जहां एक तरफ केंद्र सरकार को भ्रष्टाचार को समाप्त करने की बात करती है, कालेधन के ऊपर नकेल कसने का दावा करती है,तो वहीं बड़े उद्योगपति और पूंजीपति पूरे देश को चूना लगाने का काम कर रहे हैं। चाहे वह आनलाइन गेम के माध्यम से बच्चों को जुए की लत लग रही है, जिसमें लोगों का पैसा बर्बाद हो रहा है।वहीं दूसरी तरफ कुछ प्राइवेट बैंक हैं,जैसे कर्नाटका बैंक,बंधन बैंक,आईडीएफसी बैंक, फेडरल बैंक जैसी तमाम प्राइवेट कंपनियां ₹10000 से बचत खाता खोलतीं हैं और तत्काल एटीएम पासबुक इत्यादि चीजें खाताधारक को दे देती है।
सबसे बड़ी बात यह है कि तीन दिनों तक खाते में चाहे जितने का ट्रांजैक्शन हो जाए बैंक कुछ नहीं बोलता लेकिन चौथे दिन अकाउंट को फ्रीज कर देता है,फिर खाता धारक से पूछता है कि पैसा कहां से आया, अब ऐसे में सवाल यह उठता है कि जब केंद्र सरकार ने ₹1200000 तक की छूट दे रखी है, तो फिर बैंक किस अधिकार से यह पूछ रही है कि वह पैसा कहां से आया जबकि पैसा नंबर एक का आया हुआ है,प्राइवेट बैंक कंपनियां यह खेल इसलिए खेल रही हैं कि कम पढ़े-लिखे लोग सीधे-साधे लोगों को बेवकूफ बना रहे हैं। उनके साथ बहुत बड़ा सिंडिकेट जुड़ा हुआ है, जो प्राइवेट बैंक कंपनियां की आड़ में आम जनता का धन लूटने का काम कर रही हैं।बचत खाते को फ्रीज कर देते हैं उसके बाद वह पैसा बैंक के पास ही रहता है और एक दिन उस प्राइवेट बैंक के मालिक के खजाने में पैसा पहुंच जाता है।
ताजा मामला राजधानी लखनऊ के बर्लिंगटन चौराहे पर स्थित कर्नाटका बैंक का है,जहां पर आदर्श मिश्रा नाम के युवक ने अपना बचत खाता खोला है,दुर्भाग्य बस कुछ ही दिनों बाद उसका एटीएम मोबाइल फोन और सब कुछ कुंभ मेला से वापस आते समय कहीं रास्ते में खो गया।
जिसकी आदर्श मिश्रा ने आनलाइन एफआईआर भी दर्ज करवाई है, ऑनलाइन एफआईआर को बैंक ने मानने से मना कर दिया। जिसके बाद आदर्श मिश्रा ने ऑफलाइन आलमबाग थाने में रिपोर्ट दर्ज करवा कर, उसकी प्रति भी बैंक को दे दिया। इसके बावजूद बैंक खाते को पुनः खाते चालू करने से मना कर दिया है।
युवक के खाते में मात्र ₹200000 है। वह पैसा आदर्श मिश्रा के रिश्तेदार के द्वारा मंगवाया गया है।मोबाइल खोने के बाद वह नंबर वापस उसे नहीं मिल पाएगा। क्योंकि वह नंबर उसके स्वर्गवासी दादा जी के नाम पर था।
अब बैंक का कहना है कि उसी नंबर से आप खाते को ब्लॉक करिए, वही कॉल सेंटर की अगर बात करें, तो जब युवक ने कॉल सेंटर पर बात की तो उन्होंने कहा कि आप बैंक में जाकर के बात करिए और आपका खाता खुल जाएगा पुराने मोबाइल नंबर का कोई मतलब नहीं होगा, लेकिन बैंक में बैठी महिला अधिकारी अपने आगे किसी की सुनने को तैयार नहीं,अब ऐसे में कुछ ना कुछ गड़बड़ घोटाला कर्नाटक बैंक के अंदर चल रहा है।
सक की सुई बैंक के कर्मचारियों के ऊपर जा रही है।
ऐसी स्थिति में प्राइवेट बैंकों के ऊपर सरकार को शक्ति के ध्यान देना होगा, इसके साथ ही इस तरह के प्रकरण की जांच पड़ताल करनी चाहिए। प्राइवेट बैंक में आने वाले धन की बाकायदा मॉनिटरिंग सरकार के निगरानी में हो,ताकि ऐसे प्राइवेट बैंक लोगों को बेवकूफ बनाकर गरीब आम जनता का पैसा ठगने का काम न कर सकें।
अब देखने वाली बात यह होगी कर्नाटका बैंक के उच्च अधिकारी और बैंक के जिम्मेदार अफसर इस मामले में क्या कार्रवाई करते हैं। रिजर्व बैंक आफ इंडिया इस मामले में क्या कार्रवाई करेगी यह तो समय ही बताएगा।