्रोस्कोप, नेविगेशन सिस्टम और मॉडर्न एनेस्थीसिया तकनीक की मदद से बेहद जटिल ऑपरेशन को अंजाम दिया। इस टीम में डॉक्टर अनुप कुमार सिंह, डॉक्टर गायत्री कुमारी के अलावा न्यूरोसर्जन डॉक्टर आकाश रामभाऊ डागत, डॉक्टर विकास वर्मा तथा समस्त ऑपरेशन थियेटर के सहयोगी शामिल थे। ऑपरेशन के दौरान सबसे हैरतअंगेज बात यह रही कि रोशनी पूरे समय होश में रही और हनुमान चालीसा का पाठ करती रही। वह अपने दोनो हाथ-पैर हिलाकर डॉक्टरों को बताती रही कि उसकी चेतना सही है और कोई लकवा नहीं हुआ है। यह सर्जरी तकनीक और मानवीय समर्पण का अद्भुत संगम थी।

ऑपरेशन के बाद रोशनी पूरी तरह स्वस्थ हैं और उसके गर्भ में पल रहा बच्चा भी पूर्ण रूप से सुरक्षित है। इस सफलता ने रोशनी और उसके परिवार को वह खुशी दी है जिसकी उन्होंने कभी कल्पना भी नहीं की थी। अब पूरा परिवार लाइफ लाइन हॉस्पिटल की टीम का बार-बार धन्यवाद कर रहा है। लाइफ लाइन हॉस्पिटल ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि जब चिकित्सा विज्ञान समर्पण और संवेदना से जुड़ता है, तो चमत्कार भी मुमकिन हो जाते हैं।

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