प्रयागराज के चकिया की गलियों में दिखा कुछ बदला हुआ माहौल।
जिस माफिया अतीक के घर-दफ्तर पर कभी ईद का जश्न मनाया जाता था। आज पड़ा है वीरान।
दुकानें बंद हैं। मोहल्ले वीरान हैं। 60 साल बाद चकिया मोहल्ले में बिना अतीक ईद मनी। कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं और कुछ पूछते ही मीडिया पर गुस्सा दिखाते हैं लोग।
प्रयागराज।कहते हैं कि बुराई का अंत बुरा ही होता है अगर माफिया अतीक अहमद बुराई नहीं की होती तो आज या हालात नहीं होते ना घर बचा ना परिवार बचाना संपत्ति न जान कुछ भी नहीं रहा सब कुछ चला गया।
जी हां यह वही प्रयागराज की चकिया की गली है जहां कभी ईद के दिन लोगों का ताता दिखाई देता ईद के दिन सन्नाटा पसरा हैं चकिया के इसी ऑफिस पर अतीक का सालों से रहता था।
किसी जमाने में ईद के दिन इस घर से सेवइयां, कुर्ते, दुपट्टे और पैसा ले जाने वालों की भीड़ लगती थीं पर आज सन्नाटा है। मोहल्ले में ड्यूटी दे रहे पुलिसकर्मी किसी चबूतरे पर धूप से बचने के लिए ठौर लिए हैं। आते-जाते कोई गलत-सही दिखा तो पूछ लिया..कहां जा रहे हो। फिर क्या बैठे बैठे दिन यही सड़क निहारते कटती है। चाय वालों के सहारे, घड़ी के सहारे और मोबाइल के सहारे। ईद के दिन सड़क पर चल रहा आम कोई अतीक के घर की ओर उंगली दिखाकर अपने साथ वालों को कोई कहानी बताता है और फिर बिना रुके आगे बढ़ जाता है। पर दुकानें बंद हैं। बिजली कटौती हो जाए तो सन्नाटा और अँधेरा ही नजर आता हैं
अब बस अतीक के घर पर एक बाड़ा हैं, जिसमें दो कुत्ते दिखाई देते हैं