बजट युवाओं, किसानों, महिलाओं तथा आम आदमी के लिए निराशाजनक- आराधना मिश्रा 

Politics उत्तर प्रदेश

योगी आदित्यनाथ सरकार ने बजट में दंगों को लेकर झूठ बोलकर किया गुमराह

लखनऊ। योगी आदित्यनाथ सरकार के द्वारा बृहस्पतिवार को पेश किए गए बजट पर कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इसे युवाओं, किसानों और महिलाओं सहित आम आदमी के लिए निराशाजनक करार दिया है, साथ ही बजट की संख्या बढ़ाना प्रदेशवासियों को गुमराह करने वाला बताया है। उन्होंने कहा की सरकार ने बजट में दंगे ना होने की बात कही है जबकि सच्चाई यह है कि प्रदेश में हिंसक और दंगे की घटनाएं बढ़ गई हैं। सरकार दंगाइयों को संरक्षण दे रही है।

आराधना मिश्रा मोना ने बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा की योगी आदित्यनाथ सरकार ने बजट को इवेंट बना कर रख दिया है। महाकुंभ का बजट इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है कि बजट बढ़ाया गया लेकिन अव्यवस्था चरम पर थी जिसकी वजह से हजारों श्रद्धालुओं की जान चली गई, सच्चाई है कि हर काम की तरह बजट को भी भाजपा ने इवेंट बना दिया है। पिछला बजट भी मात्र 52 से 54 प्रतिशत खर्च हुआ तो संख्या बढ़ाने से क्या फायदा ?

अराधना मिश्रा ने बताया कि बजट की सामूहिक जिम्मेदारी पूरे कैबिनेट की होती है लेकिन जब बजट पेश किया जा रहा था तो सदन में प्रदेश सरकार के दोनों उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक तथा केशव मौर्या अनुपस्थित थे इससे पता चलता है कि सरकार पेश किए गए बजट के प्रति सामूहिक रूप से कितना उदासीन है।

आराधना मिश्रा मोना ने कहा कि किसानों को इस बार बजट से बड़ी उम्मीदें थी कि उनके लिए सरकार विशेष सहायता कोष बनाएगी लेकिन किसानों को निराशा मिली है, बजट में युवाओं को रोजगार को लेकर कोई ठोस नीति न बनाकर, सिर्फ आउट सोर्सिंग पर छोड़कर, धोखा दिया गया है। सबसे बड़ा धोखा प्रदेश की आधी आबादी महिलाओं को मिला है, सरकार ने प्रत्येक बजट में वादा किया था उसी तरह इस बजट में भी झूठा वादा गैस सिलेंडर, स्कूटी का किया गया है,यह बजट उसी पुराने बजट की फोटोकॉपी दिखाई पड़ती है।

आराधना मिश्रा मोना ने कहा कि इस बजट में शिक्षा के लिए 13 प्रतिशत, कृषि और संबद्ध सेवाओं के लिए 11 प्रतिशत, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में 6 प्रतिशत, सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों के लिए 4 प्रतिशत धनराशि आवंटित की गई है लेकिन सरकार पिछले बजट का हिसाब किताब नहीं दे रही है। यह पूरा बजट सब्जबाग तो दिखाता है पर जमीनी धरातल पर समाज के किसी वर्ग को, चाहे हमारा किसान हो, बेरोजगार युवा हो, आंगनबाड़ी, शिक्षामित्र, रसोइया जैसी महिला कार्यकत्री हो या कृषि क्षेत्र के हमारे सहयोगी किसान भाई हो, स्वास्थ्य की बुनियादी सुविधाओं के लिए परेशानहाल आम नागरिक हों, सुरक्षा की चाह लिये हमारी बहन-बेटियां या समाज के व्यापारी वर्ग हों या कर्मचारी किसी भी वर्ग के लिए इस बजट में कुछ दिखाई नहीं पड़ता।

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