लखनऊ। इंटरनेट मीडिया पर फर्जी आइडी बनाकर, पैसे मांगना, फोटो-वीडियो वायरल करना… ये जालसाजों के लिए आम बात हो गई है. प्रतिदिन इस तरह के दर्जनों मामले थाने व साइबर क्राइम सेल कार्यालय में दर्ज किए जा रहे हैं, गोमती नगर में एक युवती का जालसाज ने फर्जी अकाउंट बना लिया. पीड़िता साइबर सेल पहुंचकर बताती है कि उसकी फेसबुक की आईडी किसी ने फर्जी बना ली है. जहां जालसाज उनकी फोटो एडिट करके पोस्ट कर रहा है. वहीं आशियाना में एक कंपनी में कार्यरत युवती का इंस्टा पर अकाउंट है. उसका कहना है कि किसी ने फर्जी अकाउंट बनाकर मेरे नाम से लोगों को मैसेज करके पैसा मांग रहा था. ऑनलाइन शिकायत करने पर तुरंत अकाउंट डिलीट कर दिया गया. लेकिन क्या आपको पता है कि आप खुद भी अपनी आईडी से रिपोर्ट दर्ज करवा सकते हैं.
साइबर एक्सपर्ट दीपक का कहना है कि शिकायत के चंद मिनटों बाद ही आपके नाम की फर्जी आईडी को बंद किया जा सकता है. साथ ही एक सप्ताह के अंदर आईपी एड्रेस के जरिए जालसाज का पता भी लग सकता है. साइबर क्राइम सेल के इंस्पेक्टर रणजीत राय ने बताया कि लोगों की शिकायत पर फर्जी आइडी आसानी से बंद करवा दी जाती है. अक्सर ऐसे मामलों में जालसाजों की लोकेशन राजस्थान, बिहार, दिल्ली व मध्य प्रदेश में मिलती है, जिसमें कुछ दिक्क्तें आती हैं. इंस्पेक्टर का कहना है कि कभी-कभी इतने मामले सामने आ जाते हैं कि हर किसी की शिकायत पर दूसरे प्रदेशों में छापेमारी करना संभव नहीं हो पाता है. हालांकि, पीड़ितों को किसी परेशानी से जूझना न पड़े इस पर हमारी टीम काम करती है. हर माह करीब 300 फर्जी अकाउंट बंद कराए जाते
साइबर एक्सपर्ट दीपक का कहना है कि पीड़ित ऐसे मामलों में तुरंत थाने या भारत सरकार की वेबसाइट cybercrime.gov.in पर शिकायत दर्ज कराएं. पुलिस चंद मिनटों में फर्जी इंटरनेट अकाउंट को बंद कर सकती है. ऐसे अपराधों में ज्यादातर मामले युवती व महिलाओं की फर्जी आइडी बनाने के आते हैं. दीपक अब तक राजधानी समेत वाराणसी व बिहार में कुल 1300 फर्जी अकाउंट को बंद करवा चुके हैं. पुलिस को आवेदन मिलने के बाद वह facebook.com/records पर जाकर अपने थाने के एनआइसी से जुड़े मेल को डालकर सबमिट करती है. एनआइसी के ईमेल को ओपन करती है. लिंक मिलने पर क्लिक करते ही फार्म को सबमिट किया जाता है. संविधान के सीआरपीसी-91 के तहत फार्म को अप्लाई किया जाता है. जहां क्राइम की कैटेगरी, इंटरनेट मीडिया का लिंक, आइडी प्रूफ, आइपी एड्रेस की जानकारी के साथ आवेदन की कापी संलग्न करनी पड़ती है. इस पर फर्जी अकाउंट को बंद करने के साथ ही जालसाज के लोकेशन का पता चलता है।