अस्थमा की बीमारी के शिकार भारत में सर्वाधिक- डॉ. राजेंद्र प्रसाद
भारत में हर वर्ष टीबी की बीमारी से होती है लाखों की मृत्यू
लखनऊ। एक बार फिर राजधानी लखनऊ की चिकित्यीय प्रणाली देश भर में फैल रहे टीबी यानी टयूबर क्लोसिस की बीमारी को लेकर एक बड़े अभियान की तैयारी में जुट गया है। 16वें यूपीटीबीकॉन के नाम से तीन दिवसीय कांफ्रेंस का आयोजन राजधानी के प्रतिष्ठित किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी केजीएमयू में 7 अक्टूबर से 9 अक्टूबर तक केजीएमयू के शताब्दी फेस-2 में किया जाएगा। 16वें यूपीटीबीकॉन के आयोजन सचिव तथा पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन के विभाध्यक्ष डॉ. वेद प्रकाश ने जानकारी देते हुए बताया कि कांफ्रेंस के पहले दिन 3 कार्यशालाओं का भी आयोजन होगा जिसमें निद्रा में श्वास संबंधी विकार, फेफड़े के उन्नत परीक्षण तथा सघन चिकित्सा केंद्र में परीक्षण से संबन्धित कार्यशाला होगी। डॉ. वेद प्रकाश ने बताया कि भारत के पीएम नरेंद्र मोदी ने चिकित्सा जगत को भारत से टीबी को हमेशा से के लिए समाप्त करने का जो लक्ष्य निर्धारित किया है यह उसी दिशा में यह आयोजन एक मील का पत्थर साबित होगा। उन्होंने बताया कि केजीएमयू द्वारा आयोजित इस कांफ्रेस में भाग लेने और टीबी तथा फेफड़ों से संबन्धित गंभीर बीमारियों पर अपना व्याख्यान देने के लिए विश्व विख्यात चिकित्सक जैसे प्रो. डॉ दिगम्बर बेहरा(पीजीआई चंदीगढ़ प्रो. एवं एचओडी पीसीसीएम), डॉ संदीप साल्वी(निदेशक चेस्ट रिसर्च फॉउंडेशन पूने) एवं डॉ. दीप्ती गोठी(प्रो. ईएसआई पीजीआई नई दिल्ली) के अलावा देश भर के कई बड़े चिकित्सक प्रतिभाग करेंगे। डॉ वेद ने बताया कि टीबी रोग की जांच में जिस तरह से चिकित्सीय जांच प्रणाली में वृद्धि हुई है इससे टीबी रोग पर नियंत्रण पाना पहले से काफी आसान हो गया है हालांकि टीबी रोगियों की सही पहचान करना आज भी चिकित्सकों के लिए किसी चुनौती से कम नहीं। वहीं डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने बताया कि टीबी के साथ-साथ अस्थमा की बीमारी भी भारत के लिए एक बड़ी चुनौती है। उन्होंने बताया कि भारत का अस्थमा की मृत्यु दर 43 प्रतिश्त है यानी अस्थमा से मरने वाले रोगियों में भारत का विश्व में पहला स्थान है जो दुर्भाग्यपूर्ण है। इस मौके पर डॉ. आरएस कुशवाहा, डॉ. टीपी सिंह तथा डॉ. राजीव गर्ग ने भी 16वें यूपीटीबीकॉन को लेकर महत्वपूर्ण जानकारी दी।