मोहम्मद ज़ाहिद अख़्तर
लखनऊ। ईसाई समुदाय अपने विश्वास का सबसे महत्वपूर्ण पर्व, ईस्टर-प्रभु यीशु मसीह के पुनरुत्थान का पर्व मनाने की तैयारी कर रहा है। ईस्टर में समाप्त होने वाला पवित्र सप्ताह 13 अप्रैल 2025, पाम संडे से आरंभ होगा। इस दिन प्रभु यीशु के यरूशलेम में क्रूस पर चढ़ाए जाने से पहले उनके अंतिम प्रवेश की स्मृति में ईसाई पाम या जैतून की शाखाओं के साथ जुलूस निकालेंगे।
डॉ डोनाल्ड एच.आर. डीसूजा (चांसलर एवं प्रवक्ता, लखनऊ का कैथोलिक धर्मप्रांत) ने जानकारी देते हुए बताया कि ईस्टर ट्रिडुअम (तीन पवित्र दिन), जो प्रभु के दुःख, मृत्यु और पुनरुत्थान की स्मृति में मनाया जाता है, 17 अप्रैल 2025 से मौंडी थर्सडे के साथ शुरू होगा। इस दिन शाम को पवित्र यूखरिस्ट (पवित्र मिस्सा) मनाई जाएगी, जिसके दौरान बिशप जेराल्ड जॉन मैथियास प्रभु यीशु के उदाहरण का पालन करते हुए चर्च के 12 सदस्यों के पैर धोएंगे। यह प्रेम, सेवा और विनम्रता का प्रतीक है।
कैथोलिक कलीसिया इस दिन को पवित्र यूखरिस्ट और पुरोहिताई की स्थापना का दिवस भी मानती है। 18 अप्रैल 2025, गुड फ्राइडे को, प्रभु यीशु मसीह के सूली पर चढ़ने और उनकी मृत्यु की स्मृति में विशेष प्रार्थनाएं और अनुष्ठान होंगे। मुख्य आयोजन शाम 4ः00 बजे क्रॉस का रास्ता (Way if the Cross) और प्रभु के दुःखभोग का समारोह के रूप में मनाया जाएगा। यह समय वह है जब प्रभु यीशु ने क्रूस पर प्राण त्यागे थे।
पवित्र शनिवार, 19 अप्रैल 2025, मौन, प्रतीक्षा और आशा का दिन होगा। वह दिन जब ईसाई समुदाय यीशु के पुनरुत्थान की प्रतीक्षा करता है। रात 10ः30 बजे, ईस्टर विजिल (पास्का जागरण) का आयोजन सभी प्रमुख चर्चों में किया जाएगा, विशेष रूप से हजरतगंज स्थित सेंट जोसेफ कैथेड्रल में इसका आयोजन होगा। 20 अप्रैल 2025, ईस्टर संडे (पास्का रविवार) को, प्रभु यीशु मसीह के पुनरुत्थान की महिमा में, शहर के विभिन्न चर्चों में पवित्र मिस्सा बलिदान (Mass) अर्पित किया जाएगा।