लखनऊ। लिवर हमारे शरीर के अहम अंगों में से एक है जो हमें स्वस्थ रखने के लिए कई काम करता है। इसलिए इसकी सेहत को लेकर लोगों को जागरूक करने के मकसद से प्रत्येक वर्ष 19 अप्रैल को विश्व लिवर दिवस मनाया जाता है ताकि लोगों में लिवर रोगों की बढ़ती समस्या, इसके कारणों और उन्हें रोकने के तरीकों के बारे में जागरूकता बढ़ाई जा सके। इन दिनों लिवर से जुड़ी समस्याएं कई लोगों के लिए परेशानी बनी हुई हैं। फैटी लिवर इन्हीं समस्याओं में से एक है, जो अक्सर खराब डाइट और फिजिकली इनएक्टिव रहने की वजह से होता है। हालांकि, इस बीमारी को प्रभावी तरीके से मैनेज किया जा सकता है और लगातार लाइफस्टाइल में बदलाव करके इसे उलटा भी किया जा सकता है।
फैटी लिवर रोग देश में लिवर रोगों के बढ़ते बोझ का कारण है। हमारे बीच हर तीसरा व्यक्ति फैटी लिवर से ग्रस्त हो सकता है। एसजीपीजीआई के हेपेटोलॉजी विभाग ने 19 अप्रैल 2025 को ‘विश्व लिवर दिवस’ मनाने के साथ-साथ फैटी लिवर रोगों के बढ़ते बोझ के बारे में उनके ज्ञान और जागरूकता को बढ़ाने के लिए युवा चिकित्सकों और स्वास्थ्य सेवा कर्मियों के लिए एक कार्यशाला का आयोजन किया।
कार्यशाला को संबोधित करते हुए संस्थान के निदेशक तथा हेपेटोलॉजी के प्रो. डॉ आर के धीमन ने कहा कि लिवर की बीमारियां आमतौर पर शराब, वायरल हेपेटाइटिस और फैटी लिवर के कारण होती हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान युग में हमारी जीवन शैली और आहार संबंधी गलत आदतों के कारण फैटी लिवर की बीमारी में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। उन्होंने बताया कि हमारे देश में लगभग 40 प्रतिशत लोग मोटे या अधिक वजन वाले हैं। मधुमेह और मोटापा फैटी लिवर रोग के प्रमुख जोखिम कारक हैं। हमारा देश मोटापे और मधुमेह की वैश्विक राजधानी है। भविष्य में हम फैटी लिवर रोग की वैश्विक राजधानी बन सकते हैं। उन्होंने विशेष रूप से फैटी लिवर रोगों का शीघ्र पता लगाने पर जोर दिया ताकि सिरोसिस और लिवर कैंसर को बढ़ने से रोका जा सके। कार्यालय को संबोधित करते हुए संस्थान के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक प्रो. देवेंद्र गुप्ता ने कहा कि मोटे लोगों को किसी भी सर्जरी के दौरान काफी परेशानी और जटिलताएं होती हैं। हेपेटोलॉजी के विभागाध्यक्ष प्रो. अमित गोयल ने भी इस अवसर पर अपने महत्वपूर्ण विचारो से उपस्थित छात्रों को अवगत कराया। सेमिनार में विभिन्न मेडिकल कॉलेज के 100 से अधिक मेडिकल छात्र और युवा चिकित्सकों ने भाग लिया।
शरीर के वजन का 5 प्रतिशत वजन कम करने से ठीक हो सकता है फैटी लिवर
कार्यशाला में केजीएमयू और मेदांता अस्पताल के कई वक्ताओं ने भी भाग लिया। सभी ने मोटापे के बोझ, फैटी लिवर की बीमारी, इसकी जटिलता और उपचार के बारे में बात की। निष्कर्ष निकाला गया कि फैटी लिवर के मुख्य कारण निष्क्रिय जीवन शैली, जंक फूड खाना और लोगों में व्यायाम और खेल गतिविधियों की कमी है। इस बात पर भी जोर दिया गया कि वजन कम करना और व्यायाम करना फैटी लिवर की बीमारी का सबसे प्रभावी इलाज है। शरीर के वजन का 5 प्रतिशत वजन कम करने से फैटी लिवर को ठीक किया जा सकता है और अगर हम अपना 10 प्रतिशत वजन कम कर सकें तो लिवर की चोट और लिवर फाइब्रोसिस को भी ठीक किया जा सकता है। इन रोगियों को अधिक नियमित आहार लेने की जरूरत है, जिसमें सब्जियां, फल और शाकाहारी आहार का अच्छा मिश्रण होना चाहिए।