सोशल मीडिया प्लेटफ़ार्मों के बेलगाम प्रसार से बीमारियों में हुई बढ़ोतरी
लखनऊ। विश्व किडनी दिवस 14 मार्च को संपूर्ण विश्व में पर्व की तरह मनाया जाता है। इस वर्ष की थीम है ’सभी के लिए किडनी स्वास्थ्य, देखभाल और इष्टतम दवा अभ्यास तक समान पहुंच को आगे बढ़ाना’।
भारत में मधुमेह व उच्च रक्तचाप की बढ़ती घटनाओं के कारण क्रोनिक किडनी रोग की घटनाओं में 35 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। एक नए अनुमान से पता चलता है कि क्रानिक किडनी रोग से संबंधित मृत्यु दर 2040 तक मृत्यु का 5वां प्रमुख कारण होगी। सीकेडी की जटिलताओं को रोकने का सबसे अच्छा तरीका सीकेडी की प्रगति को रोकना है। उन्नत अनुसंधान ने हमें उन दवाओं की पहचान करने में मदद की है जो सीकेडी की प्रगति को रोकने में प्रभावी हैं, लेकिन ये दवाएं सीकेडी के शुरुआती चरणों में प्रभावी हैं।
नेफ्रोलॉजी विभाग ने दक्षिण एशिया क्षेत्र में राष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्तर पर जागरूकता अभियान को बढ़ावा देने के लिए इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ नेफ्रोलॉजी और इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ किडनी फाउंडेशन के साथ संयुक्त रूप से इस पहल का आह्वान किया गया है। हम सभी सीकेडी के उच्च जोखिम वाले लोगों, 50 वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्ग, मधुमेह रोगी, उच्च रक्तचाप, मोटापे से ग्रस्त रोगी, सीकेडी के पारिवारिक इतिहास वाले लोग, लंबे समय से धूम्रपान करने वाले और पथरी रोग से पीड़ित लोगो को सुझाव देते हैं कि वे हर साल मूत्र की जांच और सीरम क्रिएटिनिन और ग्लोमेरुलर निस्पंदन दर का आकलन करके सीकेडी के लिए खुद को जांचते रहें ।
नेफ्रोलॉजी, यूरोलॉजी और रीनल प्रत्यारोपण विभाग की गतिविधियां-
किडनी के स्वास्थ्य के लिए वॉकथॉन
नेफ्रोलॉजी विभाग ने किडनी के स्वास्थ्य के लिए प्रातः 6.30 बजे हॉबी सेंटर से एसजीपीजीआई गेट तक और उसके बाद ईएमआरटीसी के नेफ्रोलॉजी और यूरोलॉजी विभाग तक वॉकथॉन आयोजित किया। नेफ्रोलॉजी और यूरोलॉजी संकाय ने हॉबी सेंटर, मुख्य द्वार और ईएमआरटीसी सेंटर में सभा को संबोधित किया। डॉ. अंसारी, एचओडी यूरोलॉजी ने पानी के सेवन के महत्व से अवगत कराया, डॉ. संजय सुरेखा ने कम नमक का सेवन, बहुत सारा पानी, खट्टे फल और हर दिन थोड़ा दूध के साथ गुर्दे की पथरी को रोकने के सुझाव दिए। डॉ. अनुपमा कौल ने किडनी के स्वास्थ्य के लिए वज़न कम करने के महत्व के बारे में सुझाव दिए। डॉ. भदौरिया ने उपस्थित लोगों को सुरक्षित दवाओं के बारे में बताया। इस मौके पर नेफ्रोलॉजी के प्रमुख और इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ़ नेफ्रोलॉजी के परिषद सदस्य प्रो. नारायण प्रसाद ने बेहतर स्वास्थ्य के लिए आम लोगों को कुछ महत्वपूर्ण लक्ष्य दिए।
1. मधुमेह रोगियों के लिए 7 प्रतिशत से कम HBA1c,
2. हर एक व्यक्ति के लिए 130/80 से कम रक्तचाप,
3. 25 से कम बीएमआई,
4. धूम्रपान व तंबाकू निषेध और कम नमक।
संस्थान के निदेशक प्रो. आरके धीमन ने अपने संदेश में कहा कि संस्थान में किडनी की देखभाल के लिए किसी को भी मना नहीं किया जाएगा।
मरीज़ के रिश्तेदारों और देखभाल करने वालों का संदेश-
सीकेडी एक दीर्घकालिक समस्या है और रोगी आजीवन इस बीमारी के साथ रहते हैं। कई रोगियों और परिचारकों ने भी अपनी भावनाओं को साझा किया और 50 वर्ष से अधिक आयु वाले उच्च जोखिम वाले लोगों, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, मोटापा, पथरी रोग और गुर्दे की बीमारियों के पारिवारिक इतिहास वाले व्यक्तियों के लिए गुर्दे की बीमारियों की समय पर जांच के लिए अपना सीधा संदेश दिया।
मरीजों का संबोधन-
किडनी की बीमारियों के साथ कैसे जीना है, इस विषय पर रोगियों ने संदेश दिया और सभी का एक समान विचार था कि बीमारी के इलाज से रोकथाम बेहतर है। किडनी की बीमारियों से 3 से 4 दशकों से अधिक समय तक जीवित रहने वाले मरीजों ने वकालत की कि दीर्घकालिक सफलता के लिए दवा का पालन सबसे महत्वपूर्ण है।
डॉ. नारायण प्रसाद ने WKD के इस जागरूकता कार्यक्रम को सफ़ल बनाने के लिए के प्राथमिक देखभाल चिकित्सकों, वैज्ञानिकों, नर्सों, कॉर्पोरेट स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं, रोगियों, प्रशासकों, स्वास्थ्य-नीति विशेषज्ञों, सरकारी अधिकारियों, नेफ्रोलॉजी से संबंधित संगठनों से हाथ मिलाने और इसमें महत्वपूर्ण योगदान देने की बात पर विशेष ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि किडनी स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने के लिए सरकारी नीतियों पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है जिससे रोगियों और स्वास्थ्य देखभाल बजट दोनों को बड़ा लाभ हो सकता है।
प्रो. नारायण ने बताया कि सीकेडी के लिए एक निरंतर ज्ञान का अभाव है, जो प्राथमिक देखभाल चिकित्सकों, नर्सों, तकनीशियनों और सार्वजनिक स्वास्थ्य नीति निर्माताओं के बीच स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों के सभी स्तरों पर प्रदर्शित होता है। फ़ेसबुक, यूट्यूब, इंस्टाग्राम और ट्विटर जैसे सोशल मीडिया प्लेटफ़ार्मों के बेलगाम प्रसार से यह और बढ़ गया है। इन प्लेटफ़ार्मों पर अक्सर गैर-वैज्ञानिक सामग्री का व्यापक प्रसार हुआ, विशेष रूप से कई हानिकारक जड़ी-बूटियों, शरीर निर्माण के लिए कई एलर्जेन प्रोटीन जो वास्तव में वैज्ञानिक नहीं है बल्कि महंगे व हानिकारक है। अल्पज्ञ जनता और मरीज़ों को वैज्ञानिक रूप से प्रामाणिक और मान्य जानकारी नहीं मिल पाती। भारत जैसे निम्न-मध्यम आय वाले देशों के लिए विशेष रूप से यह एक सत्य है जहां संसाधनों की मांग की तुलना में संसाधन सीमित हैं और लोगों ने गैर-प्रमाणित उपचारों को चुना जो उन्हें नुकसान पहुंचाते हैं, कभी-कभी मृत्यु का कारण बनते हैं। उन्होंने कहा कि इस अवसर पर दो महत्वपूर्ण बातों पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
सीकेडी का शीघ्र निदान
इष्टतम दवा अभ्यास यह सुनिश्चित करेगा कि ये दवाएं जो प्रगति को धीमा कर देती हैं, व्यापक आबादी तक पहुंचें।
सभी के लिए किडनी स्वास्थ्य
अपनी किडनी को हानिकारक दवाओं, दर्द निवारक दवाओं और एंटीबायोटिक दवाओं के अनावश्यक उपयोग से बचाएं, और प्रगति को धीमा करने के लिए उपयोगी दवाओं का उपयोग करें।