राजधानी लखनऊ को स्मार्ट सिटी तमगा मिल चुका है ,लेकिन वहीं राजधानी के नाले और नालियां नगर निगम के दावों की पोल खोलते नजर आ रहे हैं।
नगर निगम में नाले और नालियों की साफई के नाम पर करोड़ों रुपए करता है।
जिससे नाली और नालों की सुचारू रूप से सफाई बेहतर हो सके। ताकि शहर में जल भराव ना हो।
लेकिन नगर निगम के कर्मचारियों की असली पोल बरसात होते ही राजधानी की नालियां खोल देती है।
जिसके साथ ही सफाई व्यवस्था की पोल खुल ही जाती है।
बता दें कि नगर निगम जोन 5 मानक नगर आर.डी.एस.ओ.में कई ऐसे छोटे-बड़े नाले हैं,जिसकी ठीक से सफाई नहीं की जाती है।
यहीं कारण है कि नालों का पानी सड़क पर आ जाता है। मानक नगर आर.डी.एस.ओ.मेहंदी खेड़ा में स्थित छोटे-छोटे बच्चों का प्ले ग्रुप स्कूल है।
स्कूल की बाउंड्री से लगे नाले का पानी सड़क पर आने के कारण छोटे-छोटे बच्चों को स्कूल आते जाते काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
रोड पर नाले का पानी भरने की वजह से नाले के गंदे पानी के बीच से ही पैदल,दोपहिया और चार पहिया वाहन को निकलना पड़ता है।
जिसमें सबसे ज्यादा परेशानी पैदल चलने वालों को होती है, जिसमें अधिकांश है बाइक और कार चालकों की वजह से अधिकांशतया लोगों को गंदे पानी का शिकार होना पड़ता है।
इन सारी बातों की जानकारी होने के बावजूद नगर निगम जोन 5 के अधिकारी एवं कर्मचारी इस समस्या से लापरवाह बने महामारी को बढ़ावा देने का काम कर रहे हैं।
नगर निगम के नालों और नालियों की सफाई करने वाले ठेकेदारों और अधिकारियों की मिलीभगत से इस तरह की बातें सामने आती है और यही कारण है कि नगर निगम के उच्च अधिकारी ठेकेदारों के और अपने विभाग के जिम्मेदार कर्मचारियों के ऊपर किसी भी तरह की कार्यवाही करने में नाकाम साबित होती है।
अब देखने वाली बात यह होगी कि नगर निगम इन छोटे मासूम बच्चों के विद्यालय के रास्ते को स्वच्छ करता है या उन्हें इस गंदगी के बीच ही विद्यालय जाने के लिए मजबूर करता है।
सबसे मजेदार बात यह है कि अगर कोई भी व्यक्ति नगर निगम जोन 5 के जोनल अधिकारी सुजीत श्रीवास्तव के नंबर पर जब भी फोन करता है तो फोन लगता ही नहीं है।
अब सवाल यह उठता है जब जोन के सबसे जिम्मेदार अधिकारी का सीयूजी नंबर जब नहीं लगता है,
तो फिर बाकी लोगों की क्या दशा होगी यह बताने की आवश्यकता नहीं है।