राजधानी लखनऊ में लखनऊ विकास प्राधिकरण के मानक के विपरीत बनी बिल्डिंगों को लेकर लगातार लखनऊ विकास प्राधिकरण सक्रिय नजर आता है, तो वहीं दूसरी तरफ कुछ ऐसे भी जगह हैं जहां पर ध्वस्तीकरण आदेश होने के बावजूद बिल्डिंग दिन पर दिन बनती चली गई और लखनऊ विकास प्राधिकरण के अधिकारी माल खाते रहे और बिल्डिंग बनवाते रहे।बता दें कि अमीनाबाद क्षेत्र गन्ने वाली गली में बने अवैध निर्माण को लेकर अभी हाल ही में लखनऊ मण्डलायुक्त के कार्यालय से 23.9.2025 को भवन को खाली करने का आदेश दिया गया।
जिसमें भवन को खाली करने के लिए 15 दिन का समय दिया गया था,परंतु लगभग 1 महीने से अधिक समय बीत जाने के बाद भी अभी तक ना तो अवैध निर्माणकर्ता द्वारा भवन खाली किया गया और ना ही किसी तरीके की एलडीए द्वारा धरातल पर कोई कार्यवाही की गई।
जिससे साफ जाहिर होता है कि लखनऊ विकास प्राधिकरण के दलाल और भ्रष्ट अधिकारी मुख्यमंत्री जनसुनवाई पोर्टल के आदेशों को अपने ठेंगें पर रखते हैं।इससे जाहिर होता है कि लखनऊ प्रकाश प्राधिकरण मुख्यमंत्री योगी को कुछ नहीं समझती है।
एक तरह से यह भी कहा जा सकता है कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार केवल भेदभाव की राजनीति कर रही है,अगर यही अवैध निर्माण किसी मुस्लिम ने किया होता,तो अब तक लखनऊ विकास प्राधिकरण इस अवैध निर्माण को ध्वस्त करके अपनी पीठ थपथपा चुका होता,लेकिन इस अवैध निर्माण के खिलाफ कोई कार्रवाई न करना,यह स्पष्ट रूप जाहिर करता है कि जातिवाद के कारण ही लखनऊ विकास प्राधिकरण के दलाल अधिकारी कर्मचारी अभी तक इस अवैध निर्माण के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर सके और इतना ही नहीं इसी व्यक्ति के द्वारा अमीनाबाद क्षेत्र में एक अन्य अवैध निर्माण भी किया गया है जो कि लगभग 9 मंजिला इमारत है।
लेकिन धन्य हैं लखनऊ विकास प्राधिकरण के भ्रष्ट अधिकारी जिन्हें केवल अपनी जेब भरने से मतलब है। सरकार को मुर्ख बनाकर अपनी पीठ थपथपाने का काम करते हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री के भ्रष्टाचार मुक्त समाज की बात करना बड़े ही शर्म की बात होगी।
जबकि राजधानी लखनऊ में ही मुख्यमंत्री के नाक के नीचे इस तरीके के दलाली वाले कार्य हो रहे हैं। विभाग द्वारा मुख्यमंत्री को केवल बेवकूफ बनाया जा रहा है। बतादें कि पूरा मामला राजधानी लखनऊ के अमीनाबाद थाना क्षेत्र में 4/242 ए गन्ने वाली गली अमीनाबाद लखनऊ का है।
जहां पर लखनऊ विकास प्राधिकरण के मानक के विपरीत चार मंजिला निर्माण किया गया जा चुका है।जिसे वर्ष 2021 में लखनऊ विकास प्राधिकरण की पूर्व संयुक्त सचिव श्रीमती ऋतु सुहास के द्वारा भवन को सील कर दिया गया था, लेकिन उसके बावजूद जोन छः के तत्कालीन जूनियर इंजीनियर राकेश सचान द्वारा 130000 रुपए लेकर निर्माण को जारी रखा और पूरी तरह से भवन बंद करके तैयार हो गई। जोकि लाटूश रोड पर स्थित विद्यांत कॉलेज के समीप शक्ति मशीन के नाम से स्थापित है।जिसमें गन्ने वाली गली की साइड से चार मंजिला अपार्टमेंट बना हुआ है,जो पूरी तरह से अवैध है और इस भवन के ध्वस्तीकरण का आदेश दिनांक 06/06/2024 को लखनऊ विकास प्राधिकरण के द्वारा जारी किया जा चुका है, लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि लखनऊ विकास प्राधिकरण के भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा यह भवन अभी भी ध्वस्त नहीं हो सका।
इतना ही नहीं इस संबंध में सूत्रों के द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार भवन के निर्माता मनीष कंसल पुत्र स्वर्गीय अशोक कंसल द्वारा यह कहा जाता है कि लखनऊ विकास प्राधिकरण मेरा कुछ नहीं उखाड़ सकता।
अब ऐसे में सवाल यह उठता है कि ध्वस्तीकरण के आदेश 11 महीने बाद भी उक्त भवन के ऊपर कोई कार्रवाई नहीं की गई।
आखिर ऐसा क्यों? क्या योगी सरकार में भ्रष्टाचार के ऊपर लगाम लगाने की सारी बातें झूठी साबित हो रही हैं,या वास्तव में लखनऊ का विकास प्राधिकरण के भ्रष्टाचार में योगी सरकार अधिकारी भी लिप्त हैं।यह तो आने वाला समय बताएगा,लेकिन अभी तक इस अवैध निर्माण के खिलाफ लखनऊ विकास प्राधिकरण के द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई।
अब देखने वाली बात यह होगी कि योगी सरकार बिना जाति-पाति की भावना से इस अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई करती है, या जातिगत भेदभाव को देखते हुए इस अवैध निर्माण को बढ़ावा देने का कार्य करती है या लखनऊ विकास प्राधिकरण के अधिकारियों से इस सवाल का जवाब मांगती है और इस अवैध निर्माण को ध्वस्त करवाती है या नहीं।
योगी सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ कितनी संवेदनशील है यह आने वाला समय ही बताएगा।



